ग्लोबल विंड ऑर्गेनाइजेशन (जीडब्ल्यूओ) और ग्लोबल विंड एनर्जी काउंसिल (जीडब्ल्यूईसी) की एक ताजा रिपोर्ट में वर्ष 2027 तक अनुमानित पवन ऊर्जा संयंत्रों के निर्माण, स्थापना, संचालन और रखरखाव जैसे कार्यों के लिए जरूरी टेक्निशियंस की तादाद के बारे में पूर्वानुमान लगाया गया है। यह रिपोर्ट स्थानीय और राष्ट्रीय सरकारों के सामने अक्षय ऊर्जा के विकास को और बढ़ावा देने के अवसर उपलब्ध कराती है ताकि रोजगार प्रशिक्षण और क्षमता के पुनर्निर्माण के अवसर बढ़ें और ऊर्जा रूपांतरण के लिए एक कार्यकुशल श्रम शक्ति का निर्माण हो।
ग्लोबल विंड वर्कफोर्स आउटलुक 2023-27 के मुताबिक वर्ष 2027 तक पवन ऊर्जा संयंत्रों के निर्माण, स्थापना, संचालन और रखरखाव के लिए 574000 से ज्यादा टेक्निशियंस की जरूरत होगी। हालांकि इस वृद्धि के साथ कदमताल करने के लिए उस श्रम शक्ति का लगभग 43% हिस्सा इस उद्योग में नया होगा। यह कामगार शिक्षा और भर्ती पाइपलाइन से जुड़ेंगे या अपतटीय तेल और गैस जैसे अन्य क्षेत्रों से स्थानांतरित होकर आएंगे।
वार्षिक पवन ऊर्जा संयंत्रों की स्थापना के वर्ष 2022 में 78 गीगावॉट से वर्ष 2027 में दोगुना होकर 155 गीगावॉट हो जाने की संभावना है। इससे अगले मात्र पांच वर्षों के दौरान वैश्विक स्तर पर कुल पवन ऊर्जा क्षमता बढ़कर 1500 गीगावॉट से ज्यादा हो जाएगी। आउटलुक ने प्रौद्योगिकीय क्षेत्र में नवोन्मेषी प्रगति और अपतटीय पवन ऊर्जा बाजार में तेजी से हो रही वृद्धि के मद्देनजर अगले 5 वर्षों के अंदर पवन ऊर्जा संयंत्रों के निर्माण, स्थापना, संचालन और रखरखाव के लिए जरूरी टेक्निशियंस की संख्या में 17% की वृद्धि होने का अनुमान लगाया है।
पवन ऊर्जा क्षेत्र के विस्तार में मदद के लिए 84600 अतिरिक्त टेक्निशियंस की जरूरत पड़ेगी। हालांकि 6% की सामान्य क्षय दर के साथ पवन ऊर्जा उद्योग को वर्ष 2023 से 2027 के बीच इस क्षेत्र से स्वाभाविक रूप से बाहर निकलने वाले टेक्निशियन का स्थान भरने के लिए 159200 अतिरिक्त टेक्निशियंस की भर्ती करनी होगी।
अगले 5 वर्षों के दौरान 243800 अतिरिक्त नए टेक्निशियंस की भर्ती की जरूरत से जाहिर होता है कि परंपरागत क्षेत्र समेत अन्य क्षेत्रों में काम कर रही नई प्रतिभाओं के लिए पवन ऊर्जा क्षेत्र में दाखिल होने के बहुत अच्छे अवसर हैं। इससे जीवाश्म ईंधन से एक न्यायसंगत और समानतापूर्ण ऊर्जा रूपांतरण में पवन ऊर्जा की सहयोगात्मक भूमिका भी जाहिर होती है। ग्लोबल विंड वर्कफोर्स आउटलुक 2023-2027 पवन ऊर्जा क्षेत्र में आपूर्ति श्रृंखला में पूर्वानुमानित कमियों को भरने के लिए सुरक्षा एवं टेक्निकल ट्रेनिंग क्षमता को बढ़ाने की त्वरित आवश्यकता की जरूरत पर जोर देती है।
ग्लोबल विंड आर्गेनाइजेशन के सीईओ याकब लाओ होल्स्ट ने कहा, “श्रम शक्ति का विकास करना नीति निर्माताओं, उद्योग संगठनों और नियोक्ताओं के लिए सर्वोच्च प्राथमिकता है। जीडब्ल्यूओ/जीडब्ल्यूईसी ग्लोबल विंड वर्कफोर्स आउटलुक न सिर्फ यह दिखाती है कि वैश्विक स्तर पर पवन ऊर्जा उद्योग में स्थापना और रखरखाव के लिए कितने लोगों की जरूरत पड़ेगी बल्कि इस बात पर भी जोर देती है कि इनमें से कितने लोग इस क्षेत्र में पहली बार दाखिल होंगे। यह शुरुआती स्तर पर ही क्षमता निर्माण को बढ़ावा देने के लिए नए सिरे से ध्यान केंद्रित करने की जरूरत को रेखांकित करता है, जो नियोक्ताओं की जरूरत से मेल खाता हो और अन्य क्षेत्रों तथा शिक्षा प्रणालियों से आए लोगों की मौजूदा क्षमताओं को मुकम्मल करता हो।’’
