इस नए शोध की मानें तो जलवायु परिवर्तन और भीषण गर्मी आपके बच्चे का बुढ़ापा खराब कर सकती है। अगर आप कल की किसी ऐसी संभावना से बचना चाहते हैं तो आपको आज कुछ करना होगा। जलवायु परिवर्तन तो प्रकृतिक प्रक्रिया है और वो हमारे विकास के साथ होती रहेगी। लेकिन उसकी गति को अगर…
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पिघलते ग्लेशियरों की निगरानी ज़रूरी, वरना आज सिक्किम, कल….
बीते हफ्ते, सिक्किम में दक्षिण लोनाक झील पर बहुत भारी बारिश हुई। इसके चलते झील के पानी ने अपना किनारा छोड़ दिया। सब कुछ इतना अचानक हुआ कि झील के पानी ने चुंगथांग बांध को तोड़ दिया। और इसके बाद तबाही का ऐसा दौर आया कि फिलहाल चालीस से ज़्यादा लोगों की मौत की खबर है, तमाम लोग गायब हैं, अनगिनत…
सावधान! रिवर इंटरलिंकिंग परियोजनाओं से बदल सकता है मॉनसून का पैटर्न
हाल ही में नेचर कम्युनिकेशंस पत्रिका में प्रकाशित एक शोध लेख ने भारत में प्रस्तावित रिवर इंटरलिंकिंग परियोजनाओं के मानसून पर पड़ने वाले संभावित प्रभावों की ओर ध्यान आकर्षित किया है। शोधकर्ताओं ने जलवायु मॉडलिंग का प्रयोग करते हुए पाया कि गंगा, ब्रह्मपुत्र, महानदी और गोदावरी जैसी प्रमुख नदियों के जल के अंतर्बेसिन हस्तांतरण या…
दुनिया में कोई नहीं बच पाया है बीते तीन महीनों में ग्लोबल वार्मिंग के प्रभाव से
क्लाइमेट सेंट्रल के एक ताज़ा अध्ययन में पाया गया है कि जून और अगस्त 2023 के बीच जलवायु परिवर्तन ने दुनिया के हर हिस्से को प्रभावित किया। इसका असर सभी 180 देशों और 22 क्षेत्रों पर पड़ा। विश्व की लगभग 98% जनसंख्या, जो लगभग 7.95 अरब लोग हैं, ने वातावरण में कार्बन प्रदूषण के कारण…
छोटे उद्योग करते हैं 110 मिलियन टन CO2/वर्ष का एमिशन; यह टूल करेगा स्थिति से निपटने में मदद
भारत में सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (एमएसएमई) देश की जीडीपी का 30% हिस्सा हैं और 110 मिलियन से अधिक श्रमिकों को रोजगार देते हैं। लेकिन सामूहिक रूप से, अर्थव्यवस्था की गाड़ी खींचने वाले यह छोटे इंजन, प्रति वर्ष, लगभग 110 मिलियन टन कार्बन डाइऑक्साइड भी उगलते हैं। यह आंकड़ा भारत के नेट ज़ीरो लक्ष्य…
मॉनसून और अल-नीनो के रिश्तों में कहीं बढ़ी गर्मी तो कहीं पड़ी ठंड
मानसून बारिश और अल-नीनो नाम की समुद्री तरंग में वैसे तो गहरा नाता रहा है हमेशा, मगर भारत के विभिन्न क्षेत्रों में पिछली सदी के दौरान इन दोनों के रिश्तों के रंग बादल चुके हैं। इन बात का पता चलता है पुणे स्थित भारतीय उष्णदेशीय मौसम विज्ञान संस्थान (आईआईटीएम) के वैज्ञानिक रोक्सी मैथ्यू कोल की अगुवाई में हुए…
“जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए कुछ करने को सक्षम हम आखिरी पीढ़ी हैं”
जलवायु परिवर्तन से निपटने की जितनी तात्कालिकता आज के दौर में महसूस होती है, उतनी पहले कभी नहीं रही। और वक़्त के साथ इस विषय की प्रासंगिकता बढ़ती ही जाएगी। क्योंकि यह समस्या मानव जनित है, इसका समाधान भी मानव जनित ही होगा। सरल शब्दों में जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए जन सहभागिता बेहद…
गर्मी से राहत नहीं, आफत बन रही है मॉनसून की बारिश। वजह है जलवायु परिवर्तन।
बारिश की आमद गर्मी से राहत देने के लिए जानी जाती थी। मगर अब, यह राहत बन रही है आफत। भारत में चरम मौसम की घटनाओं में वृद्धि का पैमाना हर गुजरते साल के साथ नई ऊंचाई छू रहा है। साल 2023 की शुरुआत अगर सर्दी की जगह अधिक गर्मी के साथ हुई, तो फरवरी…
जीवाश्म ईंधन से जुड़ी उधारी पड़ रही है नेट ज़ीरो उम्मीदों पर भारी
वैश्विक मामलों के थिंकटैंक ओडीआई की एक ताजा रिसर्च में यह बात सामने आई है कि निम्न और मध्यम आमदनी वाले देशों में जीवाश्म ईंधन के खनन से संबंधित कर्ज के कुचक्र से वैश्विक स्तर पर एनेर्जी ट्रांज़िशन को खतरा उत्पन्न हो रहा है। कर्ज का बोझ पड़ने पर यह देश तेल तथा गैस के…
अंतर्राष्ट्रीय डेल्टा शिखर सम्मेलन में डेल्टाई पारिस्थितिक तंत्र की रक्षा करने की तात्कालिकता पर डाला गया प्रकाश
जब एक नदी किसी बड़े जल निकाय, जैसे समुद्र, में मिलती है, तो उस जगह पर नदी द्वारा लायी गयी मिट्टी से एक त्रिकोणीय आकार का भूभाग बनता। डेल्टा इसी भू-आकृति को कहते हैं। यह प्रकृति और मानव समाज में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। ऐसा इसलिए क्योंकि डेल्टा जैव विविधता के हॉटस्पॉट होते हैं…