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Climate कहानी

Category: ग्लोबल वार्मिंग

श्रम उत्पादकता को 21% घटा रहा है बढ़ता वेट बल्ब तापमान

Posted on July 7, 2021

भारत के ज्यादातर इलाके भीषण तपिश से बेहाल हैं और खुले आसमान में काम करने वाले श्रमिकों का सबसे बुरा हाल है। पारा 40 डिग्रीज़ सेल्सियस के आस पास पहुँच जाये तो घबराहट होने लगती है। लेकिन क्या आपको पता है कि 32 डिग्रीज़ सेल्सियस ही जानलेवा हो सकता है? इस बातको समझने के लिए आपका…

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संयुक्त राष्ट्र की पुकार कर दरकिनार, ये पांच देश हैं कोयले के लिए बेक़रार

Posted on June 30, 2021

भारत समेत इन पांच एशियाई सरकारों की 600 नए कोयला संयंत्रों की योजना बन सकती है 150 अरब डॉलर की बर्बादी का सबब पेरिस जलवायु लक्ष्यों को ख़तरे में डालते हुए, पांच एशियाई देश दुनिया के 80% नियोजित नए कोयला संयंत्रों के लिए ज़िम्मेदार हैं। चीन, भारत, इंडोनेशिया, जापान और वियतनाम ने संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस के सभी नए कोयला संयंत्रों को रद्द करने…

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देश के इन प्रमुख शहरों में वायु प्रदूषण लॉकडाउन के बावजूद भी बेलगाम

Posted on June 24, 2021

अन्य प्रमुख शहरों के विपरीत कोलकाता में 2019 से 2021 के बीच, मार्च से मई तक, वायु गुणवत्ता में दिखा सुधार पिछले साल से कोविड की मार झेल रहे देश में अगर कुछ अच्छा हुआ तो वो था आसमान का कुछ साफ़ होना और प्रदूषण के स्तर के कम होने का आभास। आभास इसलिए क्योंकि…

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जलवायु परिवर्तन के कारण बदल रहा है भारत के मानसून का मिजाज़

Posted on June 23, 2021

फ़िलहाल भारत में मानसून आ चुका है, लेकिन मिजाज़ बदले बदले से हैं इस मौसम की घटना के। वैसे भी भारतीय मानसून एक जटिल परिघटना है और विशेषज्ञों की मानें तो जलवायु परिवर्तन और ग्लोबल वार्मिंग ने मानसून के बनने की परिस्थिति पर और तनाव डाल दिया है। आंकड़े बताते हैं कि बारिश का रिकॉर्ड हर…

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जलवायु,कोविड और प्रकृति के पतन के तिहरे संकट को दूर करने की G7 देशों की तैयारी काफ़ी नहीं

Posted on June 17, 2021

तमाम उम्मीदों पर पानी फेरते हुए G7 नेताओं ने जलवायु, कोविड और प्रकृति के पतन के तिहरे संकटों से निपटने का एक ऐतिहासिक अवसर को खो दिया है, यह मानना है प्रमुख विश्लेषकों का कॉर्नवाल शिखर सम्मेलन के समापन के बाद। उनका कहना है कि यदि ये नेतागण अक्टूबर में होने वाली G20 बैठक तक एकजुट नहीं होते हैं, तो COP26 बैठक का…

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बड़े पैमाने पर वृक्षारोपण जैव विविधता के लिए हानिकारक: वैश्विक जैव विविधता पैनल

Posted on June 12, 2021

इंसान की नुकसानदेह गतिविधियों के कारण जलवायु और जैव-विविधता में हुए अप्रत्‍याशित बदलाव अब एक साथ मिल गये हैं और इनकी वजह से पूरी दुनिया में कुदरत, मानव जीवन, रोजीरोटी तथा लोक कल्‍याण के लिये खतरा बढ़ गया है। मानव द्वारा की जाने वाली आर्थिक गतिविधियां, जैव-विविधता को हो रहे नुकसान और जलवायु परिवर्तन दोनों…

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पिघलते ग्‍लेशियर और जलवायु परिवर्तन की मार, कर रही है तीसरे पोल पर वार

Posted on June 12, 2021

हिमालय और काराकोरम पर्वत श्रंखलाओं में जलवायु परिवर्तन के फुटप्रिंट बिल्‍कुल खुलकर ज़ाहिर हो गये हैं। इस क्षेत्र को तीसरा पोल भी कहा जाता है और यहां ग्‍लेशियर पिघल रहे हैं, नुकसानदेह परिघटनाएं हो रही हैं, बर्फबारी की तर्ज में बदलाव हो रहे हैं। ये उन देशों के लिये बुरी खबर है जो पानी की…

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बड़े प्रदूषकों की नेट ज़ीरो योजनायें वास्तविकता कम जुमलेबाज़ी ज़्यादा

Posted on June 10, 2021

जैसे-जैसे जलवायु संकट के प्रभाव और अधिक स्पष्ट होते जा रहे हैं, दुनिया भर के लोग, महिलाओं और युवाओं के साथ, इन प्रभावों के ख़िलाफ़ कार्रवाई की मांग कर रहे हैं।  लेकिन जवाब में, दुनिया के बड़े प्रदूषक और सरकारें अपने द्वारा उत्पन्न पर्यावरण संकट के समाधान के रूप में अपनी “नेट ज़ीरो एमिशन” योजना को दिखा रहे…

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धरती पर इतने रिन्युब्ल संसाधन कि हर इंसान की ऊर्जा ज़रूरत हो सकती है पूरी

Posted on June 10, 2021

विश्व के प्रत्येक महाद्वीप में अपनी जनसंख्या को 100% रिन्यूएबल एनर्जी उपलब्ध कराने के लिए पर्याप्त नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता है। वैश्विक तापमान वृद्धि को 1.5ºC के लक्ष्य से नीचे रखने के लिए न सिर्फ जीवाश्म ईंधन उत्पादन के विस्तार का अंत ज़रूरी है बल्कि मौजूदा उत्पादन को भी चरणबद्ध तरीके से कम करना ज़रूरी है। ऐसा इसलिए क्योंकि भले…

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G7 देशों की जलवायु वित्त प्रतिज्ञाओं के मामले में वादाखिलाफ़ी बादस्तूरजारी

Posted on June 4, 2021

आज जारी एक ताज़ा विश्लेष्ण से पता चला है कि अमीर देशों की मौजूदा क्लाइमेट फाइनेंस योजनाएं अभी भी न सिर्फ 100 बिलियन डॉलर के लक्ष्य से कम हैं, बल्कि इनमें भविष्य के फंड के लिए वितरण और समयरेखा के बारे में विवरण और स्पष्टता की गंभीर कमी है। CARE संस्था ने पेरिस समझौते के तहत विकसित देशों…

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क्लाइमेट की कहानी, मेरी ज़बानी

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