जिस तरह से राजनीतिक और आर्थिक निर्णयों में प्रकृति को महत्व दिया जाता है, वह वैश्विक जैव विविधता संकट का न सिर्फ एक प्रमुख घटक है बल्कि इसे संबोधित करने का एक महत्वपूर्ण अवसर भी है। यह कहना है दुनिया के 82 शीर्ष वैज्ञानिकों और विशेषज्ञों का एक चार साल के मूल्यांकन के बाद। आईपीबीईएस की…
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सिर्फ़ सर्दियों में नहीं, गर्मियों में भी वायु प्रदूषण एक बड़ी समस्या
जहां आमतौर पर यह माना जाता है कि वायु प्रदूषण सर्दियों के दौरान होने वाली समस्या है, वहीं 10 शहरों के गर्मियों के दौरान जुटाये गए सरकारी डाटा पर नज़र डालें तो पता चलता है कि गर्मियों के महीनों में पीएम2.5 और पीएम10 के प्रति माह स्तर इन ज्यादातर महीनों में क्रमशः 40 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर और 60 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर की…

इस RWA’ संगठन ने नगर निगम चुनाव से पहले रखी बेहतर हवा और गवर्नेंस की मांग
देश के तमाम नागरिक संगठनों के लिए एक अनुकरणीय उदाहरण प्रस्तुत करते हुए दिल्ली नगर निगम के आसन्न चुनाव से पहले देश की राजधानी के यूनाइटेड रेजिडेंट्स ज्वाइंट एक्शन (ऊर्जा) ने नगर निगम की नयी सरकार के लिये अपनी मांगों की सूची जारी की है। ऊर्जा देश की राजधानी के 2500 से ज्यादा रेजिडेंट्स वेलफेयर…

दुनिया की हर छठी मौत के लिए प्रदूषण था ज़िम्मेदार: द लांसेट
वर्ष 2019 में 90 लाख लोगों की मौत का कारण बना वायु प्रदूषण, बीते चार सालों में स्थिति में मामूली सुधार वर्ष 2019 में प्रदूषण करीब 90 लाख लोगों की मौत के लिये जिम्मेदार था। यह दुनिया भर में होने वाली हर छठी मौत के बराबर है। वास्तव में इस संख्या में वर्ष 2015 में…

जलवायु संकट : कोई सार्वभौमिक समाधान नहीं, मगर उम्मीद अभी बाक़ी
आईपीसीसी की ताजा रिपोर्ट इस बात की गवाही देती है कि दुनिया प्रदूषण उत्सर्जन न्यूनीकरण के लक्ष्यों को हासिल कर पाने की राह पर नहीं है। इस मार्ग पर आगे बढ़ने के लिये जरूरी है कि प्रयासों को दोगुना किया जाए और नुकसान को जहां तक हो सके, कम किया जाए। नवरोज़ के दुबाष संयुक्त…

जलवायु परिवर्तन की वित्तीय मार के लिए नहीं हैं भारतीय बैंक तैयार
संयुक्त राष्ट्र द्वारा आयोजित नेट-ज़ीरो बैंकिंग एलायंस में 40 देशों के बैंकों को किया गया सदस्य के रूप में सूचीबद्ध, मगर सूची में नहीं है एक भी भारतीय बैंक जलवायु परिवर्तन का हमारे ऊपर व्यापक असर होता है। और यह नकारात्मक असर सिर्फ शारीरिक नहीं, बल्कि सामाजिक और आर्थिक भी होता है। भारत जैसे विकासशील…

93 फ़ीसद भारतीय ले रहे हैं मौत की सांस
एक ताज़ा जारी वैश्विक रिपोर्ट के अनुसार, 93 प्रतिशत भारतीय ऐसे क्षेत्रों में रहते हैं जहां वायु प्रदूषण का स्तर डब्ल्यूएचओ के मानकों से अधिक है। इस रिपोर्ट से पता चला है कि इसके परिणामस्वरूप भारत में जीवन प्रत्याशा लगभग 1.5 वर्ष कम हो गई है। इस तथ्य का खुलासा अमेरिका के हेल्थ इफेक्ट्स इंस्टीट्यूट (HEI) द्वारा जारी…

राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम के तीन साल: प्रदूषण से अब भी बुरा हाल
देश के 132 शहरों में पार्टिकुलेट मैटर के स्तर को 20-30% तक कम करने के इरादे से पूरे भारत में आज से ठीक तीन साल पहले राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम (NCAP) लागू किया गया। लेकिन इस लागू किए जाने के तीन साल बाद, डाटा से, पता चलता है कि ज़मीनी स्तर पर प्रगति या तो बहुत कम हुई है या…

इस राज्य में अब एक क्लिक से मिलेगी प्रदूषण नियंत्रण योजनाओं की हर जानकारी
औद्योगिक और आर्थिंक रूप से देश के सबसे महत्वपूर्ण राज्य महाराष्ट्र के 18 नॉन अटेनमेंट शहरों के लिये प्रदूषण से निपटने के उद्देश्य से बनायी गयी कार्ययोजनाओं से सम्बन्धित विभिन्न जानकारियों को आम लोगों तक आसानी से पहुंचाने के मकसद से क्लाइमेट ट्रेंड्स और रेस्पाइरर लिविंग साइंसेज द्वारा बनाये गये एक डैशबोर्ड की आज शुरुआत की गयी।…

एयरशेड स्तर के नियंत्रण से 2030 तक दिल्ली की सर्दियों में प्रदूषण 35% तक किया जा सकता है कम: TERI
जब देश की राजधानी में एक बार फिर सांस फूलने लगी है, तब द एनर्जी एंड रिसोर्सेज इंस्टीट्यूट (TERI) के अज जारी अध्ययन से कुछ उम्मीद बंधती है। इस अध्ययन में PM2.5 की सांद्रता को कम करने के तरीकों के साथ भविष्य के विभिन्न परिदृश्यों को प्रस्तुत किया गया है। ‘दिल्ली में वायु प्रदूषण के नियंत्रण के लिए हस्तक्षेपों की लागत-प्रभावशीलता‘ के…