Skip to content
Menu
Climate कहानी
  • आइए, आपका स्वागत है!
  • बुनियादी बातें
  • चलिए पढ़ा जाये
  • आपकी कहानी
  • सम्पर्क
  • शब्दकोश
Climate कहानी

चलिए पढ़ा जाये

एनर्जी ट्रांजिशन के लिए उत्‍तर प्रदेश को करना होगा सौर पर गौर

Posted on December 17, 2021

रिन्युब्ल ऊर्जा क्षमता सम्‍बन्‍धी लक्ष्‍यों को हासिल करने के लिए रिन्युब्ल ऊर्जा उत्पादन क्षमता में हर साल औसतन 2.5 गीगावॉट की वृद्धि ज़रूरी रिन्युब्ल ऊर्जा क्षमता सम्‍बन्‍धी लक्ष्‍यों को जमीन पर उतारने के मामले में उत्‍तर प्रदेश अधिक ऊर्जा आवश्‍यकता वाले अन्‍य राज्‍यों के मुकाबले पिछड़ा हुआ है। इंस्टीट्यूट फॉर एनर्जी इकोनॉमिक्स एंड फाइनेंशियल एनालिसिस (आईईईएफए) और एनर्जी…

Continue Reading

इस राज्य में अब एक क्लिक से मिलेगी प्रदूषण नियंत्रण योजनाओं की हर जानकारी

Posted on December 9, 2021

औद्योगिक और आर्थिंक रूप से देश के सबसे महत्वपूर्ण राज्य महाराष्‍ट्र के 18 नॉन अटेनमेंट शहरों के लिये प्रदूषण से निपटने के उद्देश्‍य से बनायी गयी कार्ययोजनाओं से सम्‍बन्धित विभिन्‍न जानकारियों को आम लोगों तक आसानी से पहुंचाने के मकसद से क्‍लाइमेट ट्रेंड्स और रेस्‍पाइरर लिविंग साइंसेज द्वारा बनाये गये एक डैशबोर्ड की आज शुरुआत की गयी।…

Continue Reading

एयरशेड स्तर के नियंत्रण से 2030 तक दिल्ली की सर्दियों में प्रदूषण 35% तक किया जा सकता है कम: TERI

Posted on December 9, 2021

जब देश की राजधानी में एक बार फिर सांस फूलने लगी है, तब द एनर्जी एंड रिसोर्सेज इंस्टीट्यूट (TERI) के अज जारी  अध्ययन से कुछ उम्मीद बंधती है। इस अध्ययन में PM2.5 की सांद्रता को कम करने के तरीकों के साथ भविष्य के विभिन्न परिदृश्यों को प्रस्तुत किया गया है। ‘दिल्ली में वायु प्रदूषण के नियंत्रण के लिए हस्तक्षेपों की लागत-प्रभावशीलता‘ के…

Continue Reading
Be Carbon Neutral

यह एप बताएगी आपका कार्बन फुटप्रिंट, करेगी मदद कार्बन न्यूट्रल होने में

Posted on December 4, 2021

प्रधान मंत्री मोदी के ग्लासगो में भारत के साल 2070 तक नेट ज़ीरो होने की घोषणा के बाद से नेट ज़ीरो ख़ासा चर्चित शब्द बन गया है। इतना कि गूगल पर “नेट ज़ीरो क्या होता है” लिखते ही 0.74 सेकंड में 3,78,00,00,000 नतीजे सामने आ गए। लेकिन भारत के नेट ज़ीरो होने के लिए सबसे…

Continue Reading

COP26 की कसौटी पर भारत की राह चुनौतीपूर्ण : विशेषज्ञ

Posted on November 20, 2021

कोयले के इस्‍तेमाल को हतोत्‍साहित करने के लिये भारत में एक मजबूत नीति और नियामक तंत्र बहुत जरूरी ग्‍लासगो में हाल में सम्‍पन्‍न सीओपी26 में निर्धारित लक्ष्‍य और व्‍यक्‍त संकल्‍पबद्धताओं की पूर्ति की कसौटी पर भारत अलग तरह की चुनौतियों को सामना कर रहा है। कोयले के चलन को चरणबद्ध ढंग से खत्‍म करने की…

