फ्रांसीसी राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रॉन नकी मानें तो जून 22 और 23 को होने वाली समिट फॉर आ न्यू ग्लोबल फ़ाइनेंष्यल पेक्ट का उद्देश्य गरीबी, जलवायु परिवर्तन और पर्यावरण संरक्षण जैसी परस्पर वैश्विक चुनौतियों का समाधान करने के लिए एक “नई आम सहमति” स्थापित करना है। इस शिखर सम्मेलन में शिपिंग, जीवाश्म ईंधन और वित्तीय लेनदेन के कराधान सहित विभिन्न…
Category: जलवायु नीति
हर साल 1.5 TW नई विंड और सोलर क्षमता जुड़ने से 2030 तक लग सकती है ग्लोबल वार्मिंग पर लगाम
एक नए विश्लेषण से यह पता लगता है कि कार्बन डाइऑक्साइड रिमूवल (सीडीआर) तकनीक के कम से कम इस्तेमाल और सस्टेनेबिल तरीक़े को अपनाकर अगर हम ग्लोबल वार्मिंग को 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित करना चाहते हैं तो 2030 तक पांच गुना तेज़ दर से हमें 1.5 टेरा वाट (TW) नई विंड और सोलर ऊर्जा क्षमता को स्थापित करने की ज़रुरत है। वैश्विक पवन और सौर क्षमता को इस दशक के अंत तक लगभग 10 TW तक बढ़ाने की ज़रुरत है। साल 2022…
बिना कानूनी बाध्यता के मौजूदा नेट ज़ीरो संकल्पों से दुनिया नहीं हासिल कर पाएगी जलवायु लक्ष्य
प्रतिष्ठित जर्नल साइंस में प्रकाशित, इंपीरियल कॉलेज लंदन के नेतृत्व में हुए एक नए अध्ययन से पता चलता है कि जब तक कानूनी रूप से और अधिक बाध्यकारी और सुनियोजित नेट ज़ीरो नीतियाँ नहीं होंगी, दुनिया के तमाम देश अपने प्रमुख जलवायु लक्ष्यों को हासिल नहीं कर पाएंगे। शोधकर्ताओं ने पाया कि वैश्विक स्तर पर…
डीसेंट्रालाइज्ड सोलर बढ़ा सकता है किसानों की आय, कर सकता है भारत की जलवायु लक्ष्यों को पूरा करने में मदद
एक नयी रिपोर्ट के अनुसार सरकार की, प्रधान मंत्री किसान ऊर्जा सुरक्षा एवं उत्थान महाभियान (पीएम-कुसुम) योजना के तहत डीसेंट्रालाइज्डया विकेंद्रीकृत सौर संयंत्रों के प्रयोग से न सिर्फ किसानों की आय में वृद्धि हो सकती है, बल्कि भारत को 2030 तक गैर-जीवाश्म बिजली क्षमता का 50% तक पहुंचने में मदद मिलने के साथ बिजली वितरण…
ग्लोबल वॉर्मिंग को लेकर भारत में 82 प्रतिशत लोग सतर्क और चिंतित
इनमे से अधिकांश लोग जलवायु और ऊर्जा नीतियों के पक्ष में सतर्क, चिंतित ,और फिक्रमंद हैं येल प्रोग्राम ऑन क्लाइमेट चेंज कम्युनिकेशन और सीवोटर इंटरनेशनल की एक नई रिपोर्ट के मुताबिक़, भारत में एक बड़ी संख्या में जनता ग्लोबल वार्मिंग के बारे में चिंतित है।‘ग्लोबल वार्मिंग्स फ़ोर इंडियाज़, 2022’ के शीर्षक की यह रिपोर्ट चार…
नहीं थमी रही जलवायु परिवर्तन कि गति: WMO
विश्व मौसम विज्ञान संगठन (डब्ल्यूएमओ) की वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार, पहाड़ की चोटियों से लेकर समुद्र की गहराई तक, जलवायु परिवर्तन ने 2022 में अपनी प्रगति बरक़रार रखी।सूखा, बाढ़ और गर्मी की लहरों ने हर महाद्वीप पर समुदायों को प्रभावित किया और इनसे निपटने में कई अरब डॉलर खर्च किए गए। अंटार्कटिक समुद्री बर्फ रिकॉर्ड…
स्वास्थ्य क्षेत्र के लिए अपना कार्बन एमिशन कम करना ज़रूरी
वैश्विक स्तर पर शुद्ध ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन के मामले में स्वास्थ्य क्षेत्र पांचवें स्थान पर है। ऐसे में देश की स्वास्थ्य क्षेत्र की तैयारियों को जलवायु परिवर्तन के दृष्टिगत संबोधित करने के महत्व पर चर्चा करने के लिए, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय (MoHFW) के साथ साझेदारी में एशियाई विकास बैंक ने आज गोवा में G20 के लिए स्वास्थ्य कार्य समूह में एक…
न्यायसंगत एनेर्जी ट्रांज़िशन में प्राइवेट फायनेंस की भूमिका महत्वपूर्ण : अमिताभ कांत
न्यायसंगत एनेर्जी ट्रांज़िशन पर एक बार फिर ध्यान खींचने के इरादे से इंटरनेशनल फोरम फॉर एनवायरनमेंट, सस्टेनेबिलिटी, एंड टेक्नालजी (iForest) ने दिल्ली में इस विषय के तमाम नीतिगत और वित्तीय पहलुओं पर बात करने के लिए पहला ग्लोबल जस्ट ट्रांज़िशन डायलॉग आयोजित किया। इस आयोजन का उद्देश्य जस्ट ट्रांज़िशन, या न्यायसंगत एनेर्जी ट्रांज़िशन, के राष्ट्रीय…
न्यायसंगत एनेर्जी ट्रांज़िशन फायनेंसिंग में निभा सकता है भारत महत्वपूर्ण भूमिका: विशेषज्ञ
जी20 देशों के अध्यक्ष के रूप में भारत के पास वैश्विक स्तर पर न्यायसंगत ट्रांज़िशन के वित्तपोषण तथा कई अन्य पहलुओं पर महत्वपूर्ण भूमिका निभाने का मौका है। इन पहलुओं में लो कॉस्ट लॉन्ग टर्म रेजीलियंस इन्वेस्टमेंट और जलवायु परिवर्तन के कारण होने वाली क्षति की भरपाई के लिये आमदनी के नए जरिए तलाशने के…
तत्काल जलवायु कार्रवाई कर सकती है सभी के लिए एक बेहतर भविष्य सुनिश्चित: संयुक्त राष्ट्र
बात मानव जनित जलवायु परिवर्तन के लिए स्वयं को ऍडाप्ट करने की हो या ग्रीनहाउस गैस एमिशन को कम करने की हो, तो इस बात में कोई दो राय नहीं कि अब हमारे पास इन दोनों ही समस्याओं के समाधान के लिए तमाम व्यावहारिक और प्रभावी विकल्प उपलब्ध हैं। कमी है तो सिर्फ नीतिगत फैसलों…