जीडब्ल्यूईसी के सीईओ बेन बैकवेल ने कहा, “इस दशक में पवन ऊर्जा क्षमता में होने जा रही व्यापक वृद्धि के मद्देनजर एक मजबूत श्रम शक्ति और स्वस्थ आपूर्ति श्रृंखला की उपलब्धता बहुत महत्वपूर्ण होगी। यह भी अहम है कि बढ़ती श्रम शक्ति को सही तरीके से प्रशिक्षित करने के लिए उपकरण दिए जाएं। साथ ही एक ऐसा दृष्टिकोण रखा जाए जो स्वास्थ्य और सुरक्षा को उद्योग के विकास के केंद्र में रखता हो। जीडब्ल्यूईसी ग्लोबल विंड आर्गेनाइजेशन के साथ मिलकर ग्लोबल विंड वर्कफोर्स आउटलुक 2023-2027 को पेश करते हुए खुशी महसूस कर रहा है। यह रिपोर्ट हमें बताती है कि हम किस तरह वैश्विक तापमान में बढ़ोत्तरी को डेढ़ डिग्री सेल्सियस तक सीमित रखने के अनुरूप पूरी दुनिया में पवन ऊर्जा परियोजनाओं के लिए जरूरी क्षमता का निर्माण कर सकते हैं और किस तरह काम का एक सुरक्षित और स्वस्थ माहौल बना सकते हैं। किसी कार्य कुशल और सतत श्रम शक्ति के बगैर ऊर्जा का रूपांतरण समय पर होना मुमकिन नहीं है।”
रिपोर्ट में 10 देशों, खासकर आस्ट्रेलिया, ब्राजील, चीन, कोलंबिया, मिस्र, भारत, जापान, केन्या, दक्षिण कोरिया और अमेरिका में तटीय और अपतटीय पवन ऊर्जा विकास और श्रम शक्ति संबंधी जरूरतों को रेखांकित किया गया है। इन देशों की पवन ऊर्जा संबंधी ऊंची महत्वाकांक्षाओं को स्वास्थ्य और सुरक्षा की मजबूत संस्कृति और प्रशिक्षित श्रम शक्ति के जरिए मजबूत किया जाना चाहिए। इसकी जरूरत यह सुनिश्चित करने के लिए होगी कि पवन ऊर्जा जलवायु और ऊर्जा लक्ष्यों का समर्थन करना जारी रख सके और दुनिया भर में आधुनिक तथा सतत अर्थव्यवस्थाओं में योगदान दे सके।
महत्वपूर्ण पहलू
वैश्विक पवन ऊर्जा क्षमता के निर्माण और स्थापना, संचालन तथा रखरखाव के लिए कितने टेक्निशियन को मानकीकृत प्रशिक्षण की जरूरत होगी?
वर्ष 2027 के अंत तक पूरी दुनिया में पवन ऊर्जा क्षमता मोटे तौर पर 1581 गीगावॉट होगी जो कोविड-19 महामारी से पहले के स्तर के मुकाबले दोगुनी से ज्यादा होगी। इसके परिणामस्वरूप इस क्षेत्र में प्रशिक्षण पाने वाले टेक्निशियंस की अपेक्षित संख्या वर्ष 2022 में 489600 से 17 फीसद बढ़कर वर्ष 2027 में 574200 हो जाएगी। वर्ष 2023 से 2027 के बीच पवन ऊर्जा क्षेत्र में नए टेक्निशियंस की संख्या में सालाना औसतन 48800 की वृद्धि होने की संभावना है।
जीडब्ल्यूओ प्रशिक्षण के उपलब्ध वर्तमान स्तरों और अनुमानित श्रम शक्ति को प्रशिक्षित करने के लिए आवश्यक स्तरों के बीच क्या अंतर है?
वर्ष 2022 के अंत तक 145000 टेक्नीशियंस (या अनुमानित श्रमशक्ति का 30% हिस्सा) जीडब्ल्यूओ का काम से कम एक वैध प्रमाणपत्र पहले ही हासिल कर चुके हैं। इसका मतलब यह है कि वर्ष 2023 से 2027 के बीच 4292 00 नए टेक्निशियंस को पवन ऊर्जा उद्योग के प्रशिक्षण की जरूरत होगी इनमें से 80% से ज्यादा टेक्निशियन की जरूरत आस्ट्रेलिया, ब्राजील, चीन, कोलंबिया, मिस्र, भारत, जापान, केन्या, दक्षिण कोरिया और अमेरिका में होगी।
जीडब्ल्यूओ प्रशिक्षण के जरिए पवन ऊर्जा क्षेत्र में श्रम शक्ति की सुरक्षा बढ़ाने के लिए शिक्षकों और प्रशिक्षणदाताओं के लिए सबसे बड़े अवसर कहां पर हैं?
पवन ऊर्जा क्षेत्र में टेक्निशियन की कुल श्रम शक्ति तटीय (वर्ष 2022 के मुकाबले 2027 में 12% ज्यादा) के मुकाबले अपतटीय क्षेत्र (वर्ष 2022 के मुकाबले 2027 में 79% ज्यादा) में कहीं ज्यादा तेजी से बढ़ेगी। वर्ष 2027 तक 87% टेक्निशियन तटीय पवन ऊर्जा क्षेत्र के संचालन एवं प्रबंधन वर्ग में काम कर रहे होंगे।
क्या यह पूर्वानुमान पवन ऊर्जा क्षेत्र में श्रम शक्ति की सभी जरूर को शामिल करता है?
इस आउटलुक के लिए इस्तेमाल किया गया मॉडल विंड फार्म के निर्माण, स्थापना, संचालन और रखरखाव के क्षेत्र पर ध्यान केंद्रित करता है। इसमें परियोजना जीवन चक्र के अन्य हिस्सों में श्रम शक्ति की जरूरत की गणना शामिल नहीं है। इन खंडों में अनुसंधान एवं विकास, खरीद, विनिर्माण, परिवहन और लाजिस्टिक्स, डीकमीशनिंग और पुन: सशक्तिकरण शामिल हैं।