हिमालय और काराकोरम पर्वत श्रंखलाओं में जलवायु परिवर्तन के फुटप्रिंट बिल्कुल खुलकर ज़ाहिर हो गये हैं। इस क्षेत्र को तीसरा पोल भी कहा जाता है और यहां ग्लेशियर पिघल रहे हैं, नुकसानदेह परिघटनाएं हो रही हैं, बर्फबारी की तर्ज में बदलाव हो रहे हैं। ये उन देशों के लिये बुरी खबर है जो पानी की…
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18 देशों के स्वास्थ्य संस्थान हुए संयुक्त राष्ट्र की नेट ज़ीरो दौड़ में शामिल
अगले दस सालों में कार्बन एमिशन को आधा करने और 2050 तक नेट ज़ीरो एमिशन का स्तर प्राप्त करने के लिए 18 देशों में 3,000 से अधिक सुविधाओं का प्रतिनिधित्व करने वाले स्वास्थ्य देखभाल संस्थान प्रतिबद्ध हो गये हैं। रेस टू ज़ीरो अभियान में शामिल होने वाले इन अस्पतालों और स्वास्थ्य प्रणालियों के पहले समूह की घोषणा हेल्थ केयर विदाउट हार्म, रेस टू ज़ीरो हेल्थ…
क्या उत्तराखंड की बढ़ती गर्मी बनी वहाँ जंगलों में लगी आग का सबब?
जंगलों में लगने वाली आग अब तक हमें अमेरिका और ब्राज़ील की याद दिलाती हैं। लेकिन अब, आग लगने की ख़बर हमारे अपने उत्तराखंड के जंगलों से फ़िलहाल आ रही है। अटपटा सिर्फ यही नहीं कि भारत के जंगलों में आग लगी है। जंगलों में आग लगना असामान्य नहीं है लेकिन हैरान करने वाली बात…
उत्तराखंड की 85 फ़ीसद आबादी प्राक्रतिक आपदा से खतरे के मुहाने पर: रिपोर्ट
काउंसिल ऑन एनर्जी, एनवायरनमेंट एंड वाटर (CEEW) द्वारा जारी एक स्वतंत्र विश्लेषण के अनुसार, उत्तराखंड में 85 प्रतिशत से अधिक जिले, जहाँ नौ करोड़ से अधिक लोगों के घर हैं, अत्यधिक बाढ़ और इसके संबंधित घटनाओं के हॉटस्पॉट हैं। यही नहीं, उत्तराखंड में चरम बाढ़ की घटनाओं की आवृत्ति और तीव्रता 1970 के बाद से चार गुना बढ़ गई है। इसी तरह, भूस्खलन, बादल फटने, ग्लेशियल झील…
क्या टल सकती थी चमोली में ग्लेशियर फटने से हुई तबाही?
रविवार को उत्तराखंड के चमोली जिले में नंदादेवी ग्लेशियर के एक हिस्से के टूटने से हुई भारी तबाही क्या टल सकती थी? अगर 2019 में प्रकाशित एक अध्ययन में दी गयी चेतावनी पर ध्यान दिया गया होता तो अगर ये आपदा टल नहीं सकती थी, तो कम से कम इसके जोखिम को कम करने के लिए उचित…