एक महत्वपूर्ण घटनाक्रम में, सामाजिक और प्राकृतिक विज्ञान के अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञों ने वार्षिक “जलवायु विज्ञान में 10 नई अंतर्दृष्टि” नाम की एक रिपोर्ट, यूएनएफसीसीसी के कार्यकारी सचिव, साइमन स्टिल के साथ प्रस्तुत किया। यह रिपोर्ट, पिछले 18 महीनों के नवीनतम और महत्वपूर्ण जलवायु विज्ञान अनुसंधान से मिले नतीजों का संकलन है। इसका उद्देश्य नीति निर्माताओं को COP28 वार्ता के दौरान तथ्यात्मक निर्णय लेने और 2024 और उसके बाद नीति कार्यान्वयन का मार्गदर्शन करने में सहायता करना है।
यूएनएफसीसीसी के कार्यकारी सचिव साइमन स्टिल ने रिपोर्ट के महत्व पर जोर देते हुए कहा, “यह रिपोर्ट हर साल जलवायु कैलेंडर में एक महत्वपूर्ण समय पर नीति निर्माताओं और निर्णय लेने वालों की मदद के लिए जारी होती है।”
रिपोर्ट पेरिस समझौते के 1.5°C ग्लोबल वार्मिंग लक्ष्य की अपरिहार्य वृद्धि को कम करने के लिए फ़ोस्सिल फ्यूल को तेजी और प्रबंधित चरणबद्ध तरीके से समाप्त करने की तत्काल आवश्यकता को रेखांकित करती है। पॉट्सडैम इंस्टीट्यूट ऑफ क्लाइमेट इम्पैक्ट रिसर्च के निदेशक प्रो. जोहान रॉकस्ट्रॉम ने COP28 में वैश्विक प्रतिबद्धता का आग्रह करते हुए कहा, “दुबई की यह बैठक कोयला, तेल और गैस के अंत के लिए एक शानदार मौका है।”
कार्बन डाइऑक्साइड रिमोवल (सीडीआर) जैसे पूरक प्रौद्योगिकी समाधानों के महत्व पर प्रकाश डालते हुए, रिपोर्ट प्रभावी सीडीआर तरीकों का समर्थन करने के लिए मजबूत नीतियों की आवश्यकता पर भी जोर देती है। जर्मन इंस्टीट्यूट फॉर इंटरनेशनल एंड सिक्योरिटी अफेयर्स के सीनियर फेलो डॉ. ओलिवर गेडेन ने मुश्किल से खत्म होने वाले एमिशन से निपटने में सीडीआर की भूमिका पर जोर दिया।
रिपोर्ट परस्पर जुड़ी चरम घटनाओं को संबोधित करने और कमजोर आबादी के लिए लचीलापन सुनिश्चित करने के लिए बेहतर जलवायु अनुकूलन रणनीतियों की आवश्यकता की भी बात करती है। यह जलवायु कार्रवाई में खाद्य प्रणालियों की महत्वपूर्ण भूमिका पर ध्यान आकर्षित करता है, न्यायसंगत, कम-कार्बन खाद्य प्रणालियों की स्थापना के लिए क्षेत्रीय और सामाजिक-सांस्कृतिक संदर्भों के अनुकूल नीतियों की भी वकालत करता है।
जलवायु परिवर्तन अनुकूलन और शमन प्रभाव क्षेत्र प्लेटफार्म सीजीआईएआर की निदेशक डॉ. अदिति मुखर्जी ने जलवायु परिवर्तन शमन, अनुकूलन, जैव विविधता संरक्षण और खाद्य सुरक्षा के बीच संबंध पर प्रकाश डाला, और सामाजिक-पारिस्थितिक प्रणालियों को नियंत्रित करने में परिवर्तनकारी बदलाव का आग्रह किया।
फ्यूचर अर्थ, अर्थ लीग और वर्ल्ड क्लाइमेट रिसर्च प्रोग्राम के सहयोग से शुरू की गई “जलवायु विज्ञान में 10 नई अंतर्दृष्टि” श्रृंखला 24 देशों के 67 अग्रणी शोधकर्ताओं के सामूहिक प्रयासों का प्रतिनिधित्व करती है। फ्यूचर अर्थ के ग्लोबल हब निदेशक डॉ. वेंडी ब्रॉडगेट ने 1.5°C के ओवरशूट को कम करने की आवश्यकता पर बल देते हुए कहा, “COP28 वह विभक्ति बिंदु होना चाहिए जहां जीवाश्म ईंधन को चरणबद्ध तरीके से समाप्त करने की सामूहिक कार्रवाई गति पकड़ती है।”
रिपोर्ट में प्रदान की गई अंतर्दृष्टि की पूरी सूची कुछ इस प्रकार है:
- तापमान में 1.5 डिग्री सेल्सियस से अधिक की वृद्धि अब लगभग निश्चित है। तापमान की इस बढ़त की भयावहता और अवधि को कम करना आवश्यक है।
- पेरिस समझौते की लक्ष्य सीमा के भीतर बने रहने के लिए तेजी से और प्रबंधित फ़ोस्सिल फ्यूल फेज़ आउट की आवश्यकता है।
- प्रभावी कार्बन डाइऑक्साइड रिमूवल (सीडीआर) के लिए आवश्यक पैमाने को प्राप्त करने के लिए मजबूत नीतियां महत्वपूर्ण हैं।
- प्राकृतिक कार्बन सिंक पर अत्यधिक निर्भरता एक जोखिम भरी रणनीति है; उनका भविष्य का योगदान अनिश्चित है।
- परस्पर जुड़ी जलवायु और जैव विविधता संबंधी आपात स्थितियों से निपटने के लिए संयुक्त शासन आवश्यक है।
- मिश्रित घटनाएँ जलवायु जोखिमों को बढ़ाती हैं और उनकी अनिश्चितता को बढ़ाती हैं।
- पर्वतीय ग्लेशियरों का नुकसान तेजी से हो रहा है।
- जलवायु जोखिम वाले क्षेत्रों में अब मानव गतिहीनता बढ़ रही है।
- जलवायु न्याय को क्रियान्वित करने के नए तरीके अधिक प्रभावी जलवायु अनुकूलन को सक्षम बनाते हैं।
- खाद्य प्रणालियों में सुधार जलवायु कार्रवाई में योगदान दे सकता है।
स्टॉकहोम पर्यावरण संस्थान के रिसर्च फेलो डॉ. प्लॉय अचकुलविसुट ने नई जीवाश्म ईंधन परियोजनाओं को रोकने और मौजूदा बुनियादी ढांचे को चरणबद्ध तरीके से समाप्त करने की गति बढ़ाने पर जोर दिया। संयुक्त राष्ट्र विश्वविद्यालय – पर्यावरण और मानव सुरक्षा संस्थान (यूएनयू-ईएचएस) की डॉ. लिसा थालहाइमर-प्रेज़िना ने न्याय पर केंद्रित जलवायु अनुकूलन योजना की आवश्यकता पर बल दिया। आईपीबीईएस के अध्यक्ष और निदेशक, कॉर्डियो पूर्वी अफ्रीका, डॉ. डेविड ओबुरा ने जलवायु और जैव विविधता आपात स्थितियों को प्रभावी ढंग से संबोधित करने के लिए संयुक्त प्रयासों का आह्वान किया है।