विश्व के प्रत्येक महाद्वीप में अपनी जनसंख्या को 100% रिन्यूएबल एनर्जी उपलब्ध कराने के लिए पर्याप्त नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता है।
वैश्विक तापमान वृद्धि को 1.5ºC के लक्ष्य से नीचे रखने के लिए न सिर्फ जीवाश्म ईंधन उत्पादन के विस्तार का अंत ज़रूरी है बल्कि मौजूदा उत्पादन को भी चरणबद्ध तरीके से कम करना ज़रूरी है। ऐसा इसलिए क्योंकि भले ही जीवाश्म ईंधन के विस्तार को रातोंरात बंद कर दिया जाए, लेकिन मौजूदा कोयला खदानों और तेल और गैस के कुओं में पहले से ही इतना जीवाश्म ईंधन उत्पादित हो रहा है कि वो 1.5 डिग्री सेल्सियस के लक्ष्य को हासिल नहीं कर पायेगा।
इस बात की जानकारी मिलती है इंस्टीट्यूट फॉर सस्टेनेबल फ्यूचर्स, यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्नोलॉजी, सिडनी द्वारा तैयार की गई एक रिपोर्ट में। इस रिपोर्ट को फॉसिल फ्यूल नॉन प्रोलिफरेशन ट्रीटी के सहयोग से तैयार किया गया है।
रिपोर्ट में आगे बताया गया है कि दुनिया के पास अपनी ऊर्जा मांग की ज़रुरत से काफ़ी ज़्यादा मात्रा में रिन्यूएबल एनर्जी रिसोर्सेज़ मौजूद हैं। इन संसाधनों का सही से प्रयोग हो तो विश्व के प्रत्येक व्यक्ति की ऊर्जा मांगों को पूरा किया किया जा सकता है। लेकिन इसके बावजूद, असलियत ये है कई साल 2030 तक, अगर किसी भी नए कोयले, तेल या गैस परियोजना को शुरू ण किया जाये, फिर भी दुनिया 35% अधिक तेल और 69% अधिक कोयले का उत्पादन करेगी, जो कि 1.5 डिग्री सेल्सियस के लक्ष्य को हासिल करने के अनुरूप नहीं है।
एक और रोचक बात जो इस रिपोर्ट में पता चलती है वो ये है कि जैसे-जैसे रिन्यूएबल एनर्जी की लागत कम हुई है, उसकी तकनीकी और आर्थिक प्रासंगिकता भी बढ़ी है। तमाम बंदिशों के बावजूद, सौर और पवन ऊर्जा दुनिया को मौजूदा से 50 गुना से अधिक ऊर्जा प्रदान कर सकती है। बल्कि विश्व के प्रत्येक महाद्वीप में अपनी जनसंख्या को 100% नवीकरणीय ऊर्जा उपलब्ध कराने के लिए पर्याप्त नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता है।
जीवाश्म ईंधन क्षेत्र का विस्तार जारी रखने से इंसानों और पर्यावरण को गंभीर कीमत चुकानी पड़ेगी।
रिपोर्ट पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय सिडनी में अनुसंधान निदेशक, एसोसिएट प्रोफेसर स्वेन टेस्के कहते हैं, “राष्ट्रीय सरकारों को कोयला, तेल और गैस निकालने की मात्रा के लिए बाध्यकारी सीमाएं स्थापित करनी चाहिए। रिन्युब्ल एनर्जी, उसकी स्टोरेज टेक्नोलोजी और हाइड्रोजन और सिंथेटिक फ्यूल्स का संयोजन उद्योगों के लिए एक विश्वसनीय ऊर्जा आपूर्ति ढांचा प्रदान करेगा। जीवाश्म ऊर्जा उद्योग को तो समाप्त ही किया जाना चाहिए।”
आगे, स्टैंड.अर्थ में अंतर्राष्ट्रीय कार्यक्रम निदेशक और जीवाश्म ईंधन अप्रसार संधि पहल के अध्यक्ष, त्ज़ेपोरा बर्मन, कहते हैं, ” तेल, गैस और कोयले की तेजी से कमी को ट्रैक करना और नवीकरणीय उत्पादन और बुनियादी ढांचे के विस्तार पर ध्यान केंद्रित करना न केवल संभव है, बल्कि इससे लोगों की जान भी बचेगी।”
अंत में क्लाइमेट एक्शन नेटवर्क दक्षिण एशिया के निदेशक संजय वशिष्ठ, कहते हैं, “रिन्यूएबल एनर्जी के तेजी से बढ़ने और जीवाश्म ईंधन के विकास को समाप्त करने के लिए अब और कोई बहाना नहीं बचा है। ऐसे समय में जब रिन्यूएबल एनर्जी एक विश्वसनीय और किफ़ायती विकल्प के रूप में उभरी है, जीवाश्म ईंधन क्षेत्र का विस्तार करना न सिर्फ धन की एक आपराधिक बर्बादी है, बल्कि उसके विनाशकारी परिणाम होंगे जलवायु और मानव जाति के लिए, विशेष रूप से गरीब देशों में। G7 नेताओं को अब एक उदाहरण स्थापित करना चाहिए और अपने देशों में कोयला संयंत्रों को बंद करना चाहिए।”