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इस केस में जलवायु क्षति आंकलन के लिए खुद जज पहुंचे मौका मुआइना करने

Posted on May 28, 2022

एक ऐतिहासिक घटनाक्रम में, पूरी दुनिया को जलवायु परिवर्तन की गाज से बचाने के लिए हुए तमाम मुकदमों में से एक में, जर्मनी के न्यायाधीशों ने पेरू का दौरा किया है जिससे  यूरोप के सबसे बड़े कार्बन उत्सर्जक की वजह से वहाँ होने वाले नुकसान के स्तर को निर्धारित किया जा सके।  यह मामला मानव-जनित ग्लोबल वार्मिंग पर कानूनी दावों के लिए एक मिसाल कायम कर सकता है। 

न्यायाधीशों और अदालत द्वारा नियुक्त विशेषज्ञों ने इस सप्ताह पेरू की कॉर्डिलेरा ब्लैंका पर्वत श्रृंखला में एक हिमनद झील का दौरा किया ताकि यह निर्धारित किया जा सके कि जर्मनी का सबसे बड़ा बिजली प्रदाता, आरडब्ल्यूई, क्या वाकई पेरु में ग्रीनहाउस गैसों में वृद्धि के लिए आंशिक रूप से उत्तरदायी है और जिसकी वजह से वहाँ एक विनाशकारी बाढ़ आ सकती है। 

बर्फ से ढकी चोटियों से घिरी, पेरु की पलकाकोचा झील पिछले पांच दशकों में 34 गुना बढ़ गई है। एक अध्ययन में पाया गया कि ग्लोबल वार्मिंग के कारण हिमनदों के तेज़ी से पिघलने के कारण यह सब हुआ है और इससे झील के नीचे हुआराज़ शहर में एक घातक भूस्खलन के बाद बाढ़ का भयंकर खतरा बन गया है। 

दरअसल पेरू का एक किसान, सौल लुसियानो ललियूआ,अपने घर के पास इस झील से विनाशकारी बाढ़ को रोकने के लिए आवश्यक लागत के एक हिस्से के लिए आरडब्ल्यूई (RWE) पर मुकदमा कर रहा है। सौल लुसियानो ललियूआ हुआराज़ शहर में रहता है।  यह शहर एक ग्लेशियर के पिघलने के कारण एक हिमनद झील के प्रकोप से बाढ़ के खतरे में है। उन्हें झील में जल स्तर को कम करने की आवश्यकता है, जिसकी अनुमानित लागत $3.5 मिलियन है। सौल लुसियानो ललियूआ का तर्क है कि ग्लेशियर का पिघलना जलवायु परिवर्तन के कारण है – एक ऐसा दावा जो वैज्ञानिक अध्ययन द्वारा समर्थित है।  साथ ही उसने आरडब्ल्यूई (RWE) पर शहर की सुरक्षा की लागत का एक आनुपातिक हिस्सा चुकाने का भी दावा किया है। यह दावा €17,000 का है। 

मामले में अदालत पहले ही सहमत हो चुकी है कि अगर यह साबित किया जा सकता है कि ग्लेशियर से बाढ़ का खतरा है और जलवायु परिवर्तन के कारण यह पिघल गया है तो आरडब्ल्यूई (RWE) नुकसान के लिए उत्तरदायी होगा – यह एक महत्वपूर्ण निर्णय है जो किसी अन्य मामले में नहीं लिया गया था।  

मामले से निपटने वाली जर्मन अदालत 24-27 मई के बीच पेरू का दौरा करेगी ताकि यह आकलन किया जा सके कि क्या ग्लेशियर से वास्तव में बाढ़ का खतरा है। यह मुक़दमा 2015 में शुरू हुआ और अब अपने अंतिम चरण में पहुंच रहा है। इस साल के अंत या 2023 की शुरुआत तक फैसला आने की उम्मीद है। 

यह अपनी तरह का पहला अंतरराष्ट्रीय मामला है जिसमें जीवाश्म ईंधन कंपनियों के ग्लोबल वार्मिंग में योगदान को मापा गया है।  आरडब्ल्यूई (RWE) यूरोप के सबसे बड़े कार्बन प्रदूषकों में से एक है। यह वैश्विक ऐतिहासिक कार्बन उत्सर्जन के 0.47% के लिए जिम्मेदार है। 

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1 thought on “इस केस में जलवायु क्षति आंकलन के लिए खुद जज पहुंचे मौका मुआइना करने”

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