जलवायु परिवर्तन की वैश्विक लड़ाई में स्थानीय कार्यवाही की प्रासंगिकता को लगातार सिद्ध करने के लिए भारत सरकार ने उत्तर प्रदेश सरकार के पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन विभाग को वैश्विक पटल पर अपने नवाचारों को पूरी दुनिया के शीर्ष नेतृत्व के समक्ष प्रस्तुत करने का एक मौका देना का फैसला किया है।
दरअसल, उत्तर प्रदेश सरकार का पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन विभाग सतत रूप से जलवायु कार्यवाही के क्षेत्र में तमाम नवाचार आधारित सफल प्रयास करता आ रहा है। इसी क्रम में, इन प्रयासों को वैश्विक स्तर पर प्रदर्शित करने के लिए भारत सरकार के पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने मिस्त्र के शर्म अल शेख़ में 06 नवंबर से 18 नवंबर 2022 के बीच होने वाली आगामी सीओपी 27 (कॉन्फ्रेंस ऑफ पार्टीज़/संयुक्त राष्ट्र का जलवायु सम्मेलन), में उत्तर प्रदेश सरकार के पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन विभाग को भारत सरकार के पवेलियन में एक प्रस्तुतीकरण और साइड इवेंट की मेज़बानी करने का निमंत्रण दिया है।
जलवायु कार्यवाही की वैश्विक नीति निर्माण के इस शीर्ष मंच में भारतीय पवेलियन में छाया रहेगा प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा ग्लासगो में हुई पिछली सीओपी में दिया गया जलवायु कार्यवाही का बीज मंत्र LiFE या लाइफ़स्टाइल फॉर एनवायरनमेंट।
वहीं प्रदेश सरकार के साइड इवेंट की थीम होगी ‘रोड टू रेजिलिएंस 2030: इनोवेटिव अप्रोच फॉर लोकलाइजिंग क्लाइमेट एक्शन एट द डिस्ट्रिक्ट एंड विलेज लेवल’। इस थीम के अंतर्गत प्रदेश सरकार का पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन विभाग स्थानीय जलवायु कार्रवाई प्रयासों और स्थानीय विकास योजना प्रक्रियाओं में जलवायु प्राथमिकताओं को एकीकृत करने आदि नवाचरों का प्रदर्शन करेगा। साथ ही, वनरोपण और बढ़ते हरित आवरण, आरईडीडी+ आदि, उप-राष्ट्रीय स्तरों पर जलवायु परिवर्तन, जलवायु परिवर्तन पर राज्य कार्य योजना, समुदाय और स्थानीय सरकार के नवाचारों और जलवायु परिवर्तन के अनुकूलन और युवाओं/महिलाओं/जमीनी प्रतिनिधियों/पंचायती राज संस्थानों की भागीदारी पर ( PRIs) जलवायु संबंधी मुद्दों पर भी केन्द्रित रहेगी।
प्रदेश सरकार का यह साइड इवैंट LiFE के समग्र विषय को संबोधित करेगा क्योंकि इसमें नागरिक केंद्रित दृष्टिकोण को अपनाते हुए वैश्विक महत्वाकांक्षा को प्राप्त करने के लिए निम्न कार्बन, जलवायु अनुकूली, सहयोगी योजना और जमीनी स्तर पर नवीन वित्तीय तंत्र को शामिल किया गया है। इस साइड इवेंट के आयोजन में पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन विभाग, उत्तर प्रदेश सरकार को GIZ इंडिया की CAFRI-MoEFCC परियोजना के तहत सहयोग दिया जाएगा।
ध्यान रहे कि जलवायु परिवर्तन लगातार सरकार के विकास के प्रयासों और सतत विकास लक्ष्यों की उपलब्धियों को खतरे में डाल रहा है। साथ ही, जहां एक ओर जलवायु परिवर्तन एक वैश्विक चिंता है, इसके प्रभाव स्थानीय स्तर पर अधिक महसूस किए जाते हैं और स्थानीय प्रशासन संस्थानों को शामिल करके स्थानीय समुदायों की जरूरतों को पूरा करने के लिए स्थानीय समाधानों की आवश्यकता होती है। इतना ही नहीं, जलवायु कार्यों को स्थानीयकृत करने के लिए आगे प्रौद्योगिकी, वित्त और अनुकूलन और शमन की क्षमता की भी आवश्यकता होती है। पंचायती राज संस्थान स्थानीय नियोजन के केंद्र में हैं और यह उन्हें जलवायु परिवर्तन, आपदा जोखिम और सतत विकास लक्ष्यों पर स्थानीयकृत योजना के लिए एक महत्वपूर्ण हितधारक बनाता है।
