मानसून बारिश और अल-नीनो नाम की समुद्री तरंग में वैसे तो गहरा नाता रहा है हमेशा, मगर भारत के विभिन्न क्षेत्रों में पिछली सदी के दौरान इन दोनों के रिश्तों के रंग बादल चुके हैं। इन बात का पता चलता है पुणे स्थित भारतीय उष्णदेशीय मौसम विज्ञान संस्थान (आईआईटीएम) के वैज्ञानिक रोक्सी मैथ्यू कोल की अगुवाई में हुए…
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“जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए कुछ करने को सक्षम हम आखिरी पीढ़ी हैं”
जलवायु परिवर्तन से निपटने की जितनी तात्कालिकता आज के दौर में महसूस होती है, उतनी पहले कभी नहीं रही। और वक़्त के साथ इस विषय की प्रासंगिकता बढ़ती ही जाएगी। क्योंकि यह समस्या मानव जनित है, इसका समाधान भी मानव जनित ही होगा। सरल शब्दों में जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए जन सहभागिता बेहद…

जुलाई में दुनिया की 81 फीसद आबादी ने जलवायु परिवर्तन के कारण झेली भीषण गर्मी
एक के बाद एक वैज्ञानिक सबूत हमारे सामने आते जा रहे हैं जो साफ कर रहे हैं कि बीती जुलाई मानव इतिहास, या उससे पहले के कालखंड की भी सबसे अधिक गरम जुलाई थी। इस बार क्लाइमेट सेंट्रल द्वारा जारी एक अभूतपूर्व रिपोर्ट में, यह पुष्टि की गई है कि जुलाई 2023 ने पृथ्वी के अब तक के सबसे गर्म महीने का खिताब…

बीते सवा लाख सालों में इस साल की जुलाई रहेगी सबसे अधिक गर्म
जर्मनी की लाइपजिग यूनीवर्सिटी में हुए ताज़ा शोध की मानें तो इस साल, बीते लगभग सवा लाख साल बाद जुलाई का महीना सबसे गर्म रहेगा।अब तक साल 2019 की जुलाई सबसे गर्म जुलाई का महीना थी। मगर इस साल, जुलाई का औसत तापमान 2019 के मुक़ाबले 0.2°C बढ़ा गया है और वैज्ञानिकों की मानें तो…

क्लीन एनेर्जी मिनिस्टीरियल वार्ता: प्रदूषण मुक्त ऊर्जा व्यवस्था की उम्मीदों पर फिर गया पानी
भारत की मेजबानी में इस साल गोवा में चौथी G20 एनर्जी ट्रांज़िशन वर्किंग ग्रुप (ETWG) की बैठक आयोजित की गयी। उम्मीद थी कि इस बैठक के नतीजे दुनिया को प्रदूषण मुक्त ऊर्जा व्यवस्था की ओर बढ्ने में मदद करेंगे। मगर इस बैठक के बाद यह साफ़ हो गया कि इसका नतीजा दुनिया की उम्मीदों से…

घटने की जगह बढ़ गयी है दुनिया की कोयला-आधारित स्टील निर्माण क्षमता
ग्लोबल एनर्जी मॉनिटर (Global Energy Monitor) की ताजा रिपोर्ट यह कहती है कि दुनिया में स्टील उत्पादन के लिये ‘ब्लास्ट फर्नेस- बेसिक ऑक्सीजन फर्नेस’ पद्धति का इस्तेमाल करने वाली कोयला आधारित उत्पादन क्षमता वर्ष 2021 के 350 एमटीपीए के मुकाबले 2022 में बढ़कर 380 एमटीपीए हो गयी है। यह ऐसे वक्त हुआ है जब लंबी अवधि के…

गर्मी से राहत नहीं, आफत बन रही है मॉनसून की बारिश। वजह है जलवायु परिवर्तन।
बारिश की आमद गर्मी से राहत देने के लिए जानी जाती थी। मगर अब, यह राहत बन रही है आफत। भारत में चरम मौसम की घटनाओं में वृद्धि का पैमाना हर गुजरते साल के साथ नई ऊंचाई छू रहा है। साल 2023 की शुरुआत अगर सर्दी की जगह अधिक गर्मी के साथ हुई, तो फरवरी…

वायु प्रदूषण नियंत्रण में उत्तर प्रदेश ने मारी बाज़ी, ग्रामीण क्षेत्रों में समस्या भारी
एक नए विश्लेषण के अनुसार, वायु प्रदूषण के खिलाफ भारत की लड़ाई केवल उसके शहरों तक ही सीमित नहीं है, बल्कि ग्रामीण क्षेत्रों तक भी फैली हुई है। उपग्रह डेटा की जांच पर आधारित यह विश्लेषण बताता है कि देश में शहरी और ग्रामीण दोनों क्षेत्रों में पार्टीक्यूलेट मैटर (पीएम2.5) प्रदूषण के समान स्तर हैं। अच्छी बात यह है कि पिछले कुछ वर्षों…

सिर्फ सेल्फ़ी के लिए नहीं, अब पौधे ग्रीन क्रेडिट के लिए लगाएँ
भारत सरकार के पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने ‘ग्रीन क्रेडिट प्रोग्राम (जीसीपी)’ कार्यान्वयन नियमों के मसौदे को सार्वजनिक करते हुए एक बेहतर और पर्यावरण हित में एक साहसिक कदम उठाया है। इस अभूतपूर्व पहल का उद्देश्य एक प्रतिस्पर्धी बाज़ार का लाभ उठाते हुए उसमें शामिल विभिन्न हितधारकों द्वारा स्वैच्छिक पर्यावरणीय कार्यों को प्रोत्साहित…

जानिए क्यों है भारत का इस खनिज क्लब में शामिल होना ख़ास
इधर भारत अमेरिका की अगुआई वाली खनिज सुरक्षा साझेदारी (एमएसपी) में शामिल हुआ और उधर मुंबई की एप्सिलॉन एडवांस्ड मैटेरियल्स (ईएएम) अमेरिका में बैटरी सामग्री इकाई स्थापित करने वाली पहली भारतीय कंपनी बन गई है। प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा अमेरिका की तीन दिवसीय राजकीय यात्रा के ठीक बाद हुई यह घोषणा विशेष महत्व रखती…