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Climate कहानी

चलिए पढ़ा जाये

93  फ़ीसद भारतीय ले रहे हैं मौत की सांस  

Posted on March 4, 2022

एक ताज़ा  जारी वैश्विक रिपोर्ट के अनुसार, 93 प्रतिशत भारतीय ऐसे क्षेत्रों में रहते हैं जहां वायु प्रदूषण का स्तर डब्ल्यूएचओ के मानकों से अधिक है। इस रिपोर्ट से पता चला है कि इसके परिणामस्वरूप भारत में जीवन प्रत्याशा लगभग 1.5 वर्ष कम हो गई है।   इस तथ्य का खुलासा अमेरिका के  हेल्थ इफेक्ट्स इंस्टीट्यूट (HEI) द्वारा जारी…

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विशेषज्ञों की राय, रूपांतरणकारी दृष्टिकोण अपनाकर ठोस और तात्‍कालिक कदम उठाये जाएं

Posted on March 3, 2022

जलवायु परिवर्तन पर अंतरसरकारी पैनल (आईपीसीसी) की ताजा रिपोर्ट भविष्‍य की एक भयावह तस्‍वीर पेश करती है। रिपोर्ट में कहा गया है कि अगर कार्बन उत्‍सर्जन मौजूदा रफ्तार से बढ़ता रहा तो वर्ष 2100 तक लगभग पूरे भारत में वेट बल्‍ब टेंपरेचर 35 डिग्री सेल्सियस के जानलेवा स्‍तर तक पहुंच जाएगा। विशेषज्ञों का मानना है…

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संयुक्त राष्ट्र की चेतावनी: गर्मी ले लेगी जान अगर नहीं लगी उत्सर्जन पर लगाम

Posted on February 28, 2022

जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र की ताज़ा रिपोर्ट रिलीज़ हो चुकी है और यह रिपोर्ट बेहद खास  है। ख़ास इसलिए क्योंकि इसमें साफ़ तौर पर वैश्विक स्तर पर बढ़ते कार्बन एमिशन और उसकी वजह से बदलती जलवायु का मानवता पर हो रहे असर का ज़िक्र है।जो बात आईपीसीसी (IPCC) वर्किंग ग्रुप 2 (WG2) की इस…

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Just Transition Difficult

फिलहाल मुश्किल है जस्ट ट्रांज़िशन कि राह

Posted on February 18, 2022

भारत के शीर्ष कोयला खनन और कोयला पावर प्लांट पर निर्भर जिलों के लिए जस्ट ट्रांजिशन (न्यायसंगत परिवर्तन) का अर्थ क्या होगा और कैसे जस्ट ट्रांजिशन लाया जा सकता इसे समझने के इरादे से दिल्ली स्थित एनवायरनमेंटल थिंक टैंक, इंटरनेशनल फोरम फॉर एनवायरनमेंट, सस्टेनेबिलिटी एंड टेक्नोलॉजी (iFOREST) ने कोरबा जिले का चयन किया गया और…

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solar mircrogrid

उत्तर प्रदेश और बिहार में सोलर माइक्रोग्रिड लगाने के लिए जारी हुई अब तक की सबसे बड़ी वित्तीय मदद

Posted on February 17, 2022

भारत के ग्रामीण क्षेत्रों में 140 माइक्रोग्रिड बनाने के लिए इस कंपनी को मिला आईआरईडीए से US$4 मिलियन का ऋण एक बेहद उत्साहजनक घटनाक्रम में, ग्रामीण भारत में लगभग डेढ़ सौ सोलर माइक्रोग्रिड लगाने के लिए इंडिया रिन्युब्ल एनेर्जी डेव्लपमेंट एजेंसी (IREDA) ने सवा चार मिलियन डॉलर का ऋण जारी किया है।  यह ऋण मिला…

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आईपीसीसी की यह रिपोर्ट होगी ख़ास, भारत की बनी है नज़र

Posted on February 12, 2022

जलवायु परिवर्तन को लेकर हमारी वल्नरेबिलिटी और उसे ले कर हमारी एडाप्टेशन की क्षमताओं पर केन्द्रित संयुक्त राष्ट्र की इंटरगवर्नमेंटल पैनल ऑन क्लाइमेट चेंज की एक आगामी रिपोर्ट भारत के लिए महत्वपूर्ण साबित होगी।इस महीने की 28 तारीख को जारी होने वाली यह बहुप्रतीक्षित रिपोर्ट वैश्विक और क्षेत्रीय स्तरों पर पारिस्थितिक तंत्र, जैव विविधता और…

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इस बार भी चुनावी विमर्श से गायब है प्रदूषण और जलवायु परिवर्तन का मुद्दा

Posted on February 4, 2022

पूरी दुनिया जलवायु परिवर्तन और प्रदूषण के गंभीर परिणामों का सामना कर रही है, मगर भारत में यह मसला अब भी चुनावी मुद्दा नहीं बनता। आबादी के लिहाज से भारत के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश में इसी महीने से विधानसभा चुनाव होने हैं। हालांकि ज्‍यादातर राजनीतिक दलों ने अभी अपना चुनाव घोषणापत्र जारी नहीं…

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बजट 2022: अंततः जलवायु परिवर्तन पर सरकार की स्पॉटलाइट

Posted on February 1, 2022

निशान्त यह संभवत: पहला केंद्रीय बजट था जिसमें अपने शुरुआती वक्तव्य में किसी वित्त मंत्री ने जलवायु कार्रवाई की प्रासंगिकता को स्वीकार किया और ठोस कदम लेने ले लिए घोषणाएं भी की।वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मंगलवार को 2022-23 के लिए केंद्रीय बजट पेश करते हुए जलवायु परिवर्तन के खिलाफ अपनी लड़ाई में गैर-नवीकरणीय ऊर्जा…

