निशान्त
रविवार को दिल्ली में G20 शिखर सम्मेलन के आखिरी दिन प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा ब्राजील के राष्ट्रपति लुइज़ इनासियो लूला दा सिल्वा को G20 की गैवेल दिये जाने के साथ ही इस महत्वपूर्ण बैठक का समापन हुआ और इसकी अध्यक्षता का हस्तांतरण भी। अगली G20 बैठक ब्राज़ील में होगी।
फिलहाल बात दिल्ली में समाप्त हुई इस साल की बैठक की करें तो यह आयोजन भारत के लिए न सिर्फ एक महत्वपूर्ण कूटनीतिक जीत साबित हुई, बल्कि जलवायु परिवर्तन से निपटने में भारत के बढ़ते नेतृत्व को भी दुनिया को दिखा गयी।
शिखर सम्मेलन के दौरान, G 20 ने सर्वसम्मति से दिल्ली डेक्लेरेशन को अपनाया। उभरे हुए मतभेदों, ख़ासकर खासकर यूक्रेन संकट के मद्देनजर, यह एक उल्लेखनीय उपलब्धि थी। इस घोषणा में वैश्विक अर्थव्यवस्था का समर्थन करने, निम्न और मध्यम आय वाले देशों में ऋण कमजोरियों को संबोधित करने के लिए समन्वित प्रयासों पर जोर दिया गया।
83-पैराग्राफ के दिल्ली डिक्लेरेशन का एक मुख्य आकर्षण ग्रीन डेवलपमेंट समझौते और सस्टेनेबल डेवलपमेंट गोल्स के माध्यम से समावेशी जलवायु कार्रवाई का प्रस्ताव करने में भारत का नेतृत्व था। G20 समूह में अफ्रीकी संघ को शामिल करने से वैश्विक मंच पर समावेशिता के प्रति भारत की प्रतिबद्धता भी प्रदर्शित हुई।
अपने शुरुआती भाषण में, प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने जी20 के भीतर आम सहमति बनाने में भारत की भूमिका को रेखांकित करते हुए, विश्व नेताओं से एक-दूसरे पर भरोसा और विश्वास बढ़ाने का आह्वान किया।
कुछ खास बातें
G20 देशों ने 2030 तक वैश्विक रिन्यूबल एनेर्जी क्षमता को तीन गुना करने और राष्ट्रीय परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए कोयला बिजली को चरणबद्ध तरीके से कम करने के प्रयासों में तेजी लाने की महत्वपूर्ण प्रतिबद्धता जताई। हालाँकि घोषणा में तेल और गैस सहित सभी प्रदूषण फैलाने वाले फ़ोसिल फ्यूल को चरणबद्ध तरीके से ख़त्म करने पर साफ़ साफ़ कुछ नहीं कहा गया है, लेकिन इसने पिट्सबर्ग में अप्रभावी फ़ोसिल फ्यूल सब्सिडी को खत्म करने और तर्कसंगत बनाने के 2009 के वादे को बरकरार रखा।
विशेषज्ञों ने नेट ज़ीरो एमिशन प्राप्त करने के लिए रिन्यूबल एनेर्जी का रुख करने और बेरोकटोक फ़ोसिल फ्यूल को चरणबद्ध तरीके से समाप्त करने के महत्व पर ध्यान दिया। उन्होंने ऐसी कार्यवाही की आवश्यकता पर बल देते हुए सभी फ़ोसिल फ्यूल को चरणबद्ध तरीके से समाप्त करने की भारत की महत्वाकांक्षा पर भी प्रकाश डाला।
जलवायु थिंक टैंक E3G में भारत की प्रमुख मधुरा जोशी ने इस बात पर जोर दिया कि “रिन्यूबल एनेर्जी को बढ़ाने के लिए फ़ोसिल फ्यूल को चरणबद्ध तरीके से कम किया जाना चाहिए – दोनों ही न्यायसंगत एनेर्जी ट्रांज़िशन और नेट-ज़ीरो दुनिया के लिए अपरिहार्य हैं।”
