प्रधान मंत्री मोदी के ग्लासगो में भारत के साल 2070 तक नेट ज़ीरो होने की घोषणा के बाद से नेट ज़ीरो ख़ासा चर्चित शब्द बन गया है। इतना कि गूगल पर “नेट ज़ीरो क्या होता है” लिखते ही 0.74 सेकंड में 3,78,00,00,000 नतीजे सामने आ गए। लेकिन भारत के नेट ज़ीरो होने के लिए सबसे…
Category: ग्लोबल वार्मिंग
COP26 में भारत की कूटनीतिक जीत, मगर जलवायु वित्त का वादा रहा चित
निशान्त जहाँ एक ओर COP26 को कोयले की काली हकीक़त को दुनिया के सामने लाने के लिए याद रखा जायेगा, वहीँ दूसरी ओर इसे भारत की एक कूटनीतिक जीत के रूप में भी लिया जायेगा। ग्लासगो में सम्पन्न हुए संयुक्त राष्ट्र के 26वें जलवायु महासम्मेलन के आख़िरी क्षणों ने भारत ने दुनिया को विकासशील देशों…
REDD+ कार्बन फाइनेंस से जुड़ी अस्पष्टता को दूर करना बेहद ज़रूरी: विशेषज्ञ
पूरी मानवता के अस्तित्व के लिये खतरा बन रही ग्लोबल वार्मिंग को रोकने के लिये वैश्विक तापमान में वृद्धि को 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित रखने के अधिक प्रभावी उपाय तलाशने के मकसद से ब्रिटेन के ग्लासगो में आयोजित COP26 शिखर वार्ता में विभिन्न विषयों पर चर्चा हुई। इस सन्दर्भ में विशेषज्ञों का मानना है कि…
COP26: बड़ी अर्थव्यवस्थाओं के लिए कमज़ोर देशों के समर्थन में अपने पत्ते खेलने की ज़रूरत
एक बेहद तेज़ घटनाक्रम में यूके की COP प्रेसीडेंसी ने ग्लासगो क्लाइमेट समिट के लिए फैसलों का एक नया मसौदा जारी किया है। इस मसौदे की भाषा सशक्त है और इशारा करती है कि अंततः फैसलों की शक्ल कैसी हो सकती है।लेकिन इस मसौदे को ले कर विशेषज्ञों की कुछ चिंताएं हैं। इनमें चिंता का मुख्य विषय…
‘बेहद जोखिम भरे’ हैं अब निवेशकों के लिये कार्बन-सघन इन्फ्रास्ट्रक्चर
वैश्विक अर्थव्यवस्था ऊर्जा और परिवहन क्षेत्र में निम्न कार्बन के टिपिंग प्वाइंट्स को छू रही है। आने वाले दशक में सभी क्षेत्र जीवाश्म ईंधन से तेजी से छुटकारा पाने को तैयार हैं। वैश्विक सततता कंसल्टेंसी ‘सिस्टेमिक’ के एक ताजा अध्ययन ‘द पेरिस इफेक्ट- सीओपी26 संस्करण’ (The Paris Effect – COP26 edition), के मुताबिक भारी कार्बन उत्सर्जन वाले किसी नये मूलभूत…
अमीर देश जलवायु परिवर्तन से निपटने को कम, सीमाओं के शस्रीकरण को दे रहे हैं ज्यादा तरजीह
एक ताज़ा शोध में पाया गया है कि दुनिया के कुछ सबसे बड़े कार्बन उत्सर्जक देश जलवायु परिवर्तन से निपटने में उतना नहीं खर्च करते जितना अपनी सीमाओं के सशक्तिकरण पर खर्च करते हैं। COP 26 से पहले, अनुसंधान और एडवोकेसी थिंकटैंक ट्रांसनेशनल इंस्टीट्यूट (TNI) ने बॉर्डर हिंसा और जलवायु परिवर्तन के बीच की कड़ी पर नया शोध…
नहीं कम हो रहा जी20 देशों का उत्सर्जन, बेहद तेज़ कार्यवाई ज़रूरी
एक रिपोर्ट में चेतावनी दी गई है कि G20 (जी20) में उत्सर्जन फिर से बढ़ रहा है। नेट ज़ीरो प्रतिबद्धताओं और अद्यतन NDCs (एनडीसी) के बावजूद, G20 की जलवायु कार्रवाई दुनिया को 1.5 डिग्री सेल्सियस ग्लोबल वार्मिंग सीमा को पूरा करने के लक्ष्य से बहुत पीछे छोड़ रही है। कोविड-19 महामारी की वजह से होने वाली एक छोटी अवधि के बाद, ग्रीनहाउस गैस…
मुंबई समेत दुनिया के यह 50 देश हो जायेंगे ग़ायब, अगर…
क्लाइमेट सेंट्रल नाम के एक गैर-लाभकारी समाचार संगठन ने कुछ हैरान करने वाली फ़ोटोज़ का एक सेट जारी किया है जो दिखाता है कि अगर जलवायु परिवर्तन संकट से निपटा नहीं गया तो दुनिया भर के कुछ सबसे प्रतिष्ठित स्थलों का क्या होगा। क्लाइमेट सेंट्रल के नवीनतम शोध से पता चलता है कि वर्तमान उत्सर्जन मार्ग के…