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Category: जीवाश्म ईंधन

Just Transition Difficult

फिलहाल मुश्किल है जस्ट ट्रांज़िशन कि राह

Posted on February 18, 2022

भारत के शीर्ष कोयला खनन और कोयला पावर प्लांट पर निर्भर जिलों के लिए जस्ट ट्रांजिशन (न्यायसंगत परिवर्तन) का अर्थ क्या होगा और कैसे जस्ट ट्रांजिशन लाया जा सकता इसे समझने के इरादे से दिल्ली स्थित एनवायरनमेंटल थिंक टैंक, इंटरनेशनल फोरम फॉर एनवायरनमेंट, सस्टेनेबिलिटी एंड टेक्नोलॉजी (iFOREST) ने कोरबा जिले का चयन किया गया और…

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बिजली पहुँच में वृद्धि के बावजूद जनजातीय घरों में प्रकाश के लिए मिट्टी के तेल पर बढ़ती निर्भरता

Posted on January 20, 2022

निशान्त एक हैरान करने वाले घटनाक्रम में पता चला है कि झारखंड में जनजातीय समुदायों में बिजली पहुंच में वृद्धि के बावजूद, जनजातीय घरों में ग्रिड के उपयोग में गिरावट और प्रकाश के लिए मिट्टी के तेल पर निर्भरता में वृद्धि हुई है। द इनिशिएटिव फॉर सस्टेनेबल एनर्जी पॉलिसी (ISEP) ने आज पावर फॉर ऑल के सहयोग से एक…

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राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम के तीन साल: प्रदूषण से अब भी बुरा हाल

Posted on January 10, 2022

देश के 132 शहरों में पार्टिकुलेट मैटर के स्तर को 20-30% तक कम करने के इरादे से पूरे भारत में आज से ठीक तीन साल पहले राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम (NCAP) लागू किया गया। लेकिन इस लागू किए जाने के तीन साल बाद, डाटा से, पता चलता है कि ज़मीनी स्तर पर प्रगति या तो बहुत कम हुई है या…

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‘बेहद जोखिम भरे’ हैं अब निवेशकों के लिये कार्बन-सघन इन्फ्रास्ट्रक्चर

Posted on November 8, 2021

वैश्विक अर्थव्‍यवस्‍था ऊर्जा और परिवहन क्षेत्र में निम्‍न कार्बन के टिपिंग प्‍वाइंट्स को छू रही है। आने वाले दशक में सभी क्षेत्र जीवाश्‍म ईंधन से तेजी से छुटकारा पाने को तैयार हैं। वैश्विक सततता कंसल्‍टेंसी ‘सिस्‍टेमिक’ के एक ताजा अध्‍ययन ‘द पेरिस इफेक्‍ट- सीओपी26 संस्‍करण’ (The Paris Effect – COP26 edition), के मुताबिक भारी कार्बन उत्‍सर्जन वाले किसी नये मूलभूत…

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अमीर देश जलवायु परिवर्तन से निपटने को कम, सीमाओं के शस्रीकरण को दे रहे हैं ज्यादा तरजीह

Posted on October 29, 2021

एक ताज़ा शोध में पाया गया है कि दुनिया के कुछ सबसे बड़े कार्बन उत्सर्जक देश जलवायु परिवर्तन से निपटने में उतना नहीं खर्च करते जितना अपनी सीमाओं के सशक्तिकरण पर खर्च करते हैं।    COP 26 से पहले, अनुसंधान और एडवोकेसी थिंकटैंक ट्रांसनेशनल इंस्टीट्यूट (TNI) ने बॉर्डर हिंसा और जलवायु परिवर्तन के बीच की कड़ी पर नया शोध…

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बेरोकटोक एमिशन्स और निराशाजनक ग्रीन रिकवरी के चलते दुनिया के लिए आने वाला वक़्त आज़माइशों से भरा: लैंसेट काउंटडाउन

Posted on October 21, 2021
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नहीं कम हो रहा जी20 देशों का उत्सर्जन, बेहद तेज़ कार्यवाई ज़रूरी

Posted on October 15, 2021

एक रिपोर्ट में चेतावनी दी गई है कि G20 (जी20) में उत्सर्जन फिर से बढ़ रहा है। नेट ज़ीरो प्रतिबद्धताओं और अद्यतन NDCs (एनडीसी) के बावजूद, G20 की जलवायु कार्रवाई दुनिया को 1.5 डिग्री सेल्सियस ग्लोबल वार्मिंग सीमा को पूरा करने के लक्ष्य से बहुत पीछे छोड़ रही है। कोविड-19  महामारी की वजह से होने वाली एक छोटी अवधि के बाद, ग्रीनहाउस गैस…

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WHO के नये वायु गुणवत्‍ता मानकों पर खरा उतरने को भारत को करने होंगे सुनियोजित प्रयास

Posted on October 12, 2021

विशेषज्ञों का मानना है कि दुनिया के ज्‍यादातर देश वायु गुणवत्‍ता सम्‍बन्‍धी पुराने मानकों का ही पालन करने में नाकाम रहे हैं। ऐसे में विश्‍व स्‍वास्‍थ्‍य संगठन द्वारा वायु गुणवत्‍ता के सम्‍बन्‍ध में जारी नये मानकों का पालन बहुत कड़ी चुनौती है। भारत जैसे देश को अगर इन मानकों पर खरा उतरना है तो उसे…

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मौजूदा वैश्विक जलवायु लक्ष्यों के साथ 16 फ़ीसद बढ़ेगा उत्सर्जन

Posted on September 19, 2021

संयुक्त राष्ट्र की जलवायु मामलों की संस्था UNFCCC की ताज़ा रिपोर्ट निराश करने वाली है। इस रिपोर्ट की मानें तो जहाँ जलवायु परिवर्तन से मुकाबला करने में प्रभावी होने के लिए NDCs या देशों के जलवायु लक्ष्यों को वैश्विक उत्सर्जन में पर्याप्त कटौती करनी चाहिए, वहीँ नवीनतम उपलब्ध NDCs के साथ बढ़ने में तो वैश्विक GHG (जीएचजी) उत्सर्जन 2010 की तुलना में 2030 में लगभग 16% ज़्यादा होगा। ज्ञात…

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जलवायु संकट और कोविड ने मिलाया हाथ, 140 मिलियन लोग झेल रहे एक साथ

Posted on September 19, 2021

चरम मौसम की घटनाओं और महामारी ने न सिर्फ एक साथ लाखों लोगों को बुरी तरह प्रभावित किया है, बल्कि जलवायु और कोविड संकट के संयोजन ने रिलीफ़ (राहत-सहायता प्रतिक्रिया) प्रयासों में बाधा डालने के साथ-साथ ‘अभूतपूर्व’ मानवीय ज़रूरतें पैदा की हैं। यह कहना है इंटरनेशनल फेडरेशन ऑफ रेड क्रॉस एंड रेड क्रिसेंट सोसाइटीज़ (IFRC) की एक रिपोर्ट…

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