भारत के जी20 शेरपा अमिताभ कांत ने नेताओं की घोषणा को “जलवायु कार्रवाई पर संभवतः सबसे जीवंत, गतिशील और महत्वाकांक्षी दस्तावेज़” बताया।
अगली संयुक्त राष्ट्र जलवायु वार्ता के अध्यक्ष सुल्तान अल जाबेर ने, यह मानते हुए कि ये 20 देश वैश्विक उत्सर्जन का 80% हिस्सा बनाते हैं, इस महत्वपूर्ण प्रगति के लिए जी20 की प्रशंसा की। उन्होंने विशेष रूप से 2030 तक रिन्यूबल एनेर्जी को तीन गुना करने की प्रतिबद्धता पर बधाई दी।
यहाँ याद करना ज़रूरी होगा कि जी20 ऊर्जा मंत्रिस्तरीय बैठक में, यह सऊदी अरब ही था जिसने फ़ोसिल फ्यूल को चरणबद्ध तरीके से बंद करने के प्रयासों के विरोध का नेतृत्व किया था। और अब, इस शिखर सम्मेलन के डेक्लेरेशन में फ़ोसिल फ्यूल फेज़डाउन या फेज़ आउट का उल्लेख न होने से पता चलता है कि बातचीत के दौरान खाड़ी देश की इस मामले में जीत हुई।
लेकिन इसके बावजूद, G20 देशों ने पेरिस समझौते में उल्लिखित ग्लोबल वार्मिंग को 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित करने के लिए वैश्विक ग्रीनहाउस गैस एमिशन में तेजी से कटौती की आवश्यकता को दिल्ली डिक्लेरेशन में भी पहचाना।
एक्सपर्ट्स ने किया स्वागत
अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन (आईएसए) के महानिदेशक डॉ. अजय माथुर ने कहा, “भारतीय जी20 प्रेसीडेंसी ने एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हुए मानव-केंद्रित दृष्टिकोण की ओर बदलाव को प्रेरित किया, वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं में लचीलेपन पर जोर दिया, और वैश्विक संस्थान सुधार के माध्यम से बहुपक्षवाद को बढ़ावा दिया। साथ ही, अफ्रीकी संघ की G20 सदस्यता के पैरवी करते हुए भारत ने ग्लोबल साउथ, या विकासशील दुनिया, की आवाज़ बनने का भी काम किया है।”
मधुरा जोशी, इंडिया लीड, E3G, क्लाइमेट थिंक-टैंक, का मानना है, “इस G20 ने कई चीजें पहली बार की, जिसमें अफ्रीकी संघ की G20 सदस्यता, और वैश्विक रिन्यूबल एनेर्जी क्षमता को तीन गुना करने, ऊर्जा दक्षता दरों को दोगुना करने और किफायती वित्त के लिए बहुपक्षीय बैंकों में सुधार के महत्वपूर्ण निर्णय शामिल हैं।”
परिणामों की सराहना करते हुए, क्लाइमेट ट्रेंड्स की निदेशक, आरती खोसला ने कहा, “भारत की अध्यक्षता में जी20 नेताओं के शिखर सम्मेलन में सस्टेनेबिलिटी को मुख्य सूत्र बनाए रखा। वैश्विक रिन्यूबल एनेर्जी को तीन गुना करना और बहुपक्षीय विकास बैंक क्षमता को बढ़ाना एक आशाजनक बात है। लेकिन फ़ोसिल फ्यूल का फेज़ डाउन का ज़िक्र न होना कुछ अखरता है।”
इसके अलावा, इंस्टीट्यूट फॉर एनर्जी इकोनॉमिक्स एंड फाइनेंशियल एनालिसिस (आईईईएफए) की ऊर्जा विश्लेषक पूर्वा जैन ने कहा, “G20 शिखर सम्मेलन में ग्लोबल बायोफ्यूल्स एलायंस का शुभारंभ क्लीन फ्यूल के प्रति भारत की प्रतिबद्धता को दर्शाता है, जो नेट जीरो लक्ष्यों को पूरा करने के लिए महत्वपूर्ण है।”
