संयुक्त राष्ट्र द्वारा आयोजित नेट-ज़ीरो बैंकिंग एलायंस में 40 देशों के बैंकों को किया गया सदस्य के रूप में सूचीबद्ध, मगर सूची में नहीं है एक भी भारतीय बैंक जलवायु परिवर्तन का हमारे ऊपर व्यापक असर होता है। और यह नकारात्मक असर सिर्फ शारीरिक नहीं, बल्कि सामाजिक और आर्थिक भी होता है। भारत जैसे विकासशील…
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राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम के तीन साल: प्रदूषण से अब भी बुरा हाल
देश के 132 शहरों में पार्टिकुलेट मैटर के स्तर को 20-30% तक कम करने के इरादे से पूरे भारत में आज से ठीक तीन साल पहले राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम (NCAP) लागू किया गया। लेकिन इस लागू किए जाने के तीन साल बाद, डाटा से, पता चलता है कि ज़मीनी स्तर पर प्रगति या तो बहुत कम हुई है या…

यह एप बताएगी आपका कार्बन फुटप्रिंट, करेगी मदद कार्बन न्यूट्रल होने में
प्रधान मंत्री मोदी के ग्लासगो में भारत के साल 2070 तक नेट ज़ीरो होने की घोषणा के बाद से नेट ज़ीरो ख़ासा चर्चित शब्द बन गया है। इतना कि गूगल पर “नेट ज़ीरो क्या होता है” लिखते ही 0.74 सेकंड में 3,78,00,00,000 नतीजे सामने आ गए। लेकिन भारत के नेट ज़ीरो होने के लिए सबसे…

COP26 में भारत की कूटनीतिक जीत, मगर जलवायु वित्त का वादा रहा चित
निशान्त जहाँ एक ओर COP26 को कोयले की काली हकीक़त को दुनिया के सामने लाने के लिए याद रखा जायेगा, वहीँ दूसरी ओर इसे भारत की एक कूटनीतिक जीत के रूप में भी लिया जायेगा। ग्लासगो में सम्पन्न हुए संयुक्त राष्ट्र के 26वें जलवायु महासम्मेलन के आख़िरी क्षणों ने भारत ने दुनिया को विकासशील देशों…

COP26: बड़ी अर्थव्यवस्थाओं के लिए कमज़ोर देशों के समर्थन में अपने पत्ते खेलने की ज़रूरत
एक बेहद तेज़ घटनाक्रम में यूके की COP प्रेसीडेंसी ने ग्लासगो क्लाइमेट समिट के लिए फैसलों का एक नया मसौदा जारी किया है। इस मसौदे की भाषा सशक्त है और इशारा करती है कि अंततः फैसलों की शक्ल कैसी हो सकती है।लेकिन इस मसौदे को ले कर विशेषज्ञों की कुछ चिंताएं हैं। इनमें चिंता का मुख्य विषय…

‘बेहद जोखिम भरे’ हैं अब निवेशकों के लिये कार्बन-सघन इन्फ्रास्ट्रक्चर
वैश्विक अर्थव्यवस्था ऊर्जा और परिवहन क्षेत्र में निम्न कार्बन के टिपिंग प्वाइंट्स को छू रही है। आने वाले दशक में सभी क्षेत्र जीवाश्म ईंधन से तेजी से छुटकारा पाने को तैयार हैं। वैश्विक सततता कंसल्टेंसी ‘सिस्टेमिक’ के एक ताजा अध्ययन ‘द पेरिस इफेक्ट- सीओपी26 संस्करण’ (The Paris Effect – COP26 edition), के मुताबिक भारी कार्बन उत्सर्जन वाले किसी नये मूलभूत…

उत्सर्जन में तात्कालिक कटौती के लिए कदम न उठाना पड़ेगा G20 को भारी
एक अध्ययन से पता चलता है कि कार्बन उत्सर्जन में तात्कालिक तौर से कटौती न करने की वजह से G20 देशों को जलवायु परिवर्तन के प्रभावों का सामना करना पड़ रहा है, और करना पड़ेगा। इस नए अध्ययन में , G20 क्लाइमेट इम्पैक्ट्स एटलस वैज्ञानिक अनुमानों को एकत्रित करता है कि आने वाले वर्षों में दुनिया के सबसे अमीर…

जब जीवाश्म ईंधन उत्पादन दोगुना करने का है इरादा, तब कैसे पूरा होगा पेरिस समझौते का वादा?
बात अगर पेरिस समझौते के अनुसार ग्लोबल वार्मिंग को 1.5 डिग्री सेल्सियस या 2 डिग्री सेल्सियस से नीचे सीमित करने की हो, तब कायदे से तो दुनिया को अपना जीवाश्म ईंधन उत्पादन को बंद करना पड़ेगा। लेकिन हो ये रहा है कि सरकारें पेरिस समझौते की तापमान सीमा से तालमेल बैठाने की जगह स्वीकार्य स्तरों से…

नहीं कम हो रहा जी20 देशों का उत्सर्जन, बेहद तेज़ कार्यवाई ज़रूरी
एक रिपोर्ट में चेतावनी दी गई है कि G20 (जी20) में उत्सर्जन फिर से बढ़ रहा है। नेट ज़ीरो प्रतिबद्धताओं और अद्यतन NDCs (एनडीसी) के बावजूद, G20 की जलवायु कार्रवाई दुनिया को 1.5 डिग्री सेल्सियस ग्लोबल वार्मिंग सीमा को पूरा करने के लक्ष्य से बहुत पीछे छोड़ रही है। कोविड-19 महामारी की वजह से होने वाली एक छोटी अवधि के बाद, ग्रीनहाउस गैस…