इसी भावना के साथ, शर्म अल-शेख COP27 के पहले, प्रदेश के पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन विभाग ने बहु-हितधारक साझेदारी की मदद से जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों का न सिर्फ सफलतापूर्वक जवाब दिया, बल्कि जलवायु के इन परिवर्तनों के लिए ज़रूरी प्रतिक्रिया के लिए तमाम स्थानीय और विदेशी विशेषज्ञों के सहयोग और मार्गदर्शन से एक कार्यप्रणाली का भी निर्माण किया।
उदाहरण के लिए, जलवायु कार्रवाई के लिए बाजार तंत्र पर विशेषज्ञों के साथ की तमाम चर्चाओं के आधार पर, राज्य सरकार ने स्वैच्छिक कार्बन बाजार तंत्र के माध्यम से कृषि वानिकी किसानों को लाभ प्रदान करने के उद्देश्य से कृषि वानिकी क्षेत्र के कार्बन वित्तपोषण की प्रक्रिया शुरू की है।
इस संदर्भ में आगे बताते हुए, श्री मनोज सिंह, अपर मुख्य सचिव, पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन विभाग, उत्तर प्रदेश सरकार, ने कहा, “जलवायु कार्यवाही की मुख्यधारा में हम जलवायु अनुकूलन मुद्दों को सबसे आगे लाने के लिए वर्षों से महत्वपूर्ण प्रयास कर रहे हैं। जलवायु परिवर्तन पर अपनी कार्य योजना में, हमने जलवायु जोखिम भेद्यता पर व्यापक मूल्यांकन किया है और राज्य का जलवायु भेद्यता मानचित्र भी तैयार किया है। साथ ही, हम जमीनी स्तर पर जलवायु कार्रवाई कर रहे हैं। इस जोखिम भेद्यता मूल्यांकन के आधार पर हम ने अब स्थानीय नियोजन स्तर पर जलवायु अनुकूलन को मुख्यधारा में लाना शुरू कर दिया है।”
अपनी बात को विस्तार देते हुए श्री सिंह ने कहा, ” ग्रामीण समुदायों पर जलवायु परिवर्तन की भारी मार पड़ती है। इसलिए, यह महत्वपूर्ण है कि इस संदर्भ में उनकी क्षमताओं का निर्माण किया जाए। इस क्रम में, प्रदेश सरकार ने जोखिम सूचित और जलवायु और आपदा प्रतिरोधी ग्राम पंचायत विकास योजनाओं के विकास की प्रक्रिया शुरू की है। ऐसा करने से स्थानीय अनुकूलन जरूरतों को एजेंसियों और कार्यक्रमों के साथ मजबूत मध्यस्थ संगठनों के माध्यम से जोड़कर विकास योजनाओं में जलवायु कार्रवाई को मुख्य धारा में लाने में मदद मिलेगी।”
आगे, श्री आशीष तिवारी, सचिव, पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन, उत्तर प्रदेश सरकार ने बताया कि, “बीती जून में विश्व पर्यावरण दिवस 2022 पर, प्रदेश सरकार ने एक अनूठी पहल के अंतर्गत पंचायतों के जलवायु सम्मेलन (कॉन्फ्रेंस ऑफ पंचायत/सीओपी) की मेजबानी की। इस सम्मेलन में में 40,000 से अधिक ग्राम पंचायतों ने भाग लिया और इसमें न सिर्फ पंचायतों को सशक्त बनाने के दृष्टिकोण और अवसरों पर सार्थक विचार-विमर्श हुए बल्कि इस दिशा में तमाम नयी पहल भी शुरु की गईं।“
स्थानीय जलवायु कार्यवाही की इस अनूठी पहल के बारे में श्री तिवारी ने आगे बताया कि, “पंचायतों के इस सम्मेलन का उद्देश्य उन रणनीतियों पर विचार-विमर्श करना था जो उभरते जलवायु जोखिमों और अनिश्चितताओं पर न सिर्फ़ स्थानीय संस्थानों और हितधारकों की क्षमताओं को मजबूत करे, बल्कि साक्ष्य-आधारित स्थानीय समाधान भी विकसित करे और दीर्घकालिक रूप से जलवायु कायवाही की तमाम पहल लागू हो सकें।”