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दिवाली के अगले दिन दिल्ली में पीएम 2.5 का स्तर रहा कम, मगर सुरक्षित सीमा से ऊपर: सीपीसीबी

Posted on October 25, 2022

इस बार 2015 के बाद से अपेक्षाकृत दिवाली सप्ताह रहा स्वच्छ, पटाखों ने दिल्ली की वायु गुणवत्ता को नहीं किया ज्यादा प्रभावित

जहां एक ओर हर साल दिवाली के बाद वायु प्रदूषण को ले कर चिंताएँ बढ़ती थीं, वहीं इस साल,बीते सालों के मुक़ाबले, देश की राजधानी में खतरनाक पीएम 2.5 के स्तर में कमी देखी गयी। हालांकि इसके स्तर में कमी ज़रूर दर्ज की गयी मगर यह फिर भी स्वीकार्य स्तर से अधिक ही थी। लेकिन जिस हिसाब से प्रदूषण एक भारी समस्या के रूप में हम पर मँडराता है, इस परिस्थिति को सकारात्मक रूप से लिया जाना चाहिए।  

हाल फिलहाल देखा जाता है किभारत में गंगा के मैदानों में दिवाली के बाद आसमान में धुंध आ जाती है और सांस लेने में तमाम मुश्किलें पेश आती है। इसका सीधे तौर पर दिवाली से कोई लेना देना नहीं लेकिन इस समय कई कारक एक साथ वायु की गुणवत्ता बिगाड़ने का काम करते हैं। इनमें पड़ोसी राज्यों में पराली जलाना एक बड़ी वजह होता है। दिल्ली में सीपीसीबी के 33 मॉनिटरों के डेटा के विश्लेषण से पता चला है कि इस साल राजधानी में पीएम 2.5 का स्तर 2021 की तुलना में कम था, लेकिन यह 60 ug/m3 की दैनिक सुरक्षित सीमा से ऊपर बना रहा। चार मॉनिटरों का डेटा उपलब्ध नहीं था, इसलिए इन्हें विश्लेषण से बाहर रखा गया। शहर में पीएम 2.5 का उच्चतम स्तर 448.8 ug/m3 पूसा , दिल्ली में दर्ज किया गया । 

इस साल 25 अक्टूबर को सुबह 8 बजे वायु गुणवत्ता सूचकांक पिछले साल के इसी दिन और समय की तुलना में कुछ अधिक था। सीपीसीबी के अनुसार, दिवाली (24 अक्टूबर) की सुबह की तुलना में दीवाली की अगली सुबह (25 अक्टूबर) दिल्ली के सभी स्टेशनों के औसत एक्यूआई  में वृद्धि हुई। शहर का एक्यूआई 24 अक्टूबर को सुबह 8 बजे 301 था। यह 25 अक्टूबर को उसी समय 326 पहुँच गया था। पिछले साल 4 नवंबर, दिवाली के दिन, जहां दिल्ली के लिए एक्यूआई 320 था। वह 5 नवंबर, 2021 की सुबह 317 हुआ था।  

सिस्टम फॉर एयर क्वालिटी एंड वैदर फोरेकास्टिंग एंड रिसर्च (SAFAR) के अनुसार शहर में पीएम 10 और पीएम 2.5 की एकाग्रता सुबह 10 बजे के आसपास 257 ug/m3 और 150 ug/m3 थी। दोपहर करीब 1.30 बजे, यह बिगड़कर  क्रमश: 295 ug/m3 और 189 ug/m3 हो गया। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अनुसार, पीएम 10 और पीएम 2.5 के लिए दैनिक औसत सुरक्षित सीमा क्रमशः 100 ug/m3 और 60 ug/m3 है। 

दिवाली के अगले दिन PM2.5 का स्तर 

2021: 402 ug/m3 

2020: 300 ug/m3 

2019: 353 ug/m3 

(स्रोत: SAFAR) 

25 अक्टूबर को दोपहर 1 बजे के आसपास दिल्ली के लिए SAFAR की आंकड़ों में पाया गया कि दिन का समग्र AQI वायु गुणवत्ता ‘बहुत खराब’ की श्रेणी में रहा। पीएम10 में सूक्ष्म कण (आकार <2.5 माइक्रोमीटर ) ~ 64% योगदान करते हैं। बीती रात एक्यूआई ‘गंभीर’ नहीं बल्कि ‘बेहद खराब’ के दायरे में रहा। उत्तर पश्चिमी क्षेत्र में आग/पटाखों से हुए पीएम2.5 उत्सर्जन की हिस्सेदारी ~ 5-6%  रही और इसने दिल्ली की वायु गुणवत्ता को ज्यादा प्रभावित नहीं किया।  

स्थानीय सतही हवाएं 25 तारीख को 8-16 किमी/घंटा, और 26 और 27 तारीख को 6 किमी/घंटा (अधिकतम तापमान 31-32 डिग्री सेल्सियस; न्यूनतम 15 डिग्री सेल्सियस) की शांत गति से बहेंगी, जिसके चलते प्रदूषकों के मध्यम से कमजोर फैलाव के कारण बनते हैं। हवा की गुणवत्ता में 26, 27 तारीख को और सुधार होने की संभावना है। 

अपनी प्रतिक्रिया देते हुए SAFAR के परियोजना निदेशक गुफरान बेग कहते हैं, “यह 2015 के बाद से अपेक्षाकृत स्वच्छ दिवाली सप्ताह है। वायु गुणवत्ता नियंत्रण में रहने के चार विशिष्ट कारण हैं। पहला कारण यह है कि पराली की आग पर हवा की दिशा का बदलना। फिलहाल यह दिशा उत्तर-पश्चिम रहती है मगर कल यह दक्षिण-पश्चिम में बदल गई । इस क्षेत्र में पारली नहीं जलायी जाती है,  इसलिए खेत की आग का योगदान न्यूनतम 5-8% है। क्योंकि दिवाली हमेशा सर्द मौसम में होती है और इस बार कुछ पहले हो गयी,इसलिए तापमान अभी भी कुछ अधिक गर्म है, और हवा की गति तेज़ है, लगभग 9 किमी प्रति घंटा। सुबह के दौरान जब हवाएं आमतौर पर स्थिर हो जाती हैं, तो यह 9 किमी प्रति घंटे से ऊपर बनी रहती है, इसलिए वेंटिलेशन अच्छा था। वैसे इस साल पटाखों की संख्या भी कम दिखी।” 

मौसम विज्ञानियों ने कहा कि प्रदूषण के स्तर को नियंत्रण में रखने के लिए परिस्थितियां अनुकूल हैं। स्काईमेट वेदर के उपाध्यक्ष- मौसम विज्ञान और जलवायु परिवर्तन, महेश पलावत ने कहा, “हम आमतौर पर दिवाली के बाद प्रदूषण के खतरनाक स्तर देखते हैं, लेकिन इस साल यह उतना बुरा नहीं रहा है। जहां पटाखे शहर के वायु प्रदूषण में योगदान करते हैं, वहीं प्रमुख कारक मौसम है। इस साल हवाएं और तापमान अनुकूल रहे। अगले कुछ दिनों में उत्तर पश्चिम से हवाएं चलती रहेंगी और प्रदूषण का स्तर कम होगा। हालांकि, यह गरीब या बहुत खराब श्रेणी में रहेगा।”

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