जिस रफ्तार से जलवायु परिवर्तन और सस्टेनेबिलिटी जैसे मुद्दों की प्रासंगिकता बढ़ रही है और आमजन में उसके प्रति रुचि बढ़ रही है, उसके चलते अब पत्रकारों पर ज़िम्मेदारी बढ़ रही है। ऐसा इसलिए क्योंकि इन विषयों पर जानकारी को सटीक और जिम्मेदारी से प्रसारित करने में मीडिया कर्मियों की ख़ास जिम्मेदारी है. और इस वजह से इसलिए सस्टेनेबिलिटी और जलवायु परिवर्तन जैसे मुद्दों की पत्रकारों में बेहतर समझ होना भी काफ़ी ज़रूरी है।
आगे इस नज़र से अगर देखें तो मीडिया के छात्रों, यानी भविष्य के मीडिया कर्मियों, की इसमें भूमिका और भी महत्वपूर्ण हो जाती है। अगर इनके अंदर इन विषयों के प्रति समझ और जागरूकता रहेगी तो इनके माध्यम से आने वाले कल में आमजन के बीच जानकारी का बेहतर और सटीक प्रसार संभव होगा।
इसी बात को समझते हुए दिल्ली स्थित संस्था सेंटर फार मीडिया स्टडीज( सीएमएस) ने ‘कम कार्बन और टिकाऊ विकास (लो कार्बन और सस्टेनेबल डेवलपमेंट) पर मीडिया छात्रों की कम्युनिकेशन क्षमता बढाने के लिए देश की चार बड़े राज्यों में नए कार्यक्रम की शुरुआत की है. कार्यक्रम का उद्देश्य पर्यावरण के प्रति जागरूकता को बढ़ावा देना है। कार्यक्रम के तहत,स्नातकोत्तर मीडिया छात्रों के लिए यूपी,राजस्थान,हिमाचल प्रदेश और हरियाणा में राज्य स्तरीय प्रशिक्षण कार्यशालाएं आयोजित की जा रही हैं.
कार्यक्रम का तीसरा मीडिया छात्र ट्रेनिंग प्रोग्राम केंद्रीय विश्वविद्यालय राजस्थान के संस्कृति और मीडिया विभाग के सहयोग से १६-१७ अक्टूबर को सतत विकास कार्यशाला का आयोजन किया गया.
विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. आनंद भालेराव ने सुझाव दिया कि पर्यावरण पत्रकारिता जैसे विषयों में छात्रों को तकनीकी बारीकियों को समझाने की ज़रुरत है. इसलिए उनका कहना था कि मीडिया छात्रों की क्षमता बढ़ाने के लिए सेंटर फॉर मीडिया स्टडीज जैसी संस्थाओं को पत्रकारिता की भाषा के प्रशिक्षण पर विशेष ध्यान देना चाहिए.
प्रतिभागी छात्रों को संबोधित करते हुए, सेंटर फॉर मीडिया स्टडीज ( सीएमएस) की महानिदेशक डॉ. वासंती राव ने कहा, “कल जब आप फील्ड में काम कर रहे होंगे, तब आपकी आज की यह मेहनत वहाँ काम आएगी। इस विषय पर अगर आप आज अपनी समझ बनाएँगे तो कल आपकी खबरों में न सिर्फ पैनापन आयेगा, बल्कि आपकी खबरों का व्यापक असर भी होगा।“
अपनी प्रतिक्रिया देते हुए, सेंटर फॉर मीडिया स्टडीज की प्रोग्राम एंड एडवोकेसी की निदेशक सुश्री अन्नू आनंद ने कहा, “ऐसे युग में जहां जलवायु परिवर्तन के प्रभाव बड़े पैमाने पर हैं और टिकाऊ विकास एक तत्काल आवश्यकता बन गया है, मीडिया पेशेवरों की भूमिका पहले से कहीं अधिक महत्वपूर्ण हो गयी है। जलवायु परिवर्तन और उससे जुड़े मुद्दों पर सटीक और जिम्मेदारी से जानकारी प्रसारित करने में भविष्य के मीडिया प्रोफेशनल्स की अहम् भूमिका को नकारा नहीं जा सकता.”
ग्रीनटेक नॉलेज सॉल्यूशंस की निदेशक और कार्यशाला में एक प्रशिक्षक सुश्री वर्निका प्रकाश ने कहा कि उद्योग जगत सीधे तौर पर हमारी जीवनशैली की कार्बन सघनता के लिए जिम्मेदार है। आगे, जलवायु विज्ञान संचार विशेषज्ञ और पत्रकार, श्री निशांत सक्सेना ने छात्रों को जलवायु परिवर्तन और टिकाऊ विकास जैसे जटिल से लगने वाले विषयों पर सरल भाषा में सटीक और प्रभावशाली लेखन के तरीकों पर विस्तार से जानकारी दी.
उद्घाटन सत्र में डीन अकादमिक प्रो डी. सी. शर्मा, और स्कूल ऑफ़ सोशल साइंसेज के डीन प्रो. जगदीश जाधव और मीडिया विभाग प्रमुख अमिताभ श्रीवास्तव ने विश्वविद्यालय में शुरुआत से ही सतत विकास पर चल रहे विश्वविद्यालय के प्रयासों संबंधित जानकारी दी. उन्होंने सतत विकास प्रति आम जनता में जागरूकता फैलाने की आवश्यकता पर जोर दिया.
कार्यशाला का पहला दिन निम्न-कार्बन विकास, शहरी नियोजन, और निम्न-कार्बन और सतत विकास सिद्धांतों और नीतियों की आवश्यकता और उनके बेहतर और सटीक सम्प्रेषण जैसे मुद्दों पर पर केंद्रित था।
वहीं कार्यशाला के दुसरे दिन प्रतिभागियों ने तिलोनिया स्थित बेयरफुट कॉलेज का दौरा किया और पर्यावरण संरक्षण में लोक ज्ञान की भूमिका को समझा.
सीएमएस पिछले सात वर्षों से जलवायु परिवर्तन और संबंधित पहलुओं पर मुख्यधारा के मीडिया और मीडिया छात्रों के लिए आकर्षक कार्यक्रम आयोजित कर रहा है। इस वर्ष का क्षमता-निर्माण कार्यक्रम ऑस्ट्रेलियाई उच्चायोग, नई दिल्ली द्वारा समर्थित है।