दो ट्रिलियन रुपये से ज़्यादा के निवेश की सम्भावना के साथ कोविड के बाद की आर्थिक रिकवरी को पर्यावरण अनुकूल और जलवायु तटस्थ बनाने में मिल सकता है ज़बरदस्त बल।
भारत में स्वच्छ ऊर्जा बनाने और उसके उपभोग के प्रयासों की दिशा में बढ़ते हुए, कंसल्टिंग फर्म EY और FICCI (फेडरेशन ऑफ इंडियन चैंबर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री) ने लगभग 2 ट्रिलियन रुपये के इक्विटी निवेश की सम्भावना वाले कम कार्बन निवेश के अवसरों की पहचान की है। इसका सीधा मतलब हुआ कि कोविड के बाद की आर्थिक रिकवरी को पर्यावरण अनुकूल और जलवायु तटस्थ बनाने में मिल सकता है ज़बरदस्त बल।
EY ने एक बयान जारी कर कहा है कि, “EY और FICCI ने 600 से अधिक, कम कार्बन सघन, निवेश के ऐसे अवसरों की पहचान की है जहाँ फ़ौरन काम शुरू किया जा सकता है।” बयान में आगे बताया गया है कि इन परियोजनाओं में 2 लाख करोड़ रुपये की इक्विटी निवेश की सम्भावना है और इनके वित्तपोषण के लिए ऋण की शक्ल में 4 लाख करोड़ रुपये की सम्भावना है।”
ये सभी परियोजनाएं अक्षय ऊर्जा उत्पादन, हरित ऊर्जा उपकरण निर्माण जैसे क्षेत्रों में हैं। यह रिपोर्ट ऐसे समय में आयी है जब भारत दुनिया का सबसे बड़ा स्वच्छ ऊर्जा कार्यक्रम चला रहा है और जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए वैश्विक नेतृत्व की भूमिका की मांग कर रहा है।
बयान में कहा गया है, “EY ने FICCI के सहयोग से आज एक रिपोर्ट जारी की, जिसके शीर्षक का हिंदी अनुवाद है, “भारत में महामारी के बाद स्वच्छ ऊर्जा के बुनियादी ढांचे और नौकरियों के साथ आर्थिक सुधार में तेज़ी”। यह रिपोर्ट भारत सरकार द्वारा COVID स्टीम्युलस पैकिजों के बाद आर्थिक सुधार और जलवायु तटस्थता लक्ष्यों को संतुलित करने के लिए ठोस नीति सिफारिशों पर प्रकाश डालती है।”
अच्छी बात ये है कि कोविड -19 महामारी के कारण हुई वैश्विक उथल-पुथल के बावजूद भारत के स्वच्छ ऊर्जा क्षेत्र में निवेशकों की रुचि मजबूती से बनी हुई है।
सोमेश कुमार, पार्टनर और नेशनल लीडर, पावर एंड यूटिलिटीज़, EY इंडिया, कहते हैं, “हमारे द्वारा पहचानी गई 600 से अधिक कम कार्बन निवेश परियोजनाएं पाइपलाइन में ~ INR 2 लाख करोड़ की इक्विटी और ~ INR 4 लाख करोड़ के प्रोजेक्ट फायनेंस डेट लाने की क्षमता रखती हैं। लेकिन इससे भी अधिक महत्वपूर्ण बात है कि इनमें निकट भविष्य में करीब 15 लाख नई नौकरियों की सम्भावना भी है। साथ ही, रिपोर्ट में दिए गये सुझाव स्वच्छ ऊर्जा परियोजना पाइपलाइन को आगे बढ़ाने में मदद दे सकते हैं और इससे महामारी के बाद की प्रोत्साहन कार्रवाई के अगले चरण को तैयार करने में मदद मिल सकती है। ”
उन्होंने आगे कहा कि नीति निर्माताओं को COVID-19 द्वारा उत्पन्न चुनौतियों की तात्कालिकता पर विचार करने और त्वरित आर्थिक सुधार के लिए मौजूदा स्वच्छ ऊर्जा कार्यक्रमों का लाभ उठाने की आवश्यकता है।