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indian ocean

हिंद महासागर कि बढ़ती गर्मी मानसून पर डाल रही है असर

Posted on February 1, 2022

हिन्द महासागर की बढ़ती गर्मी मॉनसून की बारिश को भी प्रभावित कर रही है। हिन्द महासागर की तेज़ी से गर्मी बढ्ने की वजह है एल नीनो नाम के समुद्री करेंट या महासागर धारा। दरअसल इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ ट्रॉपिकल मीटरोलॉजी (आईआईटीएम), पुणे के वैज्ञानिक रॉक्सी मैथ्यू कोल के नेतृत्व में हुए एक अध्ययन से इन बातों का खुलासा होता है। JGR ओशन्स नाम के जर्नल में प्रकाशित इस अध्ययन में, शोधकर्ताओं ने हिंद महासागर में तेजी से गर्म होने और मजबूत  एल  नीनो  द्वारा प्रभावित समुद्री हीटवेव में उल्लेखनीय वृद्धि की चर्चा की है। समुद्री हीटवेव क्या हैं? समुद्र में अत्यधिक उच्च तापमान (90 परसेंटाइल से ऊपर) के दौर को समुद्री हीटवेव  कहते हैं। इन घटनाओं के कारण कोरल ब्लीचिंग, समुद्री घास के नुक्सान  और केल्प वनों के नुकसान के कारण समुद्री जीवन का विनाश भी होता है, जिससे मत्स्य क्षेत्र पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। समुद्र सतह के  नीचे हुए एक सर्वेक्षण से पता चला है कि तमिलनाडु तट के पास मन्नार की खाड़ी में 85% कोरल , मई 2020 में समुद्री हीटवेव के बाद ब्लीच हो जाते हैं।हालांकि हाल के अध्ययनों ने वैश्विक महासागरों में उनकी घटना और प्रभावों की सूचना दी है, उन्हें उष्णकटिबंधीय हिंद महासागर में कम से कम समझा जाता है। समुद्र के तेजी से गर्म होने की प्रतिक्रिया से हिंद महासागर में समुद्री हीटवेव में वृद्धि ये हीटवेव उष्णकटिबंधीय हिंद महासागर में दुर्लभ हुआ करते थे, लेकिन अब ये एक वार्षिक मामला बन गए हैं। पश्चिमी हिंद महासागर क्षेत्र ने प्रति दशक लगभग देढ़ गुना घटनाओं की दर से समुद्री हीटवेव में सबसे बड़ी वृद्धि का अनुभव किया, इसके बाद प्रति दशक 0.5 घटनाओं की दर से बंगाल की उत्तरी खाड़ी का स्थान है। 1982-2018 के दौरान, पश्चिमी हिंद महासागर में कुल 66 घटनाएं हुईं जबकि बंगाल की खाड़ी में 94 घटनाएं हुईं। मानसून पर प्रभाव पश्चिमी हिंद महासागर और बंगाल की खाड़ी में गर्म समुद्री लहरों का परिणाम मध्य भारतीय उपमहाद्वीप में शुष्कता की स्थिति में पाया जाता है। इसी समय, उत्तरी बंगाल की खाड़ी में गर्म हवाओं की प्रतिक्रिया में दक्षिण प्रायद्वीपीय भारत में वर्षा में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। ये परिवर्तन हीटवेव द्वारा मानसूनी हवाओं के उतार चढ़ाव  के उत्तर में हैं। यह पहली बार है कि एक अध्ययन ने समुद्री हीटवेव और वायुमंडलीय संचालन और वर्षा के बीच घनिष्ठ संबंध का प्रदर्शन किया है। भविष्य की चुनौतियां रौक्सी कोल कहते हैं कि जलवायु मॉडल के अनुमान भविष्य में हिंद महासागर के और अधिक गर्म होने का सुझाव देते हैं, जो बहुत अधिक संभावना है कि समुद्री हीटवेव और मानसून वर्षा पर उनके प्रभाव को तेज करेंगे। उन्होंने ये  भी कहा की चूंकि समुद्री हीटवेव द्वारा कवर की गई आवृत्ति, तीव्रता और क्षेत्र बढ़ रहे हैं, इसलिए हमें इन घटनाओं की सटीक निगरानी करने के लिए अपने महासागर अवलोकन सरणियों को बढ़ाने की जरूरत है, और एक गर्म दुनिया द्वारा प्रस्तुत चुनौतियों की कुशलता से भविष्यवाणी करने के लिए हमारे मौसम मॉडल को अपडेट करना होगा।

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शीतकालीन ओलंपिक 2022: नकली बर्फ बनेगी पर्यावरण के लिए असली खतरा

Posted on January 26, 2022

निशान्त फरवरी में बीजिंग ओलंपिक खेलों में कुछ अभूतपूर्व होगा। दरअसल ऐसा पहली बार होगा जब शीतकालीन ओलंपिक का आयोजन 100 प्रतिशत कृत्रिम बर्फ की मदद से होगा। और ऐसा संभव होगा 100 बर्फ जनरेटर मशीनों और 300 बर्फ बनाने वाली बंदूकों की मदद से। लेकिन वैज्ञानिकों की मानें तो ऐसा करना पर्यावरण के लिए खतरनाक साबित हो सकता है। उनका मानना…

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क्लाइमेट की कहानी, मेरी ज़बानी

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