Continue Reading

COP26 में भारत की कूटनीतिक जीत, मगर जलवायु वित्त का वादा रहा चित

Posted on November 14, 2021

निशान्त जहाँ एक ओर COP26 को कोयले की काली हकीक़त को दुनिया के सामने लाने के लिए याद रखा जायेगा, वहीँ दूसरी ओर इसे भारत की एक कूटनीतिक जीत के रूप में भी लिया जायेगा। ग्लासगो में सम्पन्न हुए संयुक्त राष्ट्र के 26वें जलवायु महासम्मेलन के आख़िरी क्षणों ने भारत ने दुनिया को विकासशील देशों…

Continue Reading

REDD+ कार्बन फाइनेंस से जुड़ी अस्‍पष्‍टता को दूर करना बेहद ज़रूरी: विशेषज्ञ

Posted on November 13, 2021

पूरी मानवता के अस्तित्‍व के लिये खतरा बन रही ग्‍लोबल वार्मिंग को रोकने के लिये वैश्विक तापमान में वृद्धि को 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित रखने के अधिक प्रभावी उपाय तलाशने के मकसद से ब्रिटेन के ग्‍लासगो में आयोजित COP26 शिखर वार्ता में विभिन्‍न विषयों पर चर्चा हुई। इस सन्दर्भ में विशेषज्ञों का मानना है कि…

Continue Reading

COP26 में भारत ने ज़ीरो एमिशन वेहिकल्स को प्राथमिकता देने का लिया संकल्प

Posted on November 13, 2021

इस ग्लासगो समझौते ने की पेट्रोल और डीजल वाहनों के लिए सड़क के अंत की शुरुआत दुनिया के चौथे सबसे बड़ा ऑटो बाज़ार, भारत ने रवांडा, केन्या के साथ संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन सम्मेलन (COP26) में, अपने बाजारों में शून्य उत्सर्जन वाहनों (ZEV) के ट्रांजिशन में तेजी लाने के लिए प्रतिबद्धता दिखाते हुए एक समझौते पर हस्ताक्षर कर दिए…

Continue Reading

COP26: बड़ी अर्थव्यवस्थाओं के लिए कमज़ोर देशों के समर्थन में अपने पत्ते खेलने की ज़रूरत

Posted on November 12, 2021

एक बेहद तेज़ घटनाक्रम में यूके की COP प्रेसीडेंसी ने ग्लासगो क्लाइमेट समिट के लिए फैसलों का एक नया मसौदा जारी किया है। इस मसौदे की भाषा सशक्त है और इशारा करती है कि अंततः फैसलों की शक्ल कैसी हो सकती है।लेकिन इस मसौदे को ले कर विशेषज्ञों की कुछ चिंताएं हैं। इनमें चिंता का मुख्य विषय…

