दुनिया के 61 प्रतिशत देश, दुनिया के सबसे ज़्यादा प्रदूषण करने वाले देशों में 9 प्रतिशत राज्य और 50 लाख की आबादी से अधिक वाले 13 प्रतिशत शहर अब नेट जीरो कार्बन एमिशन के लिए प्रतिबद्ध हैं। यही नहीं, लगभग 14 ट्रिलियन डॉलर का कारोबार करनेवाली दुनिया की 2,000 सबसे बड़ी सार्वजनिक कंपनियों में से हर पांचवी कम्पनी (21% कंपनियां) ने भी नेट ज़ीरो कार्बन एमिशन का लक्ष्य हासिल करने का इरादा कर लिया है।इन बातों का ख़ुलासा हुआ ऊर्जा और जलवायु इंटेलिजेंस यूनिट (ECIU) और ऑक्सफोर्ड नेट ज़ीरो की एक ताज़ा रिपोर्ट से। इतना ही नहीं, इनमें से ज़्यादातर कंपनियों के पास न सिर्फ़ एक अंतरिम लक्ष्य है बल्कि एक प्रकाशित योजना और एक रिपोर्टिंग तंत्र भी है। बड़ी जल्दी ही इन सबने एक ‘जबरदस्त मानदंड’ का पूरा सेट भी तैयार कर लिया है। लेकिन इस रिपोर्ट के लेखक ये चेतावनी भी देते है कि यदि एक अच्छी गवर्नेंस, पारदर्शिता और एक भरोसेमंद ऑफ़सेटिंग को प्राथमिकता न दी…
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इस बैठक के बाद क्या जलवायु कार्यवाई के लिए चीन और अमेरिका मिला लेंगे हाथ?
चीन की साझा मेज़बानी वाली “मिनिस्ट्रियल ऑन क्लाइमेट एक्शन” (MoCA) में मंगलवार को हुई बहुपक्षीय वार्ता से उम्मीद है उसके आधार पर दुनिया के दो सबसे बड़े कार्बन उत्सर्जकों, चीन और अमेरिका, के बीच अधिक विस्तृत कार्यवाही के लिए न सिर्फ एक अच्छी शुरुआत होगी, बल्कि पारस्परिक विश्वास के पुनर्निर्माण और मतभेदों के प्रबंधन के लिए बेहतर…
विंड एनेर्जी में चीन ने तोड़े रिकॉर्ड, भारत दूसरे स्थान पर
पिछले साल की मंदी के बावजूद, नए विंड एनर्जी संयंत्र लगाने के मामले में भारत, एशिया पैसिफिक रीजन में, दूसरे स्थान पर रहा।आज जारी आंकड़े बताते हैं कि साल एशिया पैसिफिक रीजन में साल 2020 में कुल 55,564 मेगा वाट की विंड एनर्जी कैपसिटी स्थापित हुई और इसमें सबसे ज़्यादा 52,000 मेगावाट के साथ चीन…
कारोबार पर जलवायु परिवर्तन का असर साफ़ ज़ाहिर, डीकार्बोनाइज़ेशन के लिए समय मुफ़ीद
भारत का प्रवेश द्वार कहा जाने वाला राज्य महाराष्ट्र भारत के सबसे बड़े वाणिज्यिक और औद्योगिक केंद्रों में से एक है। इस राज्य ने देश के सामाजिक और राजनीतिक विकास और बदलाव में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।फ़िलहाल ये राज्य कोविड से जूझता नज़र आ रहा है लेकिन इस बीच यहाँ से जलवायु परिवर्तन के ख़िलाफ़ लड़ाई के सन्दर्भ…
कोयला खादानों का मीथेन एमिशन जलवायु के लिए बड़ा ख़तरा
क्या आपको पता है दुनिया भर में प्रस्तावित कोयले की खादानों से होने वाला मीथेन एमिशन अमेरिका के सभी कोयला बिजली घरों से होने वाले कार्बन डाईऑक्साइड एमिशन की बराबरी कर सकता है? स्थिति की गंभीरता इसी से लगाइए कि CO2 के बाद ग्लोबल वार्मिंग में मीथेन का ही सबसे बड़ा योगदान रहा है। मीथेन…
जीवाश्म ईंधन पर प्रतिबन्ध लगाने वाले शहरों की संख्या में हुआ पांच गुना इज़ाफ़ा
दुनिया की आधी से ज़्यादा आबादी ऐसे शहरों में रहती है जहाँ दुनिया की तीन चौथाई बिजली की खपत होती है। इसी वजह से, लगातार दूसरे साल, REN21 ने अपने ताज़ा प्रयास में विश्लेषण किया है कि वायु प्रदूषण और जलवायु परिवर्तन को रोकने के लिए उत्सर्जन के ख़िलाफ़ जंग में दुनिया भर के शहर रिन्यूएबल ऊर्जा का उपयोग…
पर्यावरण की बेहतरी के नाम पर कहीं कार्बन न्यूट्रल एलएनजी छलावा तो नहीं?
आजकल आयल और गैस के क्षेत्र में एक नया ट्रेंड जोर पकड़ रहा है। और ये है कार्बन न्यूट्रल एलएनजी का। शेल और गैज़प्रोम जैसी कम्पनियों ने यूरोप में पहला कार्बन न्यूट्रल एलएनजी कार्गो बेचने का दावा भी किया है। उधर जापान में 15 गैस खरीदारों ने इस ईंधन की खरीद को बढ़ावा देने के…
रिन्युब्ल एनेर्जी के बैटरी स्टोरेज को व्यावहारिक बनाने की स्पष्ट नीति जरूरी
परम्परागत कोयला बिजलीघरों के कारण बढ़ते प्रदूषण से उत्पन्न चिंताओं के बीच वैश्विक स्तर पर आशा की किरण के रूप में उभरी सौर और वायु ऊर्जा अपने साथ कुछ चुनौतियां भी लेकर आयी है। विशेषज्ञों का मानना है कि इस प्रकार की अक्षय ऊर्जा के स्टोरेज और उसके समझदारी से इस्तेमाल की स्पष्ट नीति नहीं…
सिर्फ़ नेट ज़ीरो होने की घोषणा काफ़ी नहीं, पारदर्शिता भी ज़रूरी: नेचर
तमाम देशों में आजकल होड़ है कि और कुछ न सही तो कम से कम जलवायु के लिए अपनी संवेदनशीलता तो जग ज़ाहिर कर दें। इस क्रम में नेट ज़ीरो होने की घोषणा आम हो रही है। लेकिन वैज्ञानिकों का कहना है कि सिर्फ़ ये कह देना कि हम नेट ज़ीरो होने जा रहे हैं, काफ़ी…
यही हाल रहा तो छह महीने रहेंगी गर्मियां!
निशान्त इसमें तो कतई कोई दो राय नहीं कि जलवायु परिवर्तन के असर अब दुनिया के हर कोने में साफ़ दिखाई देने लगे हैं। फिर चाहें वो ध्रुवों पर पिघलते ग्लेशियर हों, या अमेज़न के जंगलों में लगने वाली आग हो, या फिर बदलते मौसम हों, जलवायु परिवर्तन के असर किसी न किसी सूरत में…