सोचिए, अगर घर में आग लगी हो और हम धुएं को खिड़की से बाहर निकालने की मशीन खरीद लें, पर आग बुझाने की कोशिश ही न करें, तो क्या घर बचेगा? यही हाल है कार्बन कैप्चर एंड स्टोरेज (CCS) तकनीक का, जिस पर अब एशिया की कई बड़ी अर्थव्यवस्थाएँ दांव लगाने की सोच रही हैं।…
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अब माइग्रेटरी स्पीशीज़ की यात्राएं भी खतरे में
हर साल जब साइबेरिया से हज़ारों किलोमीटर उड़कर पक्षी भारत की नदियों और तालाबों पर उतरते हैं, जब हाथियों के झुंड जंगलों से गुज़रते हुए नए चरागाह तलाशते हैं, या जब व्हेलें समुद्रों के रास्ते लंबी यात्रा करती हैं-ये सब हमें बताते हैं कि प्रकृति में कितना गहरा संतुलन है। लेकिन अब यही संतुलन जलवायु…
मैदान में तेल का खेल: FIFA, ICC का आरामको से मेल
दुनिया के सबसे बड़े खेल संगठन, जो लाखों-करोड़ों लोगों की धड़कनों से जुड़े हैं, FIFA, ICC और Formula 1, आज कठघरे में खड़े हैं। वजह है उनकी अरबों डॉलर की डील्स सऊदी अरब की सरकारी तेल कंपनी अरामको के साथ। लंदन से आई खबर बताती है कि दस प्रमुख मानवाधिकार और जलवायु संगठनों ने इन स्पोर्ट्स बॉडीज़…
फैशन का काला सच: कोयले से बनते कपड़े, मज़दूरों की मजबूरी
सोचो, एक छोटा सा कमरा है। खिड़की बंद है, बाहर सूरज तप रहा है और अंदर भट्ठी जैसी गर्मी है। पसीने से तरबतर मज़दूर रंगाई की मशीन के पास खड़ा है। धुएं की गंध उसकी साँसों में घुल चुकी है। यही है वो हकीकत, जिसे फैशन इंडस्ट्री बड़ी चतुराई से अपने चमकते-दमकते शो-रूम्स और विज्ञापनों के पीछे छुपा…
बीमारियों का बोझ घट सकता है एक-तिहाई, ‘हेल्थ बेनिफिट असेसमेंट डैशबोर्ड’ ने खोला राज़
बरसात का मौसम ख़त्म होते ही राजधानी में एक अहम चर्चा हुई। क्लाइमेट ट्रेंड्स और आईआईटी दिल्ली ने मिलकर एक वर्कशॉप का आयोजन किया, जहाँ पहली बार ऐसा टूल लॉन्च हुआ जो हवा की गुणवत्ता और जनता की सेहत के बीच सीधा रिश्ता सामने रखता है। इसका नाम है हेल्थ बेनिफिट असेसमेंट डैशबोर्ड। यह डैशबोर्ड पाँचवीं…
न्यूयॉर्क क्लाइमेट समिट में चीन का पहला ‘एब्सॉल्यूट कट’ वादा, लेकिन उम्मीद से कमजोर
न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस की मेज़बानी में हुई क्लाइमेट समिट में 100 से अधिक देशों ने 2035 के लिए अपने नए जलवायु लक्ष्य पेश किए। इस मौके पर चीन ने भी अपनी पहली एब्सॉल्यूट एमिशन कटौती योजना की घोषणा की, लेकिन इसे विश्लेषकों ने “कमज़ोर और पहले से तय रफ्तार” बताया। चीन…
पेरिस समझौते से और दूर ले जा रही है दुनिया की फॉसिल फ्यूल योजनाएँ: नया रिपोर्ट
स्टॉकहोम से जारी हुई एक बड़ी रिपोर्ट ने साफ कहा है कि पेरिस समझौते के 10 साल बाद भी सरकारें अब भी पुराने रास्ते पर चल रही हैं। 2025 का प्रोडक्शन गैप रिपोर्ट बताता है कि 2030 तक दुनिया भर की सरकारें जितना कोयला, तेल और गैस निकालने की योजना बना रही हैं, वो 1.5…
रिन्यूबल एनर्जी को लेकर फैली भ्रांतियाँ टूट रहीं, ताज़ा रिपोर्ट में सामने आए तथ्य
रिन्यूबल एनर्जी को लेकर अब भी कई पुराने मिथक लोगों की सोच पर हावी हैं-जैसे कि सोलर और विंड एनर्जी महँगी है, भरोसेमंद नहीं है या फिर पर्यावरण के लिए खतरनाक साबित होती है। लेकिन ज़ीरो कार्बन एनालिटिक्स (ZCA) की नई रिपोर्ट ने इन धारणाओं को तथ्यों के साथ खारिज किया है। रिपोर्ट कहती है…
सूखा और सैलाब के बीच झूलती दुनिया: WMO की रिपोर्ट ने खोली पानी के चक्र की सच्चाई
पानी, ज़िंदगी का सबसे बुनियादी जरिया, अब पहले से कहीं ज़्यादा अनिश्चित हो चला है। कभी इतना कम कि धरती फटने लगे, कभी इतना ज़्यादा कि शहर डूब जाएं। विश्व मौसम विज्ञान संगठन (WMO) की ताज़ा स्टेट ऑफ ग्लोबल वॉटर रिसोर्सेज रिपोर्ट 2024 ने साफ़ कर दिया है कि दुनिया का जल चक्र पहले से…
पेट्रोल-डीज़ल से ज़्यादा, हमारी साँसें महंगी पड़ रही हैं
एक नई ग्लोबल रिपोर्ट, Cradle to Grave: The Health Toll of Fossil Fuels and the Imperative for a Just Transition ने साफ़ कह दिया है, फॉसिल फ्यूल सिर्फ़ जलवायु संकट की वजह नहीं हैं, ये हमारी सेहत को गर्भ से बुढ़ापे तक नुकसान पहुँचा रहे हैं। सोचिए, पेट्रोल, कोयला, गैस—ये कहानी सिर्फ़ धुएं या कार्बन…