उत्तराखंड की ऊँचाइयों में बसी गंगोत्री घाटी, जहाँ से गंगा की धारा जन्म लेती है, देश के करोड़ों लोगों की आस्था और ज़िंदगी का आधार है। सदियों से यहाँ की बर्फ़ और ग्लेशियर का पिघलता पानी मैदानों तक पहुँचकर खेतों को सींचता रहा, बिजलीघरों को चलाता रहा और गंगा की धारा को जीवन देता रहा।…
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800 मिमी से ज्यादा बरसात के साथ मुंबई में अगस्त की बारिश ने तोड़ा रिकॉर्ड, एक्सपर्ट बोले- अब सिर्फ चेतावनी और एडाप्टेशन ही सहारा
देश की आर्थिक राजधानी मुंबई एक बार फिर भारी बारिश से जूझ रही है। 16 अगस्त से शुरू हुई लगातार बरसात ने 19 अगस्त की दोपहर तक 800 मिमी का आंकड़ा पार कर लिया, जबकि अगस्त महीने में औसतन 560.8 मिमी ही बारिश होती है। इस बीच सांताक्रूज़ स्टेशन पर 944 मिमी और कोलाबा में…

गर्मी अब सिर्फ पारा नहीं चढ़ा रही, लोगों के दिलों में चिंता भी बढ़ा रही
भारत के 89% लोग कह रहे हैं कि उन्होंने खुद ग्लोबल वार्मिंग का असर महसूस किया है। कभी तपते हीटवेव, कभी बेहिसाब बारिश, कभी तूफ़ान, मौसम अब पहले जैसा नहीं रहा। और यही वजह है कि 78% लोग चाहते हैं कि सरकार इस संकट से निपटने के लिए और ज़्यादा काम करे। ये आंकड़े आए…

उत्तराखंड की आपदा: जब हिमालय ने चुप्पी तोड़ी, और हमारे तैयार न होने की कीमत चुकाई गई
दोपहर का वक्त था। बादल घिरे थे, पर कोई डर नहीं था। यह तो पहाड़ों का रोज़ का मिज़ाज है। लेकिन अचानक, जैसे किसी ने आसमान के दरवाज़े को खोल दिया हो। एक गगनचुंबी जलधारा सीधी पहाड़ से उतरती हुई धाराली की गलियों में घुस गई। जो सामने आया, उसे बहा ले गई। घर, दुकान,…

बात सिर्फ मौसम की नहीं, अब इंसाफ की भी है
अब इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस भी कह रहा: जलवायु को बचाना सिर्फ नैतिक नहीं, कानूनी ज़िम्मेदारी भी आज इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस (ICJ), यानि दुनिया की सबसे बड़ी अदालत, ने एक ऐतिहासिक सलाह दी है। उन्होंने साफ-साफ कह दिया है कि दुनिया के हर देश की ये कानूनी ज़िम्मेदारी है कि वो जलवायु संकट को…

2032 तक इलेक्ट्रिक गाड़ियों की चार्जिंग के लिए भारत की कुल सौर-वायु क्षमता का सिर्फ 3% होगा काफी
भारत की इलेक्ट्रिक वाहन (ईवी) क्रांति को साफ ऊर्जा से चार्ज करने के लिए भारी बिजली उत्पादन की नहीं, बल्कि बेहतर प्लानिंग और स्मार्ट पॉलिसी की ज़रूरत है। ऊर्जा थिंक टैंक ‘एम्बर’ की नई रिपोर्ट बताती है कि अगर सही नीतिगत बदलाव किए जाएं और चार्जिंग ढांचे को समय के अनुसार ढाला जाए, तो साल…

कोयला हुआ पुराना, अब रिन्यूएबल ही सस्ता
दुनिया भर में 91% नई सौर और पवन ऊर्जा परियोजनाएं कोयले-गैस से सस्ती पड़ीं। लेकिन सवाल अब भी बड़ा है: क्या सस्ती बिजली हर किसी तक पहुँच रही है? जरा सोचिए, अगर आपको बताया जाए कि बिजली बनाने का सबसे सस्ता तरीका अब न कोयला है, न गैस, बल्कि सूरज और हवा हैं—तो क्या आप भरोसा…

जलवायु संकट की मार अब आपकी थाली पर
भारत समेत दुनिया भर में खाने-पीने की चीज़ें हुईं महंगी, नई रिपोर्ट ने खोली पोल अगर आपने हाल के महीनों में सब्ज़ियों, प्याज़, आलू या चाय-कॉफ़ी की कीमतों में अजीब उछाल देखा है, तो यह केवल मंडी की मांग और आपूर्ति का मामला नहीं है। एक नई अंतरराष्ट्रीय रिसर्च के मुताबिक, भारत समेत दुनियाभर के…

बाउंसर बन चुकी है गर्मी: क्रिकेट पर मंडराता जलवायु संकट
IPL के एक तिहाई मैच ऐसी गर्मी में खेले गए जो खिलाड़ियों की सेहत के लिए ख़तरनाक मानी जाती है IPL 2025 के मैच तो लोगों ने खूब देखे होंगे, लेकिन अब जो रिपोर्ट आई है, वो चिंता बढ़ाने वाली है। रिपोर्ट कहती है कि इस साल IPL के करीब आधे मैच ऐसे मौसम में…

2030 तक भारत में 70% चौबीस घंटे स्वच्छ बिजली संभव, हर साल 9 हज़ार करोड़ की बचत
अगर भारत की कंपनियाँ हर घंटे के हिसाब से कार्बन-फ्री बिजली खरीदने लगें, तो देश 2030 तक 52 गीगावॉट तक चौबीस घंटे मिलने वाली स्वच्छ बिजली जोड़ सकता है। यह भारत की कुल अनुमानित बिजली मांग का 5% हिस्सा होगा — और उसमें से 70% पूरी तरह स्वच्छ स्रोतों से हासिल किया जा सकेगा। इस…