Skip to content
Menu
Climate कहानी
  • आइए, आपका स्वागत है!
  • बुनियादी बातें
  • चलिए पढ़ा जाये
  • आपकी कहानी
  • सम्पर्क
  • शब्दकोश
Climate कहानी

नए निवेश की जगह एनटीपीसी पुरानी, फंसी हुई कोयला बिजली परियोजनाओं का करे अधिग्रहण और पुनरुद्धार

Posted on June 16, 2023

पुराने हो चुके और फंसे हुए थर्मल पावर प्लांट्स के रणनीतिक अधिग्रहण और फिर रिवाइवल या पुनरुद्धार से राज्य के स्वामित्व वाली भारत की सबसे बड़ी बिजली उत्पादक, NTPC, बैंकों को अपनी बैलेंस शीट सुधारने में मदद कर सकती है।
यह निष्कर्ष है इंस्टिट्यूट फॉर एनर्जी इकनॉमिक्स एंड फाइनेंशियल एनालिसिस (आईईईएफए) की ताज़ा रिपोर्ट का, जिसमें 6.1GW की ऐसी संचयी क्षमता वाले छह बिजली संयंत्रों की पहचान की गई है, जो एनटीपीसी द्वारा, पावर फाइनेंस कॉर्पोरेशन, REC और नेशनल एसेट रिकंस्ट्रक्शन कंपनी लिमिटेड जैसी दूसरी सरकारी स्वामित्व वाली कंपनियों के साथ साझेदारी में रणनीतिक अधिग्रहण के लिए परिपक्व हैं।
आईईईएफए में सस्टेनेबल फाइनेंस एंड क्लाइमेट रिस्क लीड, साउथ एशिया, शांतनु श्रीवास्तव, बताते हैं, “ऊर्जा सुरक्षा चिंताओं के दृष्टिगत, भारत में मौजूद फंसी हुई थर्मल पावर परियोजनाओं का ऐसा रणनीतिक अधिग्रहण आ फिर पुनरुद्धार नई थर्मल पावर परियोजनाओं में निवेश से लाख दर्जे का बेहतर विकल्प है साबित हो सकता है।”
वो आगे बताते हैं, “आईईईएफए का मानना है कि रिन्यूबल  एनेर्जी की स्पष्ट आर्थिक प्रासंगिकता को देखते हुए थर्मल पावर में किसी भी नए निवेश से उस निवेश के फंस जाने की संभावना बनती दिखती है। इन नए थर्मल प्लांटों को वित्तपोषित करने से घरेलू बैंकों को और नुकसान होने की भी संभावना है।”
रिपोर्ट के अनुसार, अगर एनटीपीसी दूसरी सरकारी कंपनियों के साथ साझेदारी में इन पुरानी फंसी हुई बिजली परियोजनाओं को अधिग्रहित कर पुनरुद्धार करेगा तो बैंको की फंसी हुई पूंजी निकालने की संभावना भी बढ़ती दिखती है। इस मामले में बैंक पिछले एक दशक से अधिक समय से बढ़े हुए एनपीए से जूझ रहे हैं।
रिपोर्ट में प्रस्ताव दिया गया है कि एनटीपीसी इस मामले में अन्य सरकारी स्वामित्व वाली कंपनियों जैसे नवगठित पावर फाइनेंस कॉरपोरेशन (पीएफसी)-आरईसी संयुक्त उद्यम, पीएफसी प्रोजेक्ट्स लिमिटेड (पीपीएल) और भारत के बैड बैंक, नेशनल एसेट रिकंस्ट्रक्शन कंपनी लिमिटेड (एनएआरसीएल) के साथ साझेदारी कर सकती है।
अध्ययन के माध्यम से यह रिपोर्ट तर्क देती है कि पीपीएल या एनएआरसीएल के साथ साझेदारी करके, एनटीपीसी भारत की तत्काल ऊर्जा सुरक्षा जरूरतों के लिए क्षमता को बढ़ाते हुए अग्रिम निवेश पर काफी बचत कर सकता है।
रिपोर्ट में इस बात पर भी प्रकाश डाला गया है कि अधिग्रहण और पुनरुद्धार पहला कदम होना चाहिए, क्योंकि नई या अधिग्रहीत थर्मल संपत्तियों को जोड़ने से अधिग्रहणकर्ता के पर्यावरण, सामाजिक और शासन (ईएसजी) प्रोफाइल को नुकसान होगा।
“NTPC का लक्ष्य 2030 तक 60GW नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता स्थापित करना है, जिसके लिए वैश्विक ESG निवेशकों से सुरक्षित पूंजी की आवश्यकता होगी। इसलिए, नवीकरणीय ऊर्जा उत्पादन के लिए अधिग्रहीत तनावग्रस्त तापीय संपत्तियों को वापस लेने और पुनर्उद्देश्य करने के लिए अधिग्रहण के बाद की रणनीति ईएसजी निवेशकों के साथ अच्छी तरह से संरेखित होगी और एनटीपीसी की पुस्तकों पर भविष्य में अटकी हुई संपत्तियों को रोकेगी,” श्रीवास्तव कहते हैं।
उन्होंने कहा, “कंपनी कार्बन क्रेडिट ट्रेडिंग के लिए बढ़ते बाजार का भी पता लगा सकती है ताकि पुनर्निर्मित परियोजनाओं से रिटर्न में और सुधार हो सके।”

  • carbon emissions
  • climate action
  • climate change
  • coal
  • coal power
  • global warming
  • NTPC
  • paris climate agreement
  • thermal power
  • एनटीपीसी

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

क्लाइमेट की कहानी, मेरी ज़बानी

©2025 Climate कहानी | WordPress Theme: EcoCoded