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Tag: paris climate agreement

भारत का नेट-ज़ीरो होना संभव, लेकिन जटिल भी!

Posted on April 9, 2021

जिस जलवायु परिर्वतन को अमेरिका में डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन के दौरान ठंडे बस्ते में डाल दिया गया था, उसे जो बिडेन के नेतृत्व में अमेरिका की ओर से दुनिया की सबसे बड़ी प्राथमिकता के रूप में प्रस्तुत किया जा रहा है। इसी सिलसिले में जॉन केरी, जो कि जो बाइडेन के क्लाइमेट दूत हैं, तीन…

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प्राकृतिक अजूबों को भी नष्ट कर सकता है जलवायु परिवर्तन

Posted on April 9, 2021

यदि ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में वृद्धि जारी रहती है तो दुनिया के सबसे आश्चर्यजनक प्राकृतिक स्थानों के अद्वितीय जानवर और पौधे विलुप्त हो सकते हैं। यह चेतावनी सामने आई है जर्नल बायोलॉजिकल संरक्षण में प्रकाशित एक नए वैज्ञानिक अध्ययन में। हालाँकि पेरिस समझौते के जलवायु लक्ष्यों के भीतर शेष है – जिसका उद्देश्य वैश्विक तापमान को 2°C से नीचे रखना है, आदर्श रूप…

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क्या उत्तराखंड की बढ़ती गर्मी बनी वहाँ जंगलों में लगी आग का सबब?

Posted on April 7, 2021

जंगलों में लगने वाली आग अब तक हमें अमेरिका और ब्राज़ील की याद दिलाती हैं। लेकिन अब, आग लगने की ख़बर हमारे अपने उत्तराखंड के जंगलों से फ़िलहाल आ रही है। अटपटा सिर्फ यही नहीं कि भारत के जंगलों में आग लगी है। जंगलों में आग लगना असामान्य नहीं है लेकिन हैरान करने वाली बात…

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ट्रम्प के नेतृत्व में ओबामा काल से ज़्यादा कोयला बिजली प्लांट हुए रिटायर

Posted on April 6, 2021

भले ही डोनाल्ड ट्रम्प पेरिस समझौते से अमेरिका को बाहर निकालने के लिए पर्यावरण विरोधी कहे जाते हों, लेकिन ताज़ा आंकड़े बताते हैं कि बराक ओबामा के आख़िरी शासन काल के मुकाबले ट्रम्प के शासन काल में ज़्यादा क्षमता के कोयला बिजली संयंत्रों को रिटायर किया गया।वहीँ चीन में साल 2020 में 38.4 गीगावॉट के…

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भूमध्यरेखा पर ग्लोबल वार्मिंग ने किया त्रस्त, गर्मी से समुद्री जीवन अस्त-व्यस्त

Posted on April 5, 2021

एक नए अध्ययन से पहली बार यह पता चला है कि जलवायु परिवर्तन के चलते समुद्री जीवन अस्त व्यस्त हो चुका है। यहाँ तक की भूमध्यरेखा और ट्रॉपिक्स पर पानी में गर्मी इस कदर बढ़ चुकी है कि वहां से तमाम समुद्री जीवन की प्रजातियाँ दूर जा चुकी हैं। भूमध्यरेखीय जल में पाए जाने वाले…

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यह लिक्विड 18 साल तक करेगा सोलर एनेर्जी को स्टोर!

