Skip to content
Menu
Climate कहानी
  • आइए, आपका स्वागत है!
  • बुनियादी बातें
  • चलिए पढ़ा जाये
  • आपकी कहानी
  • सम्पर्क
  • शब्दकोश
Climate कहानी

गर्मी अब सिर्फ पारा नहीं चढ़ा रही, लोगों के दिलों में चिंता भी बढ़ा रही

Posted on August 14, 2025

भारत के 89% लोग कह रहे हैं कि उन्होंने खुद ग्लोबल वार्मिंग का असर महसूस किया है। कभी तपते हीटवेव, कभी बेहिसाब बारिश, कभी तूफ़ान, मौसम अब पहले जैसा नहीं रहा। और यही वजह है कि 78% लोग चाहते हैं कि सरकार इस संकट से निपटने के लिए और ज़्यादा काम करे।

ये आंकड़े आए हैं येल प्रोग्राम ऑन क्लाइमेट चेंज कम्युनिकेशन और सीवोटर इंटरनेशनल के सर्वे से, जो मार्च-अप्रैल 2025 में पूरे देश में किया गया। इसमें पहली बार आधे से ज़्यादा लोग (53%) ने माना कि उन्हें ग्लोबल वार्मिंग के बारे में “कुछ न कुछ” जानकारी है, लेकिन अभी भी 27% लोग ऐसे हैं जिन्होंने इसके बारे में कभी सुना ही नहीं।

जब लोगों को ग्लोबल वार्मिंग का छोटा सा मतलब और उसका मौसम पर असर समझाया गया, तो 96% ने कहा, हाँ, ये हो रही है। 90% लोग इसको लेकर चिंतित हैं, जिनमें से 58% “बहुत ज़्यादा” चिंतित हैं।

2024 का साल भारत के लिए सबसे गर्म साल रहा—औसतन तापमान 1°C ऊपर, 450 से ज़्यादा हीटवेव मौतें, यहां तक कि चुनाव ड्यूटी पर तैनात अफसर भी इसकी चपेट में आए।

सर्वे में ये भी सामने आया कि लोग वजहें तो कुछ समझते हैं, लेकिन पूरी तस्वीर साफ़ नहीं है। 82% को पता है कि पेट्रोल-डीज़ल वाली गाड़ियां ग्लोबल वार्मिंग बढ़ाती हैं, 61% को कोयला और गैस से चलने वाले बिजलीघर के बारे में जानकारी है। लेकिन सिर्फ 26% को पता है कि मांस उत्पादन भी इसका कारण है, जबकि 84% गलतफहमी में हैं कि प्लास्टिक प्रदूषण भी इसका बड़ा कारण है।

सरकारी कार्रवाई को लेकर तस्वीर साफ़ है

  • 78% लोग चाहते हैं सरकार और कदम उठाए
  • 86% नेट ज़ीरो 2070 लक्ष्य के पक्ष में हैं
  • 84% नए कोयला बिजलीघर पर पाबंदी और पुराने बंद करने के हक में हैं
  • 94% चाहते हैं कि सौर और पवन ऊर्जा में नए रोजगार के लिए राष्ट्रीय ट्रेनिंग प्रोग्राम चले
  • 93% चाहते हैं कि पूरे देश में ग्लोबल वार्मिंग पर शिक्षा दी जाए
  • 89% महिलाओं और आदिवासी समुदायों को पर्यावरण संरक्षण में सहयोग देने के पक्ष में हैं

लेकिन इस तस्वीर में एक साया भी है,
35% लोगों ने पिछले साल कभी-कभी साफ़ पानी की कमी झेली, आधे से ज़्यादा लोग कहते हैं कि उनकी आमदनी ज़रूरतें पूरी नहीं करती, और 30% ने या तो मौसम की मार से घर छोड़ा या छोड़ने की सोच रहे हैं।

सीवोटर इंटरनेशनल के यशवंत देशमुख कहते हैं, “लोग न सिर्फ सीखना चाहते हैं, बल्कि खुद भी जलवायु संकट से निपटने में हाथ बंटाने को तैयार हैं।”

ये सर्वे साफ़ करता है, भारत में ग्लोबल वार्मिंग अब किसी दूर की चिंता नहीं, बल्कि हर रोज़ की हक़ीक़त है। फर्क सिर्फ इतना है कि क्या हम इसे समझकर कदम उठाते हैं, या इंतज़ार करते हैं कि मौसम हमें आखिरी सबक खुद सिखा दे।

  • 1.5 degree celsius
  • 1.5 degrees
  • global heat

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

क्लाइमेट की कहानी, मेरी ज़बानी

©2025 Climate कहानी | WordPress Theme: EcoCoded