IIT Kanpur और IBM की साझेदारी से उत्तर प्रदेश में AI बनाएगी साफ़ सांसों के नक्शे हम अक्सर हवा को महसूस तो करते हैं, पर क्या हम उसे सुन और समझ पाते हैं? न हमें धुएं की चीख़ सुनाई देती है, न उसमें घुले ज़हरीले कणों की फुसफुसाहट।कभी शिकायत करते हैं कि दम घुट रहा…
Category: जलवायु विज्ञान
जलवायु विज्ञान से जुडी कहानियाँ

अदालतें बन रही हैं जलवायु की रणभूमि
दुनिया भर में बढ़ते क्लाइमेट मुक़दमे और भारत में इसकी गूंज एक ज़माना था जब जलवायु संकट का ज़िक्र सिर्फ़ वैज्ञानिक रिपोर्टों, यूएन सम्मेलनों या NGO की याचिकाओं तक सीमित होता था। लेकिन अब वही मुद्दा अदालतों की चौखट लांघ चुका है। कोर्टरूम अब सिर्फ़ न्याय का मंच नहीं, बल्कि जलवायु की अगली लड़ाई का…

सिर्फ़ घर नहीं, गर्भ तक पहुँच रही हैं हीट वेव्स
जलवायु परिवर्तन अब माँ की कोख तक आ पहुँचा है—जहाँ ज़िंदगी की शुरुआत होती है, वहीं अब संकट भी जन्म ले रहा है। पसीने से तर-ब-तर दोपहरें अब सिर्फ चुभन नहीं लातीं—ये कोख में पल रही ज़िंदगी पर भी वार कर रही हैं। जलवायु परिवर्तन की वजह से बढ़ती गर्मी अब गर्भवती महिलाओं के लिए…

जलवायु परिवर्तन ने बदली उत्तराखंड की खेती की सूरत
आलू-गेहूं छोड़ किसानों ने पकड़ी दाल-मसालों की राह, बीते दशक में 27% कम हुई खेती की ज़मीन, 70% गिरी आलू की पैदावार उत्तराखंड के पहाड़ी जिलों में जलवायु परिवर्तन की मार ने खेती के नक्शे को पूरी तरह बदल दिया है। क्लाइमेट ट्रेंड्स की ताज़ा रिपोर्ट के मुताबिक, पिछले एक दशक में जहां खाद्यान्न और…

अन्तरिक्ष की उड़ान ले रही जलवायु की जान
मयूरी सिंह सोचिए — एक तरफ़ दुनिया भयंकर गर्मी, बाढ़ और खाने के संकट से जूझ रही है, और दूसरी तरफ़ चंद अमीर लोग कुछ मिनटों के लिए अंतरिक्ष घूमने निकल पड़े हैं।ये दौड़ सिर्फ़ शौक़ की नहीं है, ये जलवायु अन्याय और गैर-जिम्मेदारी की एक ज़िंदा मिसाल बन चुकी है। अभी हाल ही में…

क्या ‘Climate Plantations’ सच में जलवायु संकट का समाधान हैं? या फिर एक और खतरा?
क्या हम पेड़ लगाकर और CO₂ को कैप्चर करके ग्लोबल वॉर्मिंग रोक सकते हैं? यह विचार जितना सीधा और आकर्षक लगता है, उतना ही जटिल भी है। हाल ही में पॉट्सडैम इंस्टीट्यूट फॉर क्लाइमेट इम्पैक्ट रिसर्च (PIK) द्वारा प्रकाशित एक अध्ययन ने इस अवधारणा की सीमाओं को उजागर किया है। यह अध्ययन बताता है कि…

जलवायु परिवर्तन कर रहा वैलेंटाइंस डे से चॉकलेट की मिठास कम
वैलेंटाइंस डे आते ही सबसे पहले क्या याद आता है? प्यार, गले लगना, और… चॉकलेट! लेकिन जलवायु परिवर्तन के चलते यह मीठी परंपरा खतरे में है। पश्चिम अफ्रीका, जहां दुनिया की 50% से ज्यादा कोको की खेती होती है, वहां बढ़ता तापमान और अनियमित बारिश किसानों को तबाह कर रही है। चॉकलेट पर जलवायु परिवर्तन…

शहर, जलवायु परिवर्तन और डॉ. अंजल प्रकाश का नज़रिया
Climate कहानी “आपने कभी सोचा है, शहर सिर्फ ईंट-पत्थर की इमारतों और भीड़-भाड़ वाले बाजारों का नाम नहीं हैं। ये ज़िंदगियों के सपनों का कैनवास हैं। लेकिन ये सपने, जिनमें हम और आप जीते हैं, आज जलवायु परिवर्तन के साये में हैं। और एशिया के शहर तो इस बदलाव के केंद्र में खड़े हैं।” ये…

खुशहाली के बीज: कैसे वनीकरण भारत में कर सकता है गरीबी मिटाने में मदद
ज़रा कल्पना कीजिए, महाराष्ट्र के सूखाग्रस्त गाँव में एक युवा माँ बंजर ज़मीन पर मेहनत कर रही है, लेकिन अपने बच्चों का पेट भरने में असमर्थ है। अब उसी महिला को हरे-भरे पेड़ों की छांव में काम करते हुए देखिए, जहां वो लकड़ी, फल या बांस इकट्ठा कर रही है—ऐसे उत्पाद जो उसे आय, स्थिरता…

आधा गिलास: जीवन का आधार या दिव्यांगता का कारण?
दीपमाला पाण्डेय पानी जीवन का आधार है। यह एक सरल सत्य है जिसे हम अक्सर भूल जाते हैं। अमूमन मेहमानों के घर आने पर सबसे पहले पानी पिलाना हमारी परंपरा भी है और आजकल तो मौसम की जरूरत भी है। अक्सर यह देखा गया है कि पानी पूरा गिलास पिया नहीं जाता और वह जूठा…