दीपमाला पाण्डेय आजकल उत्तर भारत में एयर पोल्यूशन, एक्यूआई, स्मोग टावर,पराली, औड ईवन फॉर्मूला आदि काफ़ी चर्चा में है। पिछले कुछ सालों से हर साल सर्दियों में यह सब शब्द चर्चा का केंद्र बनने लगते हैं और एक दो महीने में फिर इनकी चर्चा कम होने लगती है। प्रदूषण को एक सीज़न की तरह या…
Category: विचार

भारत पहुँचने वाला है भूजल कमी के टिपिंग पॉइंट पर, जल संरक्षण में दिव्यांग बच्चे निभा सकते हैं निर्णायक भूमिका
दीपमाला पाण्डेय जल जीवन है। यह पढ़ने में बेहद आम सी बात लग सकती है लेकिन बड़ी गहरी बात है। हमारा शरीर 70 प्रतिशत पानी से बना है। हमारी पृथ्वी पर उसी अनुपात में पानी है। बिना खाने के हम फिर भी रह सकते हैं, लेकिन बिना पानी के हमारा जीना कुछ ही समय में…

कभी किसी दिव्याँग बच्चे की नज़र से भी देखिये जलवायु परिवर्तन
दीपमाला पाण्डेय जलवायु परिवर्तन एक ऐसी हक़ीक़त है जिससे अब हम सब धीरे धीरे वाकिफ हो रहे हैं। अब अपने जीवन पर हम उसके असर भी देख रहे हैं। कभी भीषण गर्मी, तो कभी जानलेवा बरसात और बाढ़, तो कभी हिमाचल प्रदेश जैसी त्रासदी। सिक्किम में हुई बादल फटने की घटना को भी वैज्ञानिक जलवायु…

ग्लोबल वॉर्मिंग को लेकर भारत में 82 प्रतिशत लोग सतर्क और चिंतित
इनमे से अधिकांश लोग जलवायु और ऊर्जा नीतियों के पक्ष में सतर्क, चिंतित ,और फिक्रमंद हैं येल प्रोग्राम ऑन क्लाइमेट चेंज कम्युनिकेशन और सीवोटर इंटरनेशनल की एक नई रिपोर्ट के मुताबिक़, भारत में एक बड़ी संख्या में जनता ग्लोबल वार्मिंग के बारे में चिंतित है।‘ग्लोबल वार्मिंग्स फ़ोर इंडियाज़, 2022’ के शीर्षक की यह रिपोर्ट चार…

न्यायसंगत एनेर्जी ट्रांज़िशन में प्राइवेट फायनेंस की भूमिका महत्वपूर्ण : अमिताभ कांत
न्यायसंगत एनेर्जी ट्रांज़िशन पर एक बार फिर ध्यान खींचने के इरादे से इंटरनेशनल फोरम फॉर एनवायरनमेंट, सस्टेनेबिलिटी, एंड टेक्नालजी (iForest) ने दिल्ली में इस विषय के तमाम नीतिगत और वित्तीय पहलुओं पर बात करने के लिए पहला ग्लोबल जस्ट ट्रांज़िशन डायलॉग आयोजित किया। इस आयोजन का उद्देश्य जस्ट ट्रांज़िशन, या न्यायसंगत एनेर्जी ट्रांज़िशन, के राष्ट्रीय…

न्यायसंगत एनेर्जी ट्रांज़िशन फायनेंसिंग में निभा सकता है भारत महत्वपूर्ण भूमिका: विशेषज्ञ
जी20 देशों के अध्यक्ष के रूप में भारत के पास वैश्विक स्तर पर न्यायसंगत ट्रांज़िशन के वित्तपोषण तथा कई अन्य पहलुओं पर महत्वपूर्ण भूमिका निभाने का मौका है। इन पहलुओं में लो कॉस्ट लॉन्ग टर्म रेजीलियंस इन्वेस्टमेंट और जलवायु परिवर्तन के कारण होने वाली क्षति की भरपाई के लिये आमदनी के नए जरिए तलाशने के…

पानी की बढ़ती कमी के बीच जलवायु और विकास के लक्ष्य हासिल करना मुश्किल
पिछले वर्षों की अभूतपूर्व बाढ़, सूखा और बेतहाशा पानी से होने वाली घटनाएं अप्रत्याशित नहीं, बल्कि मानव द्वारा दशकों से चली आ रही पानी की बदइंतज़ामी से होने वाली सिस्टेमेटिक क्राइसेस का नतीजा हैं। यह कहना है ग्लोबल कमीशन ऑन इक्नोमिक्स ऑफ वॉटर रिपोर्ट का।इस रिपोर्ट के मुताबिक़ पानी का एक टिकाऊ और न्यायपूर्ण भविष्य…

क्लीन एनेर्जी को तरजीह दिये बिना पीएफसी/आरईसी का मुनाफ़ा और विकास मुश्किल
ऊर्जा क्षेत्र की देश की अग्रिणी सार्वजनिक गैर बैंकिंग वित्तीय कम्पनियां (एनबीएफसी) पीएफसी और आरईसी नई प्रौद्योगिकियों (पवन बिजली सौर ऊर्जा बैटरी स्टोरेज और इलेक्ट्रिक वाहन आदि) के हिसाब से खुद को पर्याप्त रूप से बदल नहीं पाई हैं जिसके चलते इनके विकास और मुनाफ़ा कमाने की दर ठहरी हुई है। दरअसल ये दोनों ही…

भारत यक़ीनन पूरा करेगा अपना एनेर्जी इंडेपेंडेंस का लक्ष्य: अमेरिकी ऊर्जा विभाग
साल 2047 तक भारत अपना ऊर्जा स्वतंत्रता का सपना सच कर सकता है, यह मानना है अमेरिकी ऊर्जा विभाग का। दरअसल अमेरिकी ऊर्जा विभाग के लॉरेंस बर्कले नेशनल लेबोरेटरी (बर्कले लैब) द्वारा जारी पाथ्वेज़ टु आत्मनिर्भर भारत नाम के एक नए अध्ययन के अनुसार भारत में सस्ती होती क्लीन एनेर्जी टेक्नोलोजी और रिन्यूबल और लिथियम के क्षेत्र में तेज़ विकास के मिश्रित प्रभाव से लागत प्रभावी एनेर्जी इंडिपेंडेंस का सपना हो सकता है साकार। भारत के तीन सबसे अधिक ऊर्जा गहन क्षेत्रों (बिजली, परिवहन…

कार्बन बाज़ारों के विकास के लिए उन्हें समझना ज़रूरी: विशेषज्ञ
दुनिया में कार्बन बाजार पिछले करीब दो दशकों से मौजूद हैं और इनके उभार का सिलसिला अब भी जारी है। भारत के घरेलू कार्बन मार्केट की दिशा में हुए हाल के नीतिगत घटनाक्रमों को देखते हुए कारोबार जगत में इस बात को लेकर दिलचस्पी बढ़ी है कि इन घटनाक्रमों का उनके कार्य संचालन पर क्या…