अगर भारत की कंपनियाँ हर घंटे के हिसाब से कार्बन-फ्री बिजली खरीदने लगें, तो देश 2030 तक 52 गीगावॉट तक चौबीस घंटे मिलने वाली स्वच्छ बिजली जोड़ सकता है। यह भारत की कुल अनुमानित बिजली मांग का 5% हिस्सा होगा — और उसमें से 70% पूरी तरह स्वच्छ स्रोतों से हासिल किया जा सकेगा। इस…
Author: Climate कहानी

डिजिटल दुनिया पर जलवायु संकट का बढ़ता ख़तरा: दुनिया भर के डेटा सेंटर आ सकते हैं बाढ़, तूफ़ान और आग की चपेट में
बैंकिंग से लेकर क्लाउड स्टोरेज, मेडिकल इमरजेंसी से लेकर मोबाइल नेटवर्क और लॉजिस्टिक्स तक, हमारी पूरी डिजिटल दुनिया जिन डेटा सेंटरों पर टिकी है — वे अब खुद एक बड़े खतरे की चपेट में हैं। यह खुलासा हुआ है XDI (Cross Dependency Initiative) की एक अहम नई रिपोर्ट में, जो जलवायु परिवर्तन के चलते तेज़ी…

अब AI सुनेगी, समझेगी हवा को…
IIT Kanpur और IBM की साझेदारी से उत्तर प्रदेश में AI बनाएगी साफ़ सांसों के नक्शे हम अक्सर हवा को महसूस तो करते हैं, पर क्या हम उसे सुन और समझ पाते हैं? न हमें धुएं की चीख़ सुनाई देती है, न उसमें घुले ज़हरीले कणों की फुसफुसाहट।कभी शिकायत करते हैं कि दम घुट रहा…

अब वक़्त है विकास के हिसाब का
स्पेन के सेविला से निकली विकास की नई कहानी कभी-कभी हलचल वहीं से शुरू होती है जहाँ सदी पुरानी व्यवस्थाएँ थकी हुई लगने लगती हैं। स्पेन के सेविला शहर में बीते सोमवार को कुछ वैसा ही हुआ। दुनिया भर के नेता, नीति निर्माता, बैंकर्स और सिविल सोसायटी के लोग एकजुट हुए—न किसी पार्टी के लिए,…

अदालतें बन रही हैं जलवायु की रणभूमि
दुनिया भर में बढ़ते क्लाइमेट मुक़दमे और भारत में इसकी गूंज एक ज़माना था जब जलवायु संकट का ज़िक्र सिर्फ़ वैज्ञानिक रिपोर्टों, यूएन सम्मेलनों या NGO की याचिकाओं तक सीमित होता था। लेकिन अब वही मुद्दा अदालतों की चौखट लांघ चुका है। कोर्टरूम अब सिर्फ़ न्याय का मंच नहीं, बल्कि जलवायु की अगली लड़ाई का…

जलवायु नीति पर बहस में भारतीय कंपनियाँ खामोश
आजकल हर कोई Net Zero की बातें करता है। कॉरपोरेट जगत से भी बड़े-बड़े climate commitments आते हैं—websites पर sustainability pledges हैं, events में climate change पर panels हैं… लेकिन जब बात असल नीति निर्माण की आती है—जहाँ सच में बदलाव की बुनियाद रखी जाती है—तो ज़्यादातर कंपनियाँ खामोश नज़र आती हैं। भारतीय व्यापार जगत…

आपका सादा खाना भी काफ़ी ‘ओइली’ है!
क्या आप जानते हैं कि आपका सादा खाना भी काफ़ी ‘ओइली’ है?नहीं, हम घी या सरसों तेल की बात नहीं कर रहे—हम बात कर रहे हैं उस कच्चे तेल की जिसकी कीमत इज़राइल-ईरान जैसे युद्धों से तय होती है, और जिसकी लत में डूबी है आज की पूरी खाद्य प्रणाली। आज चावल से लेकर चिप्स…

एशिया तप रहा है, मौसम बदल रहा है – लेकिन चेतावनी काम आ रही है
साल 2024 का साल एशिया के लिए सिर्फ गर्म नहीं था, ये एक जलवायु चेतावनी की घंटी जैसा था—कभी धधकते शहर, कभी पिघलते ग्लेशियर, तो कभी डूबते खेत। वर्ल्ड मेट्रोलॉजिकल ऑर्गनाइज़ेशन (WMO) की ताज़ा रिपोर्ट State of the Climate in Asia 2024 बताती है कि एशिया अब पूरी दुनिया से लगभग दोगुनी रफ्तार से गरम…

शुरू हो चुकी है बिजली के भविष्य की जंग — क्या भारत वाकई तैयार है?
नई दिल्ली की गर्म दोपहर में जब देश की ऊर्जा पर बात हुई, तो सिर्फ़ AC के रिमोट नहीं, सोच के स्विच भी ऑन हुए। 18 जून को दिल्ली के इंटरनेशनल सेंटर में कुछ ऐसे लोग एक साथ बैठे, जो भारत की ऊर्जा नीति के मानचित्र पर कल की दिशा तय कर सकते हैं। गोलमेज़…

बैकअप से आगे की बात, BESS के साथ
जब सूरज ढल जाए, BESS साथ निभाए कुछ इंकलाब नारे लेकर आते हैं। और कुछ सिर झुकाए, काम में लगे रहते हैं—बिना तमगे की चाहत के, बस अपना फ़र्ज़ निभाते हुए। Battery Energy Storage Systems, यानी BESS, ऐसी ही एक चुपचाप चलने वाली ताक़त है। ना चर्चा, ना तमाशा, पर जिसकी गैरमौजूदगी में पूरी रिन्यूएबल…