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चलिए पढ़ा जाये

रिन्यूबल एनेर्जी का रुख करने से, तेल की बढ़ती कीमतों के बावजूद, 3.5 ट्रिलियन डॉलर की हो सकती है बचत

Posted on December 4, 2023

एक प्रमुख वैश्विक अर्थशास्त्र कंसल्टेंसी, कैंब्रिज इकोनोमेट्रिक्स की एक हालिया रिपोर्ट, तेल और गैस की कीमतों में वृद्धि की स्थिति में, रिन्यूबल एनेर्जी का रुख करने में तेजी लाने के महत्वपूर्ण वित्तीय लाभों को रेखांकित करती है। इस अध्ययन में न ऊर्जा मूल्य महंगाई के झटकों के आर्थिक असर पर विचार किया गया है बल्कि…

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नेट ज़ीरो के लिए कार्बन कैप्चर और स्टोरेज पर ज़रूरत से ज़्यादा निर्भरता पड़ेगी महंगी

Posted on December 4, 2023

ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के स्मिथ स्कूल ऑफ एंटरप्राइज एंड द एनवायरनमेंट की एक हालिया रिपोर्ट से पता चलता है कि 2050 के आसपास नेट ज़ीरो एमिशन हासिल करने के लिए कार्बन कैप्चर एंड स्टोरेज (सीसीएस) पर बहुत अधिक निर्भर रहने की महत्वपूर्ण आर्थिक लागत हो सकती है। अध्ययन से पता चलता है कि नेट ज़ीरो के…

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वैश्विक विशेषज्ञों ने टॉप 10 जलवायु विज्ञान अंतर्दृष्टियों का किया अनावरण 

Posted on December 3, 2023

एक महत्वपूर्ण घटनाक्रम में, सामाजिक और प्राकृतिक विज्ञान के अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञों ने वार्षिक “जलवायु विज्ञान में 10 नई अंतर्दृष्टि” नाम की एक रिपोर्ट, यूएनएफसीसीसी के कार्यकारी सचिव,  साइमन स्टिल के साथ प्रस्तुत किया। यह रिपोर्ट, पिछले 18 महीनों के नवीनतम और महत्वपूर्ण जलवायु विज्ञान अनुसंधान से मिले नतीजों का संकलन है। इसका उद्देश्य नीति निर्माताओं…

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अब अस्पताल भी बंद कराएगा जलवायु परिवर्तन  

Posted on December 3, 2023

अस्पतालों पर एक नया खतरा मंडरा रहा है। और यह खतरा लाई है बदलती जलवायु। जी हाँ, सही पढ़ा। चरम मौसम की घटनाएँ अस्पतालों को बंद तक करा सकती हैं।  दरअसल क्रॉस डिपेंडेंसी एनालिसिस (एक्सडीआई) द्वारा आज जारी एक नई रिपोर्ट के अनुसार, यदि दुनिया के तमाम देश फोस्सिल फ्यूल एमिशन पर अंकुश लगाने में विफल रहते हैं, तो दुनिया भर…

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कृषि पर जलवायु संकट का गंभीर खतरा, फसल विविधीकरण और लचीली कृषि पद्धतियाँ अब बेहद प्रासंगिक

Posted on December 2, 2023

भारत के 40% कार्यबल को रोजगार देने वाला कृषि क्षेत्र जलवायु परिवर्तन से गंभीर खतरे में है। फसल पैदावार कम होने के चलते इस साल पहले ही खाद्य कीमतों में 11.51% की वृद्धि देखी जा रही है और इस बीच बढ़ते तापमान के चलते पैदावार के और कम होने की पूरी संभावना है। ‘भारत में…

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COP 28 शुरू, क्या बन पाएगी लॉस एंड डैमेज फंड संचालन पर आम सहमति?

Posted on November 30, 2023

संयुक्त राष्ट्र की ताज़ा बैठक दुबई में आज से शुरू हो गयी है और इसकी सफल शुरुआत को ले कर तमाम कयास लगाए जा रहे हैं। फिलहाल इस बैठक की शुरुरात में दुनिया के लगभग सभी देश, दुनिया भर के कमजोर देशों को ग्लोबल वार्मिंग के कारण होने वाले अत्यधिक खराब मौसम से निपटने में…

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अपने नेट-जीरो लक्ष्‍यों के लिये होगी भारत को 101 बिलियन डॉलर की जरूरत

Posted on November 29, 2023

भारत वर्ष 2030 तक अपनी अक्षय ऊर्जा क्षमता को तीन गुना से भी ज्यादा बढ़ाने की योजना पहले से ही बना रहा है, मगर ऐसा करने के लिये 293 बिलियन डॉलर की जरूरत पड़ेगी। वैश्विक थिंक टैंक ‘एम्‍बर’ की एक नयी रिपोर्ट में यह बात सामने आयी है। विश्‍लेषण मे पाया गया है कि भारत…

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Just Transition Difficult

चीन की बाहर वैश्विक कोयला बिजली निर्माण पहुंचा रिकॉर्ड निचले स्तर पर, COP28 से बढ़ी उम्मीदें

Posted on November 28, 2023

एक बेहद सकारात्मक घटनाक्रम में, संयुक्त राष्ट्र की 28वीं जलवायु परिवर्तन सम्मेलन (सीओपी28) के इस सप्ताह दुबई में शुरू होने से ठीक पहले, ग्लोबल एनर्जी मॉनिटर (जीईएम) के ताजा तिमाही आंकड़ों से पता चलता है कि चीन को छोड़कर, वैश्विक स्तर पर नए कोयला बिजली निर्माण में महत्वपूर्ण गिरावट आई है। ग्लोबल कोल प्लांट ट्रैकर की नवीनतम जानकारी के अनुसार अक्टूबर 2023 तक, इस…

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दुनिया का एक तिहाई भोजन पैदा करने वाले किसानों को अंतरराष्‍ट्रीय क्लाइमेट फाइनेंस का मिलता है मात्र 0.3 प्रतिशत

Posted on November 24, 2023

दुनिया में उत्‍पादित कुल भोजन के एक तिहाई हिस्‍से का उत्‍पादन करने वाले लघु स्‍तरीय किसानों को अंतरराष्‍ट्रीय क्लाइमेट फाइनेंस या  जलवायु वित्‍त का महज 0.3 प्रतिशत हिस्सा ही नसीब होता है। इस बात का पता चलता है दुनिया के साढ़े तीन करोड़ पुश्तैनी, या पीढ़ी दर पीढ़ी खेती करते चले आ रहे छोटे और मंझोले किसान…

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वार्मिंग को 2.5-2.9°C तक रोकने के लिए मौजूदा से अधिक प्रयास ज़रूरी

Posted on November 20, 2023

एक कड़ी चेतावनी देते हुए, संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (यूएनईपी) की नवीनतम एमिशन गैप रिपोर्ट दुनिया के तमाम देशों के लिए वर्तमान पेरिस समझौते के वादों से परे अपनी जलवायु प्रतिबद्धताओं को बढ़ाने की अनिवार्यता को साफ़ करती है। ऐसा करने में विफल रहने पर सदी के अंत तक वैश्विक तापमान पूर्व-औद्योगिक स्तर से 2.5-2.9…

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क्लाइमेट की कहानी, मेरी ज़बानी

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