क्या आप किसी विषय को बीस से तीस सेकंड में समझने की कल्पना कर सकते हैं? अगर नहीं, तो आपको ऐसी कोई कल्पना करने की ज़रूरत नहीं। क्योंकि यह एक हक़ीक़त है। तो क्या है ये हक़ीक़त, इसे जानने के लिए यह लेख अंत तक पढ़िये जलवायु परिवर्तन आज हमारी चर्चाओं का हिस्सा बनता जा…
Author: Climate कहानी

मध्यप्रदेश के इस ज़िले के किसानों ने कर ली है जलवायु परिवर्तन से निपटने की तैयारी
प्रेम विजय गुप्ता धार, मध्य प्रदेश: हर साल, मध्यप्रदेश के धार ज़िले में किसान समुदाय अक्षय तृतीया से ही खेती संबंधी तैयारी में जुट जाते हैं। यह किसान अक्षय तृतीया पर जमीनों के सौदे और खेतों को किराए पर देने से लेकर अन्य व्यवस्थाओं को भी इसी समय तय कर लेते हैं। मगर यह साल…

नहीं थमी रही जलवायु परिवर्तन कि गति: WMO
विश्व मौसम विज्ञान संगठन (डब्ल्यूएमओ) की वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार, पहाड़ की चोटियों से लेकर समुद्र की गहराई तक, जलवायु परिवर्तन ने 2022 में अपनी प्रगति बरक़रार रखी।सूखा, बाढ़ और गर्मी की लहरों ने हर महाद्वीप पर समुदायों को प्रभावित किया और इनसे निपटने में कई अरब डॉलर खर्च किए गए। अंटार्कटिक समुद्री बर्फ रिकॉर्ड…

स्वास्थ्य क्षेत्र के लिए अपना कार्बन एमिशन कम करना ज़रूरी
वैश्विक स्तर पर शुद्ध ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन के मामले में स्वास्थ्य क्षेत्र पांचवें स्थान पर है। ऐसे में देश की स्वास्थ्य क्षेत्र की तैयारियों को जलवायु परिवर्तन के दृष्टिगत संबोधित करने के महत्व पर चर्चा करने के लिए, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय (MoHFW) के साथ साझेदारी में एशियाई विकास बैंक ने आज गोवा में G20 के लिए स्वास्थ्य कार्य समूह में एक…

जलवायु और जन स्वास्थ्य पर केंद्रित होगा जी20 का यह साइड इवेंट
विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा जलवायु परिवर्तन को मानवता के लिए सबसे बड़े स्वास्थ्य खतरे के रूप में पहचाना गया है। जलवायु परिवर्तन हीटवेव (गर्मी की लहरों), बाढ़ और सूखे जैसे चरम मौसम के माध्यम से, संक्रामक रोगों के बढ़ते प्रसार और गैर-संचारी रोगों के अतिरिक्त बोझ के साथ-साथ हवा और पानी की आपूर्ति और खाद्य…

भारत में तीव्र होती हीटवेव थाम रही है SDG हासिल करने की रफ्तार
देश की सार्वजनिक स्वास्थ्य, कृषि, और अन्य सामाजिक-आर्थिक और सांस्कृतिक प्रणालियों पर बोझ डालते हुए भारत में फिलहाल हीटवेव अपनी आवृत्ति, तीव्रता, और घातकता में बढ़ रही हैं। पीएलओएस क्लाइमेट में प्रकाशित, कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय के रमित देबनाथ और उनके सहयोगियों द्वारा किए एक अध्ययन से पता चलता है कि जलवायु परिवर्तन की वजह से गंभीर…

झारखण्ड का अधिकांश कोयला कारोबार कार्यबल चाहता है क्षमता संवर्धन: अध्ययन
जीवाश्म ईंधन से स्वच्छ ऊर्जा स्रोतों की तरफ बढ़ते रुझान और नेटजीरो लक्ष्यों के प्रति भारत की संकल्पबद्धता के बीच एक ताजा अध्ययन में झारखंड में कोयला कारोबार से जुड़े कामगारों को लेकर एक विस्तृत अध्ययन किया गया है। हर तीन में से एक कोयला कामगार खेती को रोजगार के अपने वैकल्पिक साधन के तौर…

पवन और सौर ऊर्जा वैश्विक बिजली उत्पादन के 12 फीसद के रिकॉर्ड स्तर पर
गोवा ,राजस्थान ,गुजरात ,कर्नाटक, तमिलनाडु, और आंध्र प्रदेश ने लगायी वैश्विक औसत से ऊंची छलांग वर्ष 2022 में पवन और सौर ऊर्जा उत्पादन ने वैश्विक स्तर पर उत्पादित कुल बिजली के 12 प्रतिशत के कीर्तिमानी स्तर को छू लिया है। ऊर्जा क्षेत्र के थिंक टैंक एम्बर की आज जारी एक अहम रिपोर्ट में यह तथ्य…

IFC ने की नई कोयला परियोजनाओं की फंडिंग बंद करने की घोषणा
विश्व बैंक की निजी क्षेत्र की शाखा, अंतर्राष्ट्रीय वित्त निगम (IFC) ने साफ कर दिया है कि वह नई कोयला परियोजनाओं में निवेश का समर्थन नहीं करेगी।IFC बैंकों और अन्य वित्तीय संस्थानों को धन देता है जो बदले में बुनियादी ढांचे और ऊर्जा परियोजनाओं को उधार देते हैं। IFC ने कथित तौर पर भारत में…

कोयला बिजली: नए निवेशों की रफ्तार धीमी, पुराने प्लांटों को बंद करने पर स्थिति असपष्ट
ग्लोबल एनेर्जी मॉनिटर के नौवें वार्षिक सर्वे की मानें तो भविष्य में अपने कोयले के इस्तेमाल को लेकर भारत वैश्विक स्तर पर मिले जुले संकेत भेजता रहा है। कोल प्लांट पाइप लाइन पर होने वाले इस सर्वे के मुताबिक़ जहां एक ओर नयी कोयला बिजली परियोजनाओं की कमीशनिंग बीते वर्षों में अपने निचले स्तर पर रही है, वहीं नई परियोजनाओं के लिए प्लान भी बन रहे हैं और पुराने कम आउटपुट और एफ़िशियेन्सी वाले प्लांटों को बंद करने की कोई स्पष्ट योजना नहीं दिख रही। रिपोर्ट से पता चलता है कि भारत ने 2022 में केवल 3.5 गीगावाट (GW) नई कोयला बिजली क्षमता पर खर्च किया है। 2020 में होने वाली महामारी की मंदी को छोड़ दें तो, यह 2014 के उच्च…