Posted on April 4, 2021

इस बात में तो कोई दो राय नहीं कि आने वाले वक़्त में जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता से निजात न सिर्फ हमारे लिए ज़रूरी होती जाएगी, बल्कि हमारी मजबूरी भी बन जाएगी। जीवाश्म ईंधन के विकल्प की बात करें तो भविष्य सौर ऊर्जा का है।भारत के परिदृश्य में सौर ऊर्जा की बात करें तो भारत…

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फ़िलहाल भारत का नेट ज़ीरो होने का इरादा नहीं, ऊर्जा मंत्री ने उल्टा बोला चीन पर हमला

Posted on April 2, 2021

तमाम कयासों को शांत करते हुए भारत के ऊर्जा एवं रिन्यूएबिल एनर्जी मंत्री राज कुमार सिंह ने न सिर्फ साफ़ कर दिया है कि भारत फ़िलहाल नेट ज़ीरो एमिशन के लिए कोई वायदा नहीं करेगा, बल्कि भारत के ऊर्जा मंत्री ने चीन और उस जैसे बड़े उत्सर्जकों पर शब्दों का तीखा हमला भी कर डाला है।…

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जलवायु परिवर्तन पर केन्द्रीय बैंकों की कथनी और करनी में फ़र्क

Posted on March 31, 2021

जी20 देशों के केन्‍द्रीय बैंकों में है उच्‍च प्रभावशीलता वाली जलवायु सम्‍बन्‍धी नीतियों का गहरा अभाव, कहना है इस महत्वपूर्ण रिपोर्ट का जलवायु परिवर्तन के मुद्दे पर लम्‍बे-लम्‍बे भाषण देने वाले दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्‍यवस्‍थाओं के शीर्ष वित्‍तीय और मौद्रिक इकाइयों के जिम्‍मेदार लोग अपनी ही कही बात पर अमल नहीं कर रहे हैं।…

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जलवायु निष्क्रियता की कीमत नेट ज़ीरो होने के खर्चे से कहीं ज़्यादा

Posted on March 30, 2021

मौजूदा वार्मिंग प्रवृत्ति जारी रहने पर जलवायु परिवर्तन से आर्थिक नुकसान 2025 तक प्रति वर्ष $ 1.7 ट्रिलियन तक पहुंच जाएगा, और 2075 तक लगभग 30 ट्रिलियन डॉलर प्रति वर्ष (अनुमानित GDPका 5%) तक पहुंच जाएगा। जलवायु कार्रवाई को रोकने या टालने के इरादे से राजनेता अक्सर तर्क देते हैं कि इसमें बहुत अधिक लागत…

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दुनिया के आधे से ज़्यादा देश नेट ज़ीरो होने के लिए तैयार

Posted on March 24, 2021

दुनिया के 61 प्रतिशत देश, दुनिया के सबसे ज़्यादा प्रदूषण करने वाले देशों में 9 प्रतिशत राज्य और 50 लाख की आबादी से अधिक वाले 13 प्रतिशत शहर अब नेट जीरो कार्बन एमिशन के लिए प्रतिबद्ध हैं। यही नहीं, लगभग 14 ट्रिलियन डॉलर का कारोबार करनेवाली दुनिया की 2,000 सबसे बड़ी सार्वजनिक कंपनियों में से हर पांचवी कम्पनी (21% कंपनियां) ने भी नेट ज़ीरो कार्बन एमिशन का लक्ष्य हासिल करने का इरादा कर लिया है।इन बातों का ख़ुलासा हुआ ऊर्जा और जलवायु इंटेलिजेंस यूनिट (ECIU) और ऑक्सफोर्ड नेट ज़ीरो की एक ताज़ा रिपोर्ट से। इतना ही नहीं, इनमें से ज़्यादातर कंपनियों के पास न सिर्फ़ एक अंतरिम लक्ष्य है बल्कि एक प्रकाशित योजना और एक रिपोर्टिंग तंत्र भी है। बड़ी जल्दी ही इन सबने एक ‘जबरदस्त  मानदंड’ का पूरा सेट भी तैयार कर लिया है। लेकिन इस रिपोर्ट के लेखक ये चेतावनी भी देते है कि यदि एक अच्छी गवर्नेंस, पारदर्शिता और एक भरोसेमंद ऑफ़सेटिंग को प्राथमिकता न दी…

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क्लाइमेट की कहानी, मेरी ज़बानी

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