Skip to content
Menu
Climate कहानी
  • आइए, आपका स्वागत है!
  • बुनियादी बातें
  • चलिए पढ़ा जाये
  • आपकी कहानी
  • सम्पर्क
Climate कहानी

सावधान! भारत में सूखा पड़ने की घटनाओं में होने वाली है वृद्धि

Posted on March 1, 2021

निशान्त

गर्मियों की आमद एक परेशान करने वाली ख़बर से हो रही है। और ये खबर एक बार फिर जलवायु परिवर्तन के हवाले से आ रही है।

भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान गांधीनगर (IIT गांधीनगर) के शोधकर्ता अपने एक ताज़ा शोध में इस निष्कर्ष पहुंचे हैं कि आने वाले समय में जलवायु परिवर्तन की वजह से भारत में अचानक सूखा पड़ने की आवृत्ति बढ़ेगी, जिसका सीधे तौर पर फसल उत्पादन, सिंचाई के लिए पानी की मांग, और भूजल स्तर पर नकारात्मक प्रभाव होगा।

उनके अनुसार मिट्टी की नमी में तेजी से कमी के कारण फ्लैश ड्रॉट्स या अचानक सूखा पड़ने के दौर होते हैं। पारंपरिक सूखे के विपरीत, विशेषज्ञ कहते हैं, फ्लैश ड्रॉट दो-तीन हफ्तों के भीतर एक बड़े क्षेत्र को प्रभावित कर सकते हैं और इसकी वजह से फसल स्वास्थ्य और सिंचाई पानी की मांगों पर गंभीर प्रभाव पड़ सकते हैं।

ध्यान रहे कि भारत में फ़िलहाल ऐसे सूखा पड़ने की घटनाओं और प्रभावों के बारे में अच्छी तरह से जानकारी नहीं है। एनपीजे क्लाइमेट एंड एटमॉस्फेरिक साइंस जर्नल में प्रकाशित इस अध्ययन में भारत में मानव जनित जलवायु परिवर्तन और उसका मानसून के मौसम के दौरान अंतर-मौसमी परिवर्तनशीलता में भूमिका, और फ्लैश ड्राउट की जांच की गई है।

शोधकर्ताओं ने देश में फ्लैश ड्रॉट्स की आवृत्ति की जांच करने के लिए भारत के मौसम विभाग (आईएमडी) से मिट्टी की नमी सिमुलेशन, टिप्पणियों और जलवायु अनुमानों का उपयोग किया। टीम ने पाया कि 1951–2016 से देखी गई समयसीमा में सबसे खराब सूखा 1979 में पड़ा था, जब देश का 40 प्रतिशत से अधिक प्रभावित हुआ था।

शोधकर्ताओं ने बताया कि समवर्ती गर्म और शुष्क चरम सीमाओं की आवृत्ति में लगभग पांच गुना वृद्धि होने का अनुमान है, जिससे 1979 की तरह 21 वीं सदी के अंत तक फ्लैश ड्रॉट में लगभग सात गुना वृद्धि हुई है।

समाचार एजेंसी पीटीआई से बात करते हुए आईआईटी गांधीनगर में सिविल इंजीनियरिंग के एसोसिएट प्रोफेसर विमल मिश्रा ने कहा, “हमने पाया कि भारत में सूखे की ऐसी घटनाएँ मानसून के विराम या विलंब की वजह से होती हैं और भविष्य में फ्लैश ड्रॉट या अचानक सूखा पड़ने की घटनाओं की संख्या में वृद्धि होगी।” विमल मिश्रा इस अध्ययन से जुड़े भी हैं और आगे बताते हैं कि, “जलवायु परिवर्तन के चलते आने वाले समय में हवा के तापमान में वृद्धि होनी तय है और इसका असर मानसून पर पड़ना तय है। और ऐसे में सूखे की घटनाओं में वृद्धि हो सकती हैं।”

आईआईटी गांधीनगर के दो शोधकर्ता, सरन आधार और शांति शवरुप महतो, अपने शोध के नतीजों के आधार पर कहते हैं कि भारत भविष्य में चरम जलवायु परिस्थितियों का गवाह बनेगा। उनका मानना है कि जलवायु परिवर्तन अत्यधिक गर्म और शुष्क परिस्थितियाँ बनाता है और ऐसा होना फ़्लैश ड्राउट का आधार बनता है। वो कहते हैं कि  ऐसी घटनाएँ भविष्य में बढेंगी।

विमल मिश्रा ने आगे चेतावनी दी कि सिंचाई के लिए पानी के आभाव में सूखा पड़ना अगर बढ़ गया तो कृषि के लिए ये विनाशकारी साबित हो सकता हैं। लेकिन, वो कहते हैं, अगर आपदा पूर्व तैयारी क्र ली जाये तो नुकसान कम किये जा सकते हैं और जल संसाधनों के प्रबंधन में सहायता मिल सकती है।

अंत में मिश्रा कहते हैं, “जलवायु परिवर्तन का सीधा संबंध गर्मी, सूखे, अत्यधिक वर्षा और बाढ़ से होता है, और इस सबका सीधा असर हम सब पर पड़ता है। इस शोध के नतीजों से हमें कुछ सोचना चाहिए।”

वाक़ई, ये वक़्त है अपनी प्राथमिकताओं को फिर से सोचने का। कहीं हमारी प्राथमिकतायें हमारे पर्यावरण को बर्बाद तो नहीं कर रहीं? सोचिये!

  • climate accord
  • climate action
  • climate change
  • climate kahani
  • drought
  • dry spells
  • environment
  • flash dorught
  • iit
  • iit gandhinagar
  • nature
  • nature climate
  • nature journal
  • paris climate agreement
  • unep

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

क्लाइमेट की कहानी, मेरी ज़बानी

https://www.youtube.com/watch?v=APjRVSzxSqM&list=PLZ1ZNOcB3LCjcWp2h6rZv1r22pHvrDQvy
©2023 Climate कहानी | WordPress Theme: EcoCoded