Skip to content
Menu
Climate कहानी
  • आइए, आपका स्वागत है!
  • बुनियादी बातें
  • चलिए पढ़ा जाये
  • आपकी कहानी
  • सम्पर्क
  • शब्दकोश
Climate कहानी

“जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए कुछ करने को सक्षम हम आखिरी पीढ़ी हैं”

Posted on August 9, 2023

जलवायु परिवर्तन से निपटने की जितनी तात्कालिकता आज के दौर में महसूस होती है, उतनी पहले कभी नहीं रही। और वक़्त के साथ इस विषय की प्रासंगिकता बढ़ती ही जाएगी। क्योंकि यह समस्या मानव जनित है, इसका समाधान भी मानव जनित ही होगा। सरल शब्दों में जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए जन सहभागिता बेहद ज़रूरी है। और जन सहभागिता के लिए जन जागरण महत्वपूर्ण है।
बस यहीं पर मीडिया की भूमिका उभर कर सामने आती है। और इन बातों के दृष्टिगत अगर कल जिनके हाथ मीडिया की बागडोर होगी, उन्हें आज ही इस विषय के प्रति जागरूक और संवेदनशील बनाया जाये तो इससे अच्छी पहल और क्या हो सकती है।
इसी क्रम में दिल्ली स्थित सेंटर फार मीडिया स्टडीज (सीएमएस) नाम की प्रतिष्ठित संस्था ने मीडिया और कम्यूनिकेशन के छात्रों को लो कार्बन सस्टेनेबल डेवलपमेंट या कम कार्बन सघनता वाले टिकाऊ विकास के बारे में जानकारी देने और उनकी पेशेवर क्षमता बढ़ाने के इरादे से एक कार्यक्रम की शुरुआत की है, जिसके अंतर्गत यह संस्था देश के चार बड़े राज्यों में मीडिया छात्रों के इस क्षमता संवर्धन पर काम करेगी।

बाएँ से दायें: सुश्री अन्नु आनंद, सुश्री वेर्णिका प्रकाश, डॉ. राम भुज, और डॉ संजय एम जोहरी

कार्यक्रम के तहत, स्नातकोत्तर मीडिया छात्रों के लिए उत्तर प्रदेश, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश, और हरियाणा चार राज्य स्तरीय प्रशिक्षण कार्यशालाएं आयोजित की जाएंगी। इस कार्यक्रम का पहला मीडिया छात्र ट्रेनिंग प्रोग्राम लखनऊ स्थित एमिटी यूनिवर्सिटी कैंपस में बीती 3अगस्त को आयोजित किया गया। कार्यक्रम का उद्घाटन करते हुए मोबिस फाउंडेशन के सीईओ डॉ. राम भुज ने कहा, “टिकाऊ विकास के लिए संसाधनों की बरबादी पर लगाम लगानी होगी।“ उनकी बात को आगे बढ़ाते हुए सीएमएस एडवोकेसी की निदेशक सुश्री अन्नू आनंद का कहना था कि “ऐसे युग में जहां जलवायु परिवर्तन के प्रभाव बड़े पैमाने पर हैं और टिकाऊ विकास को प्राथमिकता बनाना एक आवश्यकता बन गया है, मीडिया पेशेवरों की भूमिका पहले से कहीं अधिक महत्वपूर्ण हो गयी है। जलवायु परिवर्तन और स्थायी मुद्दों पर सटीक और जिम्मेदारी से जानकारी प्रसारित करने में भविष्य के मीडिया प्रोफेशनल्स की अहम् भूमिका को नकारा नहीं जा सकता।”
डॉ संजय एम जोहरी, निदेशक एमिटी स्कूल ऑफ़ कम्युनिकेशन का कहना था कि हम अक्सर जलवायु परिवर्तन को गलत समझते हैं जैसे कि यह मौसम में बदलाव के बारे में है लेकिन वास्तव में, यह हमारे जीवन के तरीके में बदलाव के बारे में है। हमें याद रखना चाहिए कि हम जलवायु परिवर्तन के दंश को महसूस करने वाली पहली पीढ़ी हैं, और हम निश्चित रूप से आखिरी पीढ़ी हैं जो अब इसके बारे में कुछ कर सकते हैं। हमें ग्रह की रक्षा करने और उसे अगली पीढ़ी को सौंपने कोमिशन के रूप में लेना चाहिए।
ग्रीनटेक नॉलेज सॉल्यूशंस की निदेशक और कार्यशाला की प्रशिक्षक सुश्री वर्निका प्रकाश ने कहा कि यह उद्योग ही है जो उपयोगकर्ताओं को कम कार्बोनेटेड विकल्प उपलब्ध कराने के लिए जिम्मेदार है, उदाहरण के लिए बिजली के उपकरण या कपड़े जो हम पहनते हैं।

कार्यशाला का पहला दिन लो-कार्बन डेव्लपमेंट, शहरी नियोजन और लो-कार्बन और टिकाऊ विकास सिद्धांतों और नीतियों की आवश्यकता जैसे विभिन्न मुद्दों पर तकनीकी ज्ञान प्रदान करने पर केंद्रित था। दूसरे दिन प्रतिभागियों ने ऑर्गेनिक इंडिया फैक्ट्री, बाराबंकी का दौरा किया और जैविक और पर्यावरण के अनुकूल उत्पादों के निर्माण को देखा। ऑर्गेनिक इंडिया के जीएम ऑपरेशन श्री अमित लंगदे ने प्रतिभागियों को बताया कि वे 100 विभिन्न प्रकार के जैविक उत्पादों के निर्माण के लिए पूरे भारत में विभिन्न राज्यों के 121 गांवों में 2486 किसानों के साथ मिलकर काम कर रहे हैं।
जलवायु विज्ञान संचार विशेषज्ञ और क्लाइमेट कहानी के संचालक, श्री निशांत सक्सेना ने छात्रों को कम कार्बन विकास पर व्यावहारिक अभ्यास और बातचीत के माध्यम से लेखन और रिपोर्टिंग में व्यावहारिक प्रशिक्षण प्रदान किया।
सीएमएस पिछले सात वर्षों से जलवायु परिवर्तन और संबंधित पहलुओं पर मुख्यधारा के मीडिया और मीडिया छात्रों के लिए आकर्षक कार्यक्रम आयोजित कर रहा है। इस वर्ष का क्षमता-निर्माण कार्यक्रम ऑस्ट्रेलियाई उच्चायोग, नई दिल्ली द्वारा समर्थित है।

  • air pollution
  • climate action
  • climate change
  • environment
  • global warming

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

क्लाइमेट की कहानी, मेरी ज़बानी

©2025 Climate कहानी | WordPress Theme: EcoCoded