Continue Reading

इधर ला नीना बर्पायेगा सर्द कहर, उधर पराली घोलेगी हवा में ज़हर

Posted on November 9, 2021

जहाँ एक और ला नीना के लगातार दूसरे साल प्रकट होने से मौसम विज्ञानी एक तीव्र सर्दी अपेक्षित कर रहे हैं, वहीँ उत्तर भारत में आने वाले महीनों में गंभीर वायु प्रदूषण भी अपेक्षित है। अक्टूबर में भले ही पराली जलाने की घटनाओं की कम संख्या और व्यापक बारिश और हिमपात ने प्रदूषण को नियंत्रण में रखा, लेकिन स्थिति अब बदलती दिख रही है।तापमान में गिरावट और अन्य मौसम संबंधी वजहों, जैसे हवा की गति धीमी होना और उसकी दिशा, के चलते प्रदूषण का स्तर फिर से भारत-गंगा के मैदानी इलाकों (IGP) के अधिकांश शहरों में ‘बहुत खराब’ और ‘खतरनाक’ श्रेणियों में है। पटाखों और पराली जलाने के मौसमी कारकों ने, हमेशा की तरह, समस्या को और बढ़ा दिया है, क्योंकि फसल अवशेष जलाने की घटनाओं का उच्चतम स्तर दिवाली के साथ मेल खाता है।ला नीना और वायु प्रदूषण के बीच का संबंधलगातार दूसरी बार ला नीना के साथ, उत्तर पश्चिम भारत इस मौसम में भीषण सर्द मौसम के लिए तैयार है। मौसम विज्ञानी इस साल IGP  भर में रिकॉर्ड लो (कम) तापमान की भविष्यवाणी कर रहे हैं, नवंबर और दिसंबर में सामान्य से अधिक ठंड पड़ने की उम्मीद है। ब्लूमबर्ग की एक हालिया रिपोर्ट के अनुसार, जनवरी और फरवरी में कुछ उत्तरी क्षेत्रों में, ठीक होने से पहले, भारत में तापमान 3 डिग्री सेल्सियस (37 फ़ारेनहाइट) तक गिरने की उम्मीद है।“एक के बाद एक दूसरे ला नीना की एक बड़ी संभावना है, जिसके परिणामस्वरूप दिसंबर 2021-फरवरी 2022 तक अत्यधिक ठंड पड़ सकती है। इस अवधि के दौरान समुद्री घटनाओं के चरम पर होने की उम्मीद है। यह ध्यान दिया जाना चाहिए कि सर्दियों की तीव्रता दुनिया के अन्य हिस्सों में घटते कई अन्य कारकों से भी प्रभावित होती है,” जी.पी. शर्मा, अध्यक्ष-मौसम विज्ञान और जलवायु परिवर्तन, स्काईमेट वेदर, ने कहा।यह स्पष्ट रूप से स्थापित किया गया है कि सर्दी का मौसम प्रदूषण में वृद्धि के लिए अनुकूल समय है। सर्दियों के दिनों में, ठंडी हवा अक्सर उत्तरी भारत में बस जाती है। शीतकाल के तापमान उलटने से धुंध के निर्माण में योगदान होता हैं। तापमान का यह उलटना तब होता है जब ठंडी हवा गर्म हवा की एक परत के नीचे फंस जाती है। चूंकि ठंडी हवा गर्म हवा से ऊपर नहीं उठ सकती, इसलिए ठंडी हवा में प्रदूषण तब तक बना रहता है जब तक तापमान उलटा रहता है। सर्दियों के महीनों में देखी जाने वाली धुंध ज्यादातर तापमान में उलटफेर (व्युत्क्रमण) का भी परिणाम है। आमतौर पर, वायुमंडल में उच्च हवा पृथ्वी की सतह के पास हवा की तुलना में ठंडी होती है। सतह के पास गर्म हवा ऊपर उठती है, जिससे सतह से प्रदूषक वातावरण में फैल जाते हैं।उत्तर पश्चिमी मैदानी इलाकों में प्रदूषण के और तीव्र दौरमौसम में अधिक ठंडे दिनों की संभावना पूरे IGP, विशेष रूप से दिल्ली NCR के लिए निश्चित रूप से अधिक संख्या में ‘खराब’ से ‘गंभीर’ वायु गुणवत्ता वाले दिनों की ओर ले जाएगी। विशेषज्ञ बताते हैं कि सर्दी का मौसम पहले से ही प्रदूषण के लिए अनुकूल है और पारा में और गिरावट से स्थिति और खराब होगी।“तापमान में गिरावट के साथ, अधिक स्थिर स्थितियों की संभावना है। हालांकि, यह ये मानते हुए है कि हवाएं नहीं बदलती हैं। यदि किसी कारण से हवाएं धीमी हो जाती हैं और इस अवधि के दौरान पराली या बायोमास जलने में वृद्धि होती है, तो नई दिल्ली सहित उत्तरी मैदानी इलाकों में समग्र वायु गुणवत्ता की स्थिति खराब हो सकती है।संक्षेप में, शेष सभी स्थिर रहते हुए, और ठंड की स्थिति वातावरण के भीतर लंबवत मिश्रण को रोकती है।इसलिए, खराब वायु गुणवत्ता के लिए संभावनाएं अधिक हैं,” डॉ वी. विनोज, सहायक प्रोफेसर, स्कूल ऑफ अर्त ओशन एंडक्लाइमेट साइंसेज़, इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी भुवनेश्वर ने कहा।

Continue Reading
  • Previous
  • 1
  • …
  • 39
  • 40
  • 41
  • 42
  • 43
  • 44
  • 45
  • …
  • 57
  • Next

क्लाइमेट की कहानी, मेरी ज़बानी

©2025 Climate कहानी | WordPress Theme: EcoCoded