इसी तरह, एम्बर के एशिया प्रोग्राम लीड, आदित्य लोला ने कहा, “2030 तक वैश्विक रिन्यूबल क्षमता को तीन गुना करने की G20 की प्रतिबद्धता एक महत्वपूर्ण कदम है, जो 1.5 डिग्री लक्ष्य के साथ जुड़ी है और सीओपी28 समझौतों के लिए मिसाल कायम कर रही है।”
असहमति की आवाजें
जहां एक ओर G20 के नतीजों को काफी हद तक समर्थन मिला, कुछ असहमतिपूर्ण आवाजें भी हैं। व्यापार और खाद्य नीति विश्लेषक देविंदर शर्मा का मानना है, “2030 तक ‘जीरो हंगर’ लक्ष्य के बीच वैश्विक जैव ईंधन गठबंधन या बायोफ़्यूल अलायंस बनाना एक ऐतिहासिक भूल है। फिलहाल ऑटोमोबाइल के बजाय इंसानों को खाना खिलाने को प्राथमिकता देने की ज़रूरत है।”
उन्हीं की तरह, फ्राइडेरिक रोडर, ग्लोबल सिटीजेन्स के यूरोपियन यूनियन और जी20 एडवोकेसी एंड फायनेंसिंग के वरिष्ठ निदेशक, ने अफसोस जताते हुए कहा, “2030 तक उत्सर्जन को 43% तक कम करने पर आईपीसीसी के निष्कर्षों को मान्यता देते हुए, जी20 केवल कोयला ही नहीं, बल्कि सभी फ़ोसिल फ्यूल को चरणबद्ध तरीके से समाप्त करने पर ध्यान देने में विफल रहा है, जो दुनिया को एक नकारात्मक संकेत भेज रहा है।”
क्लाइमेट एक्शन नेटवर्क के कार्यकारी निदेशक, तसनीम एस्सोप, परिणाम से खुश नहीं दिखे और कहा, “80% से अधिक वैश्विक उत्सर्जन के लिए जिम्मेदार जी20 देशों ने फिर से जलवायु संकट के मूल कारण – जीवाश्म ईंधन की उपेक्षा की है, जो घोषणा में एक स्पष्ट चूक है।”
चलते चलते
G20 ने सर्कुलर कार्बन अर्थव्यवस्था और तकनीकी विकास सहित विभिन्न दृष्टिकोणों के महत्व को पहचानते हुए, सदी के मध्य तक वैश्विक शुद्ध-शून्य ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को प्राप्त करने की अपनी प्रतिबद्धता दोहराई है। साथ ही, शिखर सम्मेलन ने जलवायु योजनाओं को प्रभावी ढंग से लागू करने के लिए विकासशील देशों की वित्तीय जरूरतों को मान्यता दी, जिसमें ग्लोबल वार्मिंग को 2 डिग्री सेल्सियस से नीचे सीमित करने पर ध्यान केंद्रित किया गया।
लेकिन 2050 तक नेट ज़ीरो एमिशन हासिल करने के लिए, महत्वपूर्ण निवेश और जलवायु वित्त को बढ़ाना महत्वपूर्ण है। जी20 ने विकसित देशों से 2025 तक अपने एडाप्टेशन फ़ाइनेंस के बजट को दोगुना करने का आह्वान किया और सालाना क्लाइमेट फ़ाइनेंस में संयुक्त रूप से 100 बिलियन अमरीकी डालर जुटाने की अपनी प्रतिबद्धता की पुष्टि की, इस उम्मीद के साथ की क्लाइमेट फ़ाइनेंस के इस लक्ष्य को 2023 में पहली बार हासिल किया जाएगा।
तो कुल मिलाकर, 2023 में G20 की भारत की अध्यक्षता कूटनीतिक सफलता काही जाएगी, विशेष रूप से जलवायु नेतृत्व के क्षेत्र में, क्योंकि शिखर सम्मेलन के नतीजे जलवायु परिवर्तन को संबोधित करने और वैश्विक सहयोग को बढ़ावा देने के लिए भारत की प्रतिबद्धता को दर्शाते दिखे।