भारत में सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (एमएसएमई) देश की जीडीपी का 30% हिस्सा हैं और 110 मिलियन से अधिक श्रमिकों को रोजगार देते हैं। लेकिन सामूहिक रूप से, अर्थव्यवस्था की गाड़ी खींचने वाले यह छोटे इंजन, प्रति वर्ष, लगभग 110 मिलियन टन कार्बन डाइऑक्साइड भी उगलते हैं। यह आंकड़ा भारत के नेट ज़ीरो लक्ष्य…
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चाहतों के रंगों ने बनाई हिमालय की त्रासदी की तस्वीर
साल 1933 में लॉस्ट होराइज़न नाम के उपन्यास में लेखक जेम्स हिल्टन ने हिमालय में कहीं बसी एक काल्पनिक वादी, शांगरी ला का ज़िक्र किया था। यह घाटी बेहद खूबसूरत नज़ारों को समेटे थी। ऐसा माना जाता है कि जेम्स हिल्टन हिमालय के सौंदर्य से मोहित थे, जिसके चलते उन्होनें शांगरी ला कि कल्पना की।…
जी20 लीडर्स समिट में भारत के पास वित्तीय सुधारों के मामले में उभरने का मौका
भारत की अध्यक्षता में जी20 देशों की ऊर्जा, जलवायु एवं पर्यावरण से सम्बन्धित बैठकें पिछले महीने सम्पन्न हुईं। इन बैठकों में एक व्यापक श्रंखला रूपी मसलों का हल निकालने के लिये कड़ी मेहनत की गयी जिनसे यह तय होगा कि देशों का यह समूह क्या ऊर्जा और वित्त रूपी दो प्रमुख पहलुओं के इर्द-गिर्द खड़े…
वैश्विक पवन ऊर्जा का केंद्र बनने की ओर अग्रसर है भारत
जहां एक ओर सरकार हवाओं की बढ़ती गर्मी पर लगाम लगाने के लिए तमाम सकारात्मक पहल कर रही है, वहीं उन्हीं हवाओं से ऊर्जा बनाने के मामले में भारत सरकार की दृढ़ता भी साफ दिख रही है.दरअसल प्रमुख उद्योग संगठनों की एक नई रिपोर्ट के अनुसार, भारत ने वैश्विक पवन ऊर्जा निर्यात केंद्र बनने की…
फ़ोसिल फ़्यूल सब्सिडी को रिन्यूबल एनेर्जी में निवेशित कर G20 निपट सकता है जलवायु परिवर्तन से
आज जारी एक रिपोर्ट से पता चलता है कि जी20 देशों की फ़ोसिल फ़्यूल सब्सिडी को रिन्यूबल एनेर्जी स्रोतों में निवेश की ओर पुनर्निर्देशित करने से न केवल जलवायु परिवर्तन के खिलाफ लड़ाई में मदद मिल सकती है, बल्कि भूख, ऊर्जा पहुंच और पर्यावरण प्रदूषण जैसे वैश्विक मुद्दों का भी समाधान हो सकता है। रिपोर्ट आगामी जी20 नेताओं के…
हिमाचल त्रासदी: हम प्रकृति को मार रहे हैं, वो हमें मार रही है
हिमाचल प्रदेश में बारिश और उसके बाद हुए भूस्खलन में कम से कम 75 लोगों की जान जाने के बाद वहाँ की सरकार ने वहाँ राज्य स्तरीय आपदा घोषित कर दी. उत्तराखंड में भी हाल कुछ मिलता जुलता ही है.विशेषज्ञों की मानें तो हम प्रकृति को मार रहे हैं, वो हमें मार रही है. उनका मानना है कि…
मॉनसून और अल-नीनो के रिश्तों में कहीं बढ़ी गर्मी तो कहीं पड़ी ठंड
मानसून बारिश और अल-नीनो नाम की समुद्री तरंग में वैसे तो गहरा नाता रहा है हमेशा, मगर भारत के विभिन्न क्षेत्रों में पिछली सदी के दौरान इन दोनों के रिश्तों के रंग बादल चुके हैं। इन बात का पता चलता है पुणे स्थित भारतीय उष्णदेशीय मौसम विज्ञान संस्थान (आईआईटीएम) के वैज्ञानिक रोक्सी मैथ्यू कोल की अगुवाई में हुए…
“जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए कुछ करने को सक्षम हम आखिरी पीढ़ी हैं”
जलवायु परिवर्तन से निपटने की जितनी तात्कालिकता आज के दौर में महसूस होती है, उतनी पहले कभी नहीं रही। और वक़्त के साथ इस विषय की प्रासंगिकता बढ़ती ही जाएगी। क्योंकि यह समस्या मानव जनित है, इसका समाधान भी मानव जनित ही होगा। सरल शब्दों में जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए जन सहभागिता बेहद…
जुलाई में दुनिया की 81 फीसद आबादी ने जलवायु परिवर्तन के कारण झेली भीषण गर्मी
एक के बाद एक वैज्ञानिक सबूत हमारे सामने आते जा रहे हैं जो साफ कर रहे हैं कि बीती जुलाई मानव इतिहास, या उससे पहले के कालखंड की भी सबसे अधिक गरम जुलाई थी। इस बार क्लाइमेट सेंट्रल द्वारा जारी एक अभूतपूर्व रिपोर्ट में, यह पुष्टि की गई है कि जुलाई 2023 ने पृथ्वी के अब तक के सबसे गर्म महीने का खिताब…
बीते सवा लाख सालों में इस साल की जुलाई रहेगी सबसे अधिक गर्म
जर्मनी की लाइपजिग यूनीवर्सिटी में हुए ताज़ा शोध की मानें तो इस साल, बीते लगभग सवा लाख साल बाद जुलाई का महीना सबसे गर्म रहेगा।अब तक साल 2019 की जुलाई सबसे गर्म जुलाई का महीना थी। मगर इस साल, जुलाई का औसत तापमान 2019 के मुक़ाबले 0.2°C बढ़ा गया है और वैज्ञानिकों की मानें तो…