जलवायु परिवर्तन पर अंतरसरकारी पैनल (आईपीसीसी) की ताजा रिपोर्ट भविष्य की एक भयावह तस्वीर पेश करती है। रिपोर्ट में कहा गया है कि अगर कार्बन उत्सर्जन मौजूदा रफ्तार से बढ़ता रहा तो वर्ष 2100 तक लगभग पूरे भारत में वेट बल्ब टेंपरेचर 35 डिग्री सेल्सियस के जानलेवा स्तर तक पहुंच जाएगा। विशेषज्ञों का मानना है…
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संयुक्त राष्ट्र की चेतावनी: गर्मी ले लेगी जान अगर नहीं लगी उत्सर्जन पर लगाम
जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र की ताज़ा रिपोर्ट रिलीज़ हो चुकी है और यह रिपोर्ट बेहद खास है। ख़ास इसलिए क्योंकि इसमें साफ़ तौर पर वैश्विक स्तर पर बढ़ते कार्बन एमिशन और उसकी वजह से बदलती जलवायु का मानवता पर हो रहे असर का ज़िक्र है।जो बात आईपीसीसी (IPCC) वर्किंग ग्रुप 2 (WG2) की इस…

उत्तर प्रदेश और बिहार में सोलर माइक्रोग्रिड लगाने के लिए जारी हुई अब तक की सबसे बड़ी वित्तीय मदद
भारत के ग्रामीण क्षेत्रों में 140 माइक्रोग्रिड बनाने के लिए इस कंपनी को मिला आईआरईडीए से US$4 मिलियन का ऋण एक बेहद उत्साहजनक घटनाक्रम में, ग्रामीण भारत में लगभग डेढ़ सौ सोलर माइक्रोग्रिड लगाने के लिए इंडिया रिन्युब्ल एनेर्जी डेव्लपमेंट एजेंसी (IREDA) ने सवा चार मिलियन डॉलर का ऋण जारी किया है। यह ऋण मिला…

आईपीसीसी की यह रिपोर्ट होगी ख़ास, भारत की बनी है नज़र
जलवायु परिवर्तन को लेकर हमारी वल्नरेबिलिटी और उसे ले कर हमारी एडाप्टेशन की क्षमताओं पर केन्द्रित संयुक्त राष्ट्र की इंटरगवर्नमेंटल पैनल ऑन क्लाइमेट चेंज की एक आगामी रिपोर्ट भारत के लिए महत्वपूर्ण साबित होगी।इस महीने की 28 तारीख को जारी होने वाली यह बहुप्रतीक्षित रिपोर्ट वैश्विक और क्षेत्रीय स्तरों पर पारिस्थितिक तंत्र, जैव विविधता और…

इस बार भी चुनावी विमर्श से गायब है प्रदूषण और जलवायु परिवर्तन का मुद्दा
पूरी दुनिया जलवायु परिवर्तन और प्रदूषण के गंभीर परिणामों का सामना कर रही है, मगर भारत में यह मसला अब भी चुनावी मुद्दा नहीं बनता। आबादी के लिहाज से भारत के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश में इसी महीने से विधानसभा चुनाव होने हैं। हालांकि ज्यादातर राजनीतिक दलों ने अभी अपना चुनाव घोषणापत्र जारी नहीं…

बजट 2022: अंततः जलवायु परिवर्तन पर सरकार की स्पॉटलाइट
निशान्त यह संभवत: पहला केंद्रीय बजट था जिसमें अपने शुरुआती वक्तव्य में किसी वित्त मंत्री ने जलवायु कार्रवाई की प्रासंगिकता को स्वीकार किया और ठोस कदम लेने ले लिए घोषणाएं भी की।वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मंगलवार को 2022-23 के लिए केंद्रीय बजट पेश करते हुए जलवायु परिवर्तन के खिलाफ अपनी लड़ाई में गैर-नवीकरणीय ऊर्जा…

हिंद महासागर कि बढ़ती गर्मी मानसून पर डाल रही है असर
हिन्द महासागर की बढ़ती गर्मी मॉनसून की बारिश को भी प्रभावित कर रही है। हिन्द महासागर की तेज़ी से गर्मी बढ्ने की वजह है एल नीनो नाम के समुद्री करेंट या महासागर धारा। दरअसल इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ ट्रॉपिकल मीटरोलॉजी (आईआईटीएम), पुणे के वैज्ञानिक रॉक्सी मैथ्यू कोल के नेतृत्व में हुए एक अध्ययन से इन बातों का खुलासा होता है। JGR ओशन्स नाम के जर्नल में प्रकाशित इस अध्ययन में, शोधकर्ताओं ने हिंद महासागर में तेजी से गर्म होने और मजबूत एल नीनो द्वारा प्रभावित समुद्री हीटवेव में उल्लेखनीय वृद्धि की चर्चा की है। समुद्री हीटवेव क्या हैं? समुद्र में अत्यधिक उच्च तापमान (90 परसेंटाइल से ऊपर) के दौर को समुद्री हीटवेव कहते हैं। इन घटनाओं के कारण कोरल ब्लीचिंग, समुद्री घास के नुक्सान और केल्प वनों के नुकसान के कारण समुद्री जीवन का विनाश भी होता है, जिससे मत्स्य क्षेत्र पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। समुद्र सतह के नीचे हुए एक सर्वेक्षण से पता चला है कि तमिलनाडु तट के पास मन्नार की खाड़ी में 85% कोरल , मई 2020 में समुद्री हीटवेव के बाद ब्लीच हो जाते हैं।हालांकि हाल के अध्ययनों ने वैश्विक महासागरों में उनकी घटना और प्रभावों की सूचना दी है, उन्हें उष्णकटिबंधीय हिंद महासागर में कम से कम समझा जाता है। समुद्र के तेजी से गर्म होने की प्रतिक्रिया से हिंद महासागर में समुद्री हीटवेव में वृद्धि ये हीटवेव उष्णकटिबंधीय हिंद महासागर में दुर्लभ हुआ करते थे, लेकिन अब ये एक वार्षिक मामला बन गए हैं। पश्चिमी हिंद महासागर क्षेत्र ने प्रति दशक लगभग देढ़ गुना घटनाओं की दर से समुद्री हीटवेव में सबसे बड़ी वृद्धि का अनुभव किया, इसके बाद प्रति दशक 0.5 घटनाओं की दर से बंगाल की उत्तरी खाड़ी का स्थान है। 1982-2018 के दौरान, पश्चिमी हिंद महासागर में कुल 66 घटनाएं हुईं जबकि बंगाल की खाड़ी में 94 घटनाएं हुईं। मानसून पर प्रभाव पश्चिमी हिंद महासागर और बंगाल की खाड़ी में गर्म समुद्री लहरों का परिणाम मध्य भारतीय उपमहाद्वीप में शुष्कता की स्थिति में पाया जाता है। इसी समय, उत्तरी बंगाल की खाड़ी में गर्म हवाओं की प्रतिक्रिया में दक्षिण प्रायद्वीपीय भारत में वर्षा में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। ये परिवर्तन हीटवेव द्वारा मानसूनी हवाओं के उतार चढ़ाव के उत्तर में हैं। यह पहली बार है कि एक अध्ययन ने समुद्री हीटवेव और वायुमंडलीय संचालन और वर्षा के बीच घनिष्ठ संबंध का प्रदर्शन किया है। भविष्य की चुनौतियां रौक्सी कोल कहते हैं कि जलवायु मॉडल के अनुमान भविष्य में हिंद महासागर के और अधिक गर्म होने का सुझाव देते हैं, जो बहुत अधिक संभावना है कि समुद्री हीटवेव और मानसून वर्षा पर उनके प्रभाव को तेज करेंगे। उन्होंने ये भी कहा की चूंकि समुद्री हीटवेव द्वारा कवर की गई आवृत्ति, तीव्रता और क्षेत्र बढ़ रहे हैं, इसलिए हमें इन घटनाओं की सटीक निगरानी करने के लिए अपने महासागर अवलोकन सरणियों को बढ़ाने की जरूरत है, और एक गर्म दुनिया द्वारा प्रस्तुत चुनौतियों की कुशलता से भविष्यवाणी करने के लिए हमारे मौसम मॉडल को अपडेट करना होगा।

शीतकालीन ओलंपिक 2022: नकली बर्फ बनेगी पर्यावरण के लिए असली खतरा
निशान्त फरवरी में बीजिंग ओलंपिक खेलों में कुछ अभूतपूर्व होगा। दरअसल ऐसा पहली बार होगा जब शीतकालीन ओलंपिक का आयोजन 100 प्रतिशत कृत्रिम बर्फ की मदद से होगा। और ऐसा संभव होगा 100 बर्फ जनरेटर मशीनों और 300 बर्फ बनाने वाली बंदूकों की मदद से। लेकिन वैज्ञानिकों की मानें तो ऐसा करना पर्यावरण के लिए खतरनाक साबित हो सकता है। उनका मानना…

बिजली पहुँच में वृद्धि के बावजूद जनजातीय घरों में प्रकाश के लिए मिट्टी के तेल पर बढ़ती निर्भरता
निशान्त एक हैरान करने वाले घटनाक्रम में पता चला है कि झारखंड में जनजातीय समुदायों में बिजली पहुंच में वृद्धि के बावजूद, जनजातीय घरों में ग्रिड के उपयोग में गिरावट और प्रकाश के लिए मिट्टी के तेल पर निर्भरता में वृद्धि हुई है। द इनिशिएटिव फॉर सस्टेनेबल एनर्जी पॉलिसी (ISEP) ने आज पावर फॉर ऑल के सहयोग से एक…

एनर्जी ट्रांजिशन के लिए उत्तर प्रदेश को करना होगा सौर पर गौर
रिन्युब्ल ऊर्जा क्षमता सम्बन्धी लक्ष्यों को हासिल करने के लिए रिन्युब्ल ऊर्जा उत्पादन क्षमता में हर साल औसतन 2.5 गीगावॉट की वृद्धि ज़रूरी रिन्युब्ल ऊर्जा क्षमता सम्बन्धी लक्ष्यों को जमीन पर उतारने के मामले में उत्तर प्रदेश अधिक ऊर्जा आवश्यकता वाले अन्य राज्यों के मुकाबले पिछड़ा हुआ है। इंस्टीट्यूट फॉर एनर्जी इकोनॉमिक्स एंड फाइनेंशियल एनालिसिस (आईईईएफए) और एनर्जी…