निशान्त
इम्पीरियल कॉलेज लन्दन के शोध कर्ताओं ने सड़क पर वाहनों से होने वाले प्रदूषण को कम करने, और सड़क किनारे रहने, चलने वालों के लिए वायु गुणवत्ता सुधारने के लिए बनायी ये अनूठी अवरोधक घुमावदार बैरियर दीवार
सड़क पर बैरियर या अवरोधक का ज़िक्र होते ही ख्याल आता है उन स्पीड ब्रेकर्स का जो रफ़्तार कम करते हैं या फिर नाकाबंदी के चलते रास्ता रोकने के लिए वो पहिये वाली लोहे की टेम्परेरी दीवारें जिनके पीछे पुलिस वाले खड़े रहते हैं।
लेकिन आज आपको बताएँगे सड़क पर लगे एक नए बैरियर की। ये बैरियर रोकता तो है, लेकिन आपको नहीं, वायु प्रदूषण को रोकता है ये बैरियर।
जी हाँ, मॉडर्न ज़माने की समस्याओं के लिए मॉडर्न सोल्यूशन चाहिए। पृथ्वी पर एयर पोल्यूशन एक मॉडर्न समस्या है। और 21वीं सदी की इस मॉडर्न समस्या से निजात दिलाने के लिए वैज्ञानिक लगातार कुछ न कुछ कर रहे हैं। और इसी क्रम में, लंदन के इम्पीरियल कॉलेज के वैज्ञानिकों ने एक ऐसा बैरियर तैयार किया है जो सड़क पर चलने वालों को वायु प्रदूषण के बुरे असर से बचा सकता है।
इस घुमावदार अवरोधक को बनाने से पहले इन शोधकर्ताओं ने सड़क के किनारे लगी संरचनाओं का वायु प्रदूषण पर होने वाले प्रभावों का अध्ययन किया। वैज्ञानिकों को जब इस बात के संकेत मिले की अगर कोई संरचना सही से बने तो पैदल चलने वालों को वायु प्रदूषण के खतरनाक कणों से निजात मिल सकती है, तो उन्होंने दिमाग के घोड़े दौड़ाते हुए, तमाम सोच विचार के बाद ये बैरियर बनाया।
इन वैज्ञानिकों ने दरअसल इसे बनाने के लिए एयरफ्लो मॉडलिंग तकनीकों का उपयोग किया है। मतलब हवा के बहने की दशा और दिशा पर ध्यान लगाया गया।
इसमें कोई दो राय नहीं कि ख़राब एयर क्वालिटी गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं के लिए ज़िम्मेदार है और इससे सबसे ज़्यादा परेशानी उठानी पड़ती है गरीब तपके को। ऐसा इसलिए क्योंकि ये जनता सड़क किनारे, धुंए के बेहद करीब रहती है। इन सबके बीमार पड़ने की सम्भावना भी इसी वजह से ज़्यादा है। और जब समुदाय ऐसे रहेंगे तो उस समाज के बच्चे भी इन प्रदूषकों को अपनी सांस में खींचने पर मजबूर होंगे।
इस बात पर इंपीरियल सेंटर फ़ॉर एनवायर्नमेंटल पॉलिसी की शोधकर्ता डॉ. टिली कोलिन्स, जिन्होंने इस शोध में मुख्य भूमिका निभाई है, अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहती हैं जब उन्होंने ऐसा कुछ पहली बार देखा और प्रदूषण के उस समुदाय के स्वास्थ्य पर पड़ रहे असर के बारे में सोचा तब उन्होंने मन ही मन सोचा, कि इससे निपटने के लिए क्या किया जा सकता है। वो आगे बताती हैं कि उसके बाद उन्होंने सड़कों के साथ लगी दीवारों का प्रदूषण पर प्रभाव पर शोध करना शुरू किया। उनके शोध में यह साफ़ हो गया कि अगर वो दीवारें ण होतीं तो प्रदूषण का असर और भी बुरा हो सकता था।
उन्होंने पहले तो सेण्टर फॉर एनवायर्नमेंटल पालिसी के अपने साथी डॉ. हुव वुडवर्ड और एनर्जी गार्डन के अगमेम्नोन ओटेरियो के साथ एक बड़ा सरल सा मॉडल बनाया जिसमें उन्होंने शहरी डिज़ाइन के ऐसे विचारों की खोज की जो इन हवा के भंवर होने वाले प्रभावों को कम करेगा और पैदल यात्रियों, विशेष रूप से बच्चों, के लिए वायु की गुणवत्ता में सुधार करेगा। उन्होंने फिर जर्नल सिटीज एंड हेल्थ में अपने निष्कर्ष प्रकाशित किए हैं।
जर्मनी और नीदरलैंड में मोटरमार्गों के पर बने हवा को रोकने वाली घुमावदार ध्वनि-दीवारों से प्रेरित होकर इन शोधकर्ताओं ने पाया कि घुमावदार स्ट्रक्चर बेहतर तरह से प्रदूषक तत्वों को फैलने से रोकते हैं और वापस सड़क की और फेंकते हैं जिससे सडक पर चलने वालों को बेहतर हवा मिलती है और उनके लिए वायु गुणवत्ता में बहुत तेज़ी से सुधार होता है। साथ ही, इस घुमावदार स्ट्रक्चर पर पौधे भी लगाये जा सकते हैं जिससे दोगुना फायदा है।
शहर में ऐसे स्ट्रक्चर स्थापित करते समय तमाम चुनौतियाँ आती हैं, जैसे वाहन चालकों को सड़क पर सही व्यू मिलेगा कि नहीं। लेकिन शोधकर्ताओं को भरोसा है कि वायु गुणवत्ता और स्वास्थ्य में होने वाले लाभ तात्कालिक और महत्वपूर्ण हैं। इतने महत्वपूर्ण कि इन विचारों का विकास ज़रूरी है।
वायु गुणवत्ता से परे, ये घुमावदार अवरोध ध्वनि प्रदूषण को भी कम करने में सक्षम हैं।
इस शोध परियोजना के दौरान आने वाली चुनौतियों के बारे में पूछे जाने पर, डॉ. कोलिन्स कहती हैं कि शुरू में लोगों को इस आईडिया के लिए तैयार करना मुश्किल था। लेकिन अब वक़्त है तमाम वैज्ञानिकों, अर्बन प्लानर्स, और वास्तुकारों को मिल कर ऐसे समाधानों को बनाने का जिससे स्थानीय स्तर पर वायु गुणवत्ता में सुधार हो सके और हमारे बच्चों को एक बेहतर कल मिल सके।
लेकिन तमाम परेशानियों के बावजूद डॉ. कॉलिन्स इस परियोजना के भविष्य को लेकर अच्छी उम्मीद रखती हैं। उनका मानना है कि वायु प्रदूषण से जुड़ी चुनौतियों पर ध्यान तो दिया ही जा रहा है लेकिन अब वक़्त है अनुठे और प्रभावी शहरी डिज़ाइन की और ये घुमावदार पोल्यूशन बैरियर इन चुनौतियों से निपटने में सक्षम हैं और इससे आम जनता को काफ़ी फायदा होगा। साफ़ और बेहतर पर्यावरण के लिए ये यक़ीनन एक सार्थक पहल है।
बेहतरीन उपलब्धि, कास्ट भीलगभगउतनीरहेगी पर अपने देश मे पान खा के दीवार रंगने का चलन है
सही कहा आपने।
लेकिन एक शुरुआत ज़रूरी है।