Skip to content
Menu
Climate कहानी
  • आइए, आपका स्वागत है!
  • बुनियादी बातें
  • चलिए पढ़ा जाये
  • आपकी कहानी
  • सम्पर्क
  • शब्दकोश
Climate कहानी

भारत और बांग्लादेश में हुई अत्यधिक वर्षा और बाढ़ सीधे तौर पर जलवायु परिवर्तन के कारण

Posted on June 22, 2022

भारत के उत्तर-पूर्व के क्षेत्रों में हुई भारी मॉनसून की बारिश और नदियों में उसके बाद बढ़े जलस्तर के कारण हाल ही में भारत और बांग्लादेश में सीमा से सटे कुछ प्रमुख क्षेत्रों  में बाढ़ आई। इसके चलते लाखों लोग फंसे हुए हैं और एक मानवीय संकट पैदा हो रहा है। देश और विदेश में जलवायु वैज्ञानिक और जल प्रबंधन विशेषज्ञ वर्षा के इस अनिश्चित व्यवहार पर जलवायु परिवर्तन का एक महत्वपूर्ण प्रभाव देखते हैं और इस क्षेत्र में रिकॉर्ड स्तर की बाढ़ का कारण बनते हैं।

हाल की बाढ़ को जलवायु परिवर्तन ने किया प्रभावित

मानसून का जल्दी आना और बारिश के पैटर्न में बदलाव, इस वर्ष बार-बार आने वाली अचानक बाढ़ की वजह समझने में मदद कर सकता है। पड़ोसी देश बांग्लादेश में तो अप्रैल के पहले सप्ताह में ही बाढ़ आ गयी जो की मार्च में हुई भारी बारिश का नतीजा थी। विशेषज्ञों ने कहा कि जलवायु परिवर्तन और मानसून की जल्दी आमद के बीच एक मजबूत संबंध है जिसके कारण अचानक बाढ़ आई है।

आईपीसीसी असेस्मेंट रिपोर्ट 5 और आईपीसीसी महासागरों और क्रायोस्फीयर पर प्रमुख लेखक और इंडियन स्कूल ऑफ बिजनेस के अनुसन्धान निदेशक, सहायक प्रोफेसर, डॉ अंजल प्रकाश कहते हैं, “एक गर्म जलवायु ने मौसम के पैटर्न और उसकी परिवर्तनशीलता को प्रभावित किया है। इससे वर्षा में वृद्धि हुई है, जिसके कारण हिमालयी क्षेत्रों के मध्य में बाढ़ की स्थिति पैदा हुई, बांग्लादेश के सिलहट में मौजूदा बाढ़ में योगदान दिया।”

डॉ प्रकाश की बात को बल देते हुए बांग्लादेश इंजीनियरिंग और प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (बीयूईटी) के जल और बाढ़ प्रबंधन (आईडब्ल्यूएफएम) संस्थान के प्रोफेसर एकेएम सैफुल इस्लाम कहते हैं कि एक दशक में पूरे दक्षिण एशिया में चरम मौसम की घटनाओं को देखते हुए यह कहा जा सकता है कि जलवायु परिवर्तन और मानसून के जल्दी आने और अत्यधिक फ्लैश फ़्लड आने के बीच एक मजबूत संबंध है।

इसके अलावा, डॉ प्रकाश ने कहा, “अध्ययनों से पता चला है कि हिमालयी क्षेत्र के वर्षा पैटर्न बदल रहे हैं, जिससे अप्रत्याशित मौसम हो रहा है।” उदाहरण के लिए, भारत ने अचानक बाढ़ की दो लहरें देखीं, जिनमें दर्जनों लोग अत्यधिक वर्षा-प्रेरित भूस्खलन और बाढ़ में मारे गए। उन्होंने यह भी कहा कि, “जहां एक ओर जलवायु परिवर्तन के कारण, इस क्षेत्र के लिए एक आर्द्र जलवायु की भविष्यवाणी की गई है। वहीं वर्षा परिवर्तनशीलता का मतलब होता है कि सीज़न में 2-3 उच्च वर्षा की घटनाओं हो सकती है जबकि बाकी दिन शुष्क होंगे। यह एक विरोधाभास है।”

फिलहाल बांग्लादेश में सूरमा और कुशियारा जैसी प्रमुख नदियाँ अपने खतरे के निशान से 18 बिंदु ऊपर बह रही हैं।

इधर भारत में 17 जून को, सुबह 8:30 बजे तक बीते 24 घंटों में, मेघालय के चेरापूंजी में 972 मिमी वर्षा हुई। ध्यान रहे कि जब से आईएमडी ने बारिश का रिकॉर्ड रखना शुरू किया है, तब से जून के एक दिन में 800 मिमी से अधिक बारिश नौ बार दर्ज की गई है। इनमें से चार बार जून 1995 के बाद से दर्ज की गई हैं।

बीती 15 जून को भारत में सबसे अधिक बारिश वाले स्थान मौसिनराम में 24 घंटे में 710.6 मिमी बारिश दर्ज की गई। जून 1966 के बाद यह वहाँ एक दिन में हुई सबसे अधिक बारिश का रिकर्ड है।

साथ ही, पश्चिम बंगाल, उत्तर पूर्वी राज्य, बिहार, झारखंड और गंगीय पश्चिम बंगाल में भरी बारिश कि चेतावनी के चलते इन क्षेत्रों की नदियाँ, जो अभी अपने ऐतिहासिक जल स्तर के बहुत करीब बह रही हैं, आने वाले कुछ दिनों में नए रिकार्ड स्थापित कर सकती हैं।

आईपीसीसी की महासागरों और क्रायोस्फीयर की रिपोर्ट के प्रमुख लेखक डॉ. रॉक्सी मैथ्यू कोल कहते हैं कि ग्लोबल वार्मिंग की प्रतिक्रिया के चलते बंगाल की खाड़ी में ये तेज मानसूनी हवाएं पहले से कहीं अधिक नमी ले जा सकती हैं। इससे मॉनसून की भरी बारिश का जलवायु परिवर्तन से जुड़े होने का सीधा संकेत मिलता है।

डॉ कोल ने इस  जलवायु आकलन रिपोर्ट में हिंद महासागर के गर्म होने पर अध्याय लिखा था।

बाढ़ की बदलती प्रकृति
रॉक्सी कहते हैं, 1950 के दशक के बाद से दक्षिण एशिया में मानसून के पैटर्न में बदलाव आया है। सबसे महत्वपूर्ण बदलाव यह है कि अब मानसून के मौसम में एक लंबे सूखे समय के बाद अचानक भारी बारिश का दौर होता है। तापमान में प्रत्येक 1 डिग्री सेल्सियस की वृद्धि के लिए वर्षा की कुल मात्रा में 7% की वृद्धि होगी। मानसून में यह 10% तक जाएगी। डॉ कोल कहते हैं कि दक्षिण एशिया में अत्यधिक वर्षा की घटनाओं के आनुपातिक रूप से बढ़ने का अनुमान है।

आमतौर पर जब अरुणाचल प्रदेश और पूर्वी असम में भारी बारिश होती है, तो बाढ़ मुख्य रूप से केवल असम में सीमित रहती थी। मगर इस बार भारी बारिश पश्चिम असम, मेघालय और त्रिपुरा में केंद्रित है। मेघालय और असम में भूस्खलन और अचानक बाढ़ की घटनाओं के अलावा

यह पानी अंततः बांग्लादेश में बह जाता है, जिससे वहाँ बाढ़ आ जाती है।

प्रभावित क्षेत्रों में आर्थिक विकास को संभावित नुकसान
विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि मौसमी विशेषताओं में यह बदलाव लोगों के जीवन, आजीविका, सिंचाई, खाद्य और जल सुरक्षा, और उद्योग को महत्वपूर्ण रूप से प्रभावित करेगा। बाढ़ में घरों, पुलों, पुलों के बह जाने से सैकड़ों हजारों लोग बेघर हो गए हैं। अकेले सुनामगंज और सिलहट में एक लाख से अधिक लोगों को बाढ़ आश्रयों में भेज रहे हैं।

ध्यान रहे कि कम से कम 40 ट्रांसबाउंडरी नदियाँ अत्यधिक बारिश से अपवाह को ऊपर की ओर बांग्लादेश ले जाती हैं, जहां से दुनिया की कुछ प्रमुख नदियों में बाढ़ कि स्थिति बनती है और भारत, नेपाल, भूटान, चीन, और बांग्लादेश में फैले 1.72 मिलियन वर्ग किलोमीटर के विशाल जलग्रहण क्षेत्र को बहा देती हैं एक वर्ष में एक अरब टन से अधिक गाद या सिल्ट ले जाती हैं। यह गाद नदियों पर बने बुनियादी ढांचे में अक्सर फंस जाती है, जिससे इसकी तलहटी ऊपर उठ जाती है और नदियाँ अपने स्तर से ऊपर बह कर बाढ़ लाती हैं।

बांग्लादेश ने इस साल अप्रैल के पहले सप्ताह में ही पहली बार बाढ़ देखी  और तब वहाँ की मुख्य फसल, बोरो, आधी पकी ही थी। हजारों हेक्टेयर बोरो खेत क्षतिग्रस्त हो गए।

सरकार से नदी घाटियों से बुनियादी ढांचे को हटाने और प्रकृति आधारित समाधानों को बढ़ावा देने का आग्रह करते हुए, विशेषज्ञों ने किसानों के लिए मौसम बीमा शुरू करने और उनकी वित्त तक पहुंच को आसान बनाने का आह्वान किया।

इस सब के चलते भारत और बांग्लादेश दोनों पर गंभीर प्रभाव होंगे जो देश की अर्थव्यवस्था को महत्वपूर्ण नुकसान पहुंचाएंगे।

  • climate change
  • flood
  • floods
  • monsoon
  • mumbai monsoon
  • rains

1 thought on “भारत और बांग्लादेश में हुई अत्यधिक वर्षा और बाढ़ सीधे तौर पर जलवायु परिवर्तन के कारण”

  1. Pingback: भारत और बांग्लादेश में हुई अत्यधिक वर्षा और बाढ़ सीधे तौर पर जलवायु परिवर्तन के कारण - उत्तराखंड

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

क्लाइमेट की कहानी, मेरी ज़बानी

©2025 Climate कहानी | WordPress Theme: EcoCoded