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Category: जलवायु नीति

COP29 में CBAM पर तीखा मतभेद: विकासशील और विकसित देशों के बीच व्यापारिक नीतियों पर टकराव

Posted on November 12, 2024

बकू, अज़रबैजान में चल रहे COP29 के जलवायु सम्मेलन के पहले दिन का आरंभिक सत्र विवादों के चलते देरी से शुरू हुआ, क्योंकि भारत और चीन जैसे विकासशील देशों ने सम्मेलन के एजेंडा में यूरोपीय संघ के कार्बन बॉर्डर एडजस्टमेंट मैकेनिज्म (CBAM) को शामिल करने की मांग की, जिसका अमीर देशों ने कड़ा विरोध किया।…

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डोनाल्ड ट्रम्प की दोबारा नियुक्ति डालेगी एनर्जी ट्रांज़िशन पर असर

Posted on November 8, 2024

इस सप्ताह अमेरिका के राष्ट्रपति पद पर डोनाल्ड जे. ट्रम्प की दोबारा नियुक्ति के बाद, जॉन्स हॉपकिन्स विश्वविद्यालय की “नेट जीरो इंडस्ट्रियल पॉलिसी लैब” ने खुलासा किया है कि अमेरिका के क्लीन एनर्जी से पीछे हटने से वैश्विक बाजारों में करीब $80 बिलियन के नए अवसर पैदा हो सकते हैं, जबकि अमेरिकी कंपनियों को लगभग $50 बिलियन के निर्यात राजस्व का…

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कार्बन टैक्स बनाम व्यापार: क्या भारत जलवायु प्रतिबद्धताओं और व्यापारिक हितों को संतुलित कर सकता है?

Posted on October 10, 2024

हाल ही में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने यूरोपीय संघ (EU) के कार्बन बॉर्डर एडजस्टमेंट मैकेनिज्म (CBAM) को “एकतरफा और अनुचित” करार दिया। उनका कहना है कि यह नियम भारतीय उद्योगों के लिए हानिकारक है और इससे अंतरराष्ट्रीय व्यापार में असंतुलन पैदा होगा। उन्होंने यह भी साफ किया कि CBAM जैसे मुद्दे भारत और EU…

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कार्बन सीमा समायोजन तंत्र हो और व्‍यावहारिक: विशेषज्ञ

Posted on September 20, 2024

यूरोपीय संघ (ईयू) के कार्बन सीमा समायोजन तंत्र (सीबीएएम) वैश्विक व्यापार को नया आकार दे रहा है और दुनिया भर की अर्थव्यवस्थाओं, खास तौर से विकासशील देशों के लिए नई जटिलताएँ भी पेश कर रहा है। अन्य जी7 देशों द्वारा इसी तरह के उपायों पर विचार किए जाने के साथ हम इस बारे में कई…

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2024 का केंद्रीय बजट: ऊर्जा और पर्यावरण पर ध्यान  

Posted on July 24, 2024

क्लाइमेट चेंज की चुनौती से निपटने और टिकाऊ विकास को बढ़ावा देने के लिए मजबूत प्रतिबद्धता का प्रदर्शन करते हुए, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कल 2024-25 के लिए केंद्रीय बजट पेश किया। कुल बजटीय आवंटन ₹48.21 लाख करोड़ रुपये के साथ, यह बजट रिन्यूबल एनेर्जी, जलवायु अनुकूलन और पर्यावरणीय स्थिरता पर जोर देता है।  एक नज़र बजट की मुख्य बातों पर   पीएम सूर्य घर मुफ्त बिजली योजना  इस महत्वाकांशी पहल का लक्ष्य 1 करोड़ घरों में रूफटॉप सौर पैनल लगाना है, जिससे हर महीने 300 यूनिट तक मुफ्त बिजली मिलेगी। ₹6,250 करोड़ रुपये के आवंटन के साथ, यह कार्यक्रम गैर-रिन्यूबल एनेर्जी पर निर्भरता कम करने और रिन्यूबल एनेर्जी अपनाने को बढ़ावा देने के लिए प्रभावी है।  पम्प्ड स्टोरेज परियोजनाएं  रिन्यूबल एनेर्जी को बिजली ग्रिड में एकीकृत करने में स्थिरता लाने के लिए, सरकार पम्प्ड स्टोरेज परियोजनाओं को बढ़ावा देने की योजना बना रही है। ये परियोजनाएं रिन्यूबल एनेर्जी स्रोतों के परिवर्तनशील स्वरूप को प्रबंधित करने में मदद करेंगी, जिससे एक विश्वसनीय बिजली आपूर्त्ति सुनिश्चित होगी।  परमाणु ऊर्जा विकास  बजट में भारत स्मॉल रिएक्टर और भारत स्मॉल मॉड्यूलर रिएक्टर विकसित करने के लिए निजी क्षेत्र के साथ साझेदारी करने की योजना है। इसमें नई परमाणु प्रौद्योगिकियों के अनुसंधान और विकास के लिए समर्थन भी शामिल है।  आवश्यक खनिज मिशन  नया महत्वपूर्ण खनिज मिशन विभिन्न रणनीतिक क्षेत्रों के लिए आवश्यक महत्वपूर्ण खनिजों के घरेलू उत्पादन, पुनर्चक्रण और अधिग्रहण को बढ़ावा देगा। यह मिशन प्रौद्योगिकी विकास, कर्मचारियों के प्रशिक्षण और वित्तपोषण व्यवस्था स्थापित करने पर ध्यान केंद्रित करेगा।  उन्नत अति महत्वपूर्ण ताप विद्युत संयंत्र (एयूएससी)  एनटीपीसी और बीएचईएल के सहयोग से, उच्च दक्षता वाली बिजली उत्पादन के लिए 800 मेगावाट का एयूएससी तकनीक वाला थर्मल पावर प्लांट स्थापित किया जाएगा।  पारंपरिक उद्योगों के लिए समर्थन  अधिक टिकाऊ प्रथाओं को बढ़ावा देने के लिए, 60 पारंपरिक लघु और कुटीर उद्योगों के समूहों में ऊर्जा जांच और स्वच्छ ऊर्जा अपनाने के लिए वित्तीय सहायता प्रदान की जाएगी।  जलवायु अनुकूलन और शमन के प्रयास   जलवायु के अनुकूल कृषि  सरकार 109 उच्च उपज देने वाली, जलवायु-सहने वाली फसल किस्मों को जारी करेगी और 1 करोड़ किसानों को प्राकृतिक खेती अपनाने के लिए प्रोत्साहित करेगी।  कृषि के लिए डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना  कृषि में डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना (डीपीआई) के कार्यान्वयन में 400 जिलों में खरीफ फसल का डिजिटल सर्वेक्षण और 6 करोड़ किसानों और उनकी जमीन को रजिस्ट्री में शामिल करना शामिल है।  जलवायु वित्त के लिए वर्गीकरण  जलवायु अनुकूलन और कमी के प्रयासों के लिए पूंजी की उपलब्धता बढ़ाने के लिए जलवायु वित्त के लिए एक नया वर्गीकरण प्रणाली विकसित की जाएगी।  बाढ़ प्रबंधन और पुनर्निर्माण के लिए वित्तीय सहायता  बजट में बिहार, असम, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड और सिक्किम जैसे बाढ़ प्रभावित राज्यों में…

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बदलते, बिगड़ते मौसम पर लिखने वाले पत्रकारों को अधिक प्रशिक्षण की जरूरत: रिपोर्ट

Posted on February 29, 2024

साल-दर-साल बढ़ती तपिश मीडिया के लिए भी खबरों का एक प्रमुख विषय बन चुकी है। एक अध्ययन के मुताबिक खास तौर पर भाषायी प्रकाशनों में काम कर रहे पत्रकारों को इस गूढ़ विषय के बारे में और प्रशिक्षित करने की जरूरत है।ब्रिटेन के स्कूल ऑफ़ जियोग्राफी एंड द एनवायरनमेंट के विशेषज्ञ जेम्स पेंटर, ऑस्ट्रेलिया स्थित…

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जलवायु जागरूकता पर एमिटी छात्रों की फिल्म ‘दी नेक्स्ट लेसन’ को मिला प्रथम पुरस्कार

Posted on February 19, 2024

धरती के वातावरण में पर्यावरण प्रदूषण और प्राकृतिक संसाधनों के अंधाधुंध दोहन के करण होने वाले बदलाव अब खतरनाक रूप लेते जा रहे हैं। धरती पर जीवन फलता-फूलता रहे इसके लिए त्वरित प्रभावी प्रयास करने होंगे।क्लाइमेट चेंज पर जनजागरूकता के लिए प्रमुख जन संचार संस्थानों में से एक एमिटी स्कूल ऑफ कम्युनिकेशन (एएससीओ) और क्लाइमेट…

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इंडिया एनेर्जी वीक: क्या ग्रीन हाइड्रोजन बनेगी गेम चेंजर?

Posted on February 8, 2024

गोवा में चल रहा इंडिया एनर्जी वीक 2024 भारत के ऊर्जा भविष्य की रोमांचक तस्वीर दिखा रहा है. क्लीन एनेर्जी, महत्वाकांक्षी जलवायु लक्ष्य और एनेर्जी सेक्युर्टी पर जोर के साथ, इस कार्यक्रम में कई प्रमुख घटनाक्रम सामने आए हैं, खासकर हाइड्रोजन का बढ़ता महत्व. लेकिन यहाँ बड़ा सवाल ये उठता है कि ये घटनाक्रम भारतीय…

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केंद्रीय बजट 2024-25: जलवायु कार्रवाई के प्रति सरकार की प्रतिबद्धता साफ़

Posted on February 1, 2024

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आज अंतरिम बजट पेश किया, जिसमें ऐसे व्यापक उपायों का उल्लेख किया गया जो ग्रीन एनेर्जी, पर्यावरणीय स्थिरता और जलवायु कार्रवाई के प्रति सरकार की प्रतिबद्धता को रेखांकित करता है। बजट ऊर्जा क्षेत्र पर रणनीतिक ध्यान केंद्रित करता है, जो एक अधिक टिकाऊ और पर्यावरण के प्रति जागरूक भविष्य की…

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COP28: कुछ कदमों की प्रगति, लेकिन जरूरत बड़ी छलांग की

Posted on December 14, 2023

दुबई में सम्पन्न हुई COP28 अब तक के अपने इतिहास की सबसे बड़ी जलवायु वार्ता के रूप में याद की जाएगी. इतना ही नहीं, इस सम्मेलन को और भी तमाम वजहों से याद किया जाएगा और इन सभी वजहों के मिश्रित प्रभाव से यह COP एक ऐतिहासिक सम्मेलन बनता दिख रहा है. इस महत्वपूर्ण सम्मेलन के परिणामों का विश्लेषण करना न सिर